उम्र के साथ महिलाओं में कई तरह के हार्मोनल बदलाव आते हैं, जिसमें से एक मेनोपॉज भी है। 45-50 की उम्र में ज्यादातर महिलाओं को मेनोपॉज होता है। मेनोपॉज वह समय है, जब पूरी तरह से पीरियड्स आने बंद हो जाते हैं। लेकिन, हम यहां मेनोपॉज नहीं, बल्कि प्री-मेनोपॉज के बारे में बात करने जा रहे हैं। प्री-मेनोपॉज को पेरिमेनोपॉज भी कहा जाता है। इसके बारे में रुजुता दिवेकर ने अपने सोशल मीडिया पर एक वीडियो शेयर किया है। रुजुता दिवेकर सेलिब्रिटी न्यूट्रिशनिस्ट हैं।
क्या है प्री-मेनोपॉज या पेरिमेनोपॉज?
एक्सपर्ट के मुताबिक, पीरियड्स के पूरी तरह से बंद होने से पहले के 5-10 साल के समय को प्री-मेनोपॉज या पेरिमेनोपॉज कहा जाता है। पेरिमेनोपॉज में ओवरी धीरे-धीरे कम काम करना शुरू कर देती है। ओवरी में बदलाव आने की वजह से शरीर और ब्लीडिंग में बदलाव आने लगता है। प्री-मेनोपॉज की वजह से दिमाग में भी कई तरह के बदलाव आने लगते हैं।
प्री-मेनोपॉज या पेरिमेनोपॉज के लक्षण
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एक्सपर्ट के मुताबिक, प्री-मेनोपॉज या पेरिमेनोपॉज के दौरानपीरियड्स में ब्लीडिंग5 या 7 दिन से कम होकर 3 या 4 दिन तक हो सकती है। कई महिलाओं को ब्लीडिंग 4 या 5 दिन में नहीं रुककर 10 से 15 दिन तक भी हो सकती है। ब्लीडिंग में आने वाले इस बदलाव को प्री-मेनोपॉज का पहला साइन माना जा सकता है।
प्रीमेनोपॉज का दूसरा साइन उम्र का माना जाता है। एक्सपर्ट के मुताबिक, अगर आपकी उम्र 35 साल से ज्यादा है और अगर आपके पीरियड्स में कोई बड़ा बदलाव आया है, तो यह प्री-मेनोपॉज का लक्षण माना जा सकता है।
प्री-मेनोपॉज या पेरिमेनोपॉज में होने वाले शारीरिक बदलाव
- हड्डियों में बदलाव- एक्सपर्ट के मुताबिक, प्री-मेनोपॉज में हड्डियों में बदलाव आने लगता है। इस दौरान हड्डियों में एस्ट्रोजन की मात्रा बदलती है और उसकी वजह से बोन डेन्सिटी कम होने लगती है। साथ ही, हड्डियों का वजन भी घटने लगता है। ऐसे में महिलाओं को शरीर में दर्द शुरू हो जाते हैं, जिसमें खासकर पीठ और घुटनों में दर्द होने की समस्या आती है। हार्मोनल बदलाव के दौरान ज्वाइंट्स की ज्यादा समस्या देखने को मिल सकती है।
- दिमाग में बदलाव- एक्सपर्ट के मुताबिक, प्री-मेनोपॉज के दौरान कई महिलाओं को ब्रेन फॉग की समस्या भी आती है। कई बार भूलने, गुस्से और चिड़चिड़ेपन की समस्या भी आ सकती है।
- दिल से जुड़ी समस्याएं- एक्सपर्ट के मुताबिक, प्री-मेनोपॉज में ऐसा नहीं है कि दिल से जुड़ा कोई बड़ा बदलाव आ सकता है। लेकिन, कोलेस्ट्रॉल और ब्लड प्रेशर में बदलाव देखने को मिल सकता है। जिन महिलाओं को 20-30 की उम्र में लो ब्लड प्रेशर रहता है, उन्हें प्री-मेनोपॉज फेज में हाई बीपी की समस्या हो सकती है।
- हार्मोन्स में बदलाव- एक्सपर्ट के मुताबिक, इस फेज में सबसे ज्यादा हार्मोन्स में बदलाव आता है। इसकी वजह से पिंपल्स और ब्लोटिंग की समस्या होने लगती है। हार्मोन्स में बदलाव की वजह से भी यह बढ़ सकता है।

एक्सपर्ट के मुताबिक, हार्मोन्स में बदलाव की वजह से यूरिन से जुड़ी परेशानी का सामना भी करना पड़ सकता है। इसमें कई बार ऐसा लगता है कि ब्लैडर पूरी तरह से खाली नहीं हुआ है। हार्मोन्स के बदलने पर बालों के झड़ने और स्किन से जुड़ी परेशानियों का सामना भी करना पड़ सकता है।
कैसे रखें अपना ख्याल?
- एक्सपर्ट के मुताबिक, महिलाओं को अपनी सेहत का ख्याल हमेशा ही रखना चाहिए, जिससे मेनोपॉज के दौरान या उसके बाद स्थिति ना बिगड़े। इसके लिए आप तीन जरूरी चीजों को अपना सकती हैं। आइए, यहां जानते हैं एक्सपर्ट के मुताबिक, वह तीन चीजें कौन-सी हैं।
- प्री-मेनोपॉज या पेरिमेनोपॉज के दौरान महिलाओं के वजन में काफी बदलाव देखने को मिल सकता है। एक्सपर्ट के मुताबिक, इस समय वजन बढ़ना काफी मामूली है, ऐसे में रेगुलर एक्सरसाइज से फिट रहा जा सकता है। हफ्ते में तीन दिन भी एक्सरसाइज करना आपके लिए फायदेमंद हो सकता है। अगर प्री-मेनोपॉज के दौरान अपनी सेहत का ध्यान नहीं रखेंगी, तो समय से पहले बालों का सफेद होना, झड़ना, जोड़ों में दर्द, पिंपल और उनके दाग-धब्बे की समस्या भी हो सकती है।
- प्री-मेनोपॉज के दौरान एक्सरसाइज के साथ-साथ नई हॉबी जरूर डेवलप करें। यह पेंटिंग, डांसिंग, कुकिंग, म्यूजिक सीखना कुछ भी हो सकता है। यह आपके दिमागी फॉगिंग और प्रेशर को भी कम करने में मदद करती है।
- एक्सपर्ट के मुताबिक, प्री-मेनोपॉज डाइट पर होने का समय नहीं है, बल्कि हेल्दी खाने का है। हेल्दी डाइट से ही हार्मोन्स को संभाला जा सकता है। प्री-मेनोपॉज के दौरान नट्स (मूंगफली),और भीगी किशमिश का सेवन फायदेमंद हो सकता है। साथ ही, छाछ और दही भी लेना सेहत के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है।
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