प्रेग्‍नेंसी में महिलाएं रखेंगी इन 5 प्रॉब्‍लम्‍स पर नजर तो मां और बच्‍चा दोनों रहेंगे हेल्‍दी

अगर आप भी प्रेग्‍नेंट हैं तो आपको प्रेग्‍नेंसी में होने वाली इन प्रॉब्‍लम्‍स के बारे में जानकारी होनी चाहिए।

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कुछ महिलाओं को प्रेग्‍नेंसी के दौरान कोई समस्‍या नहीं होती है और वह बिना किसी जटिलताओं के प्रेग्‍नेंसी के सभी स्‍टेज को पार कर लेती हैं। लेकिन कई महिलाएं ऐसी भी है जिन्‍हें कई तरह के इंफेक्‍शन से जूझना पड़ता है जो उनके साथ-साथ उनके होने वाले शिशु की हेल्‍थ को भी खतरे में डाल देती है। विभिन्न जटिलताओं में पोलियो, सेरेब्रल पाल्सी, समय से पहले जन्म, प्रीक्लेम्पसिया, क्लबफुट और पेट दर्द आदि के नाम लिए जा सकते हैं। नारायण सेवा संस्थान उदयपुर के डॉक्टर अमर सिंह चूंडावत ऐसे ही कुछ बीमारियों और उनसे जुड़ी जटिलताओं के बारे में बता रहे हैं। अगर आप भी प्रेग्‍नेंट हैं तो आपको प्रेग्‍नेंसी में होने वाली इन प्रॉब्‍लम्‍स के बारे में जानकारी होनी चाहिए।

1. सेरेब्रल पाल्सी

वास्तव में, प्रेग्‍नेंसी के पहले दिन से लेकर अंत तक मां और बच्चा साथ बढ़ते हैं, साथ सोते हैं और साथ खाते हैं। यह ऐसा समय है, जब मां को कई तरह के तनाव और दर्द से गुजरना होता है, प्रेग्‍नेंसी के दौरान ऐसे कई लक्षण हैं जो विकसित हो रहे शिशु के ब्रेन को नुकसान पहुंचा सकते हैं और आगे चल कर प्रमस्तिष्क पक्षाघात का कारण बन सकते हैं। सेरेब्रल पाल्सी के विभिन्न प्रकार होते हैं जैसे कि स्पास्टिक सेरेब्रल पाल्सी, डिस्किनेटिक सेरेब्रल पाल्सी, मिक्सड और अटैक्सिक सेरेब्रल पाल्सी। इसमें पेट दर्द होना सामान्य है, हालांकि कुछ मामलों में यह गर्भपात भी कर सकता है। प्रेग्‍नेंसी के अन्य लक्षणों में कमर दर्द, ऐंठन के साथ या बिना ब्‍लीडिंग, 5-20 मिनट का संकुचन, जननांग में तेज ऐंठन, अप्रत्याशित थकान जैसे लक्षण हैं।

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इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ सेरेब्रल पाल्सी की रिपोर्ट के अनुसार देश में लगभग 33,000 लोगों को मस्तिष्क पक्षाघात है। हालांकि, वैश्विक स्तर पर हर 500 जीवित जन्म पर सेरेब्रल पाल्सी का 1 मामला सामने आता है। भारत में सेरेब्रल पाल्सी के 14 में से 13 मामले प्रेग्‍नेंसी या जन्म के बाद पहले महीने में होते हैं।

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2. प्रीक्लेम्पसिया

प्रेग्‍नेंसी के दौरान प्रीक्लेम्पसिया शिशु के विकास को धीमा कर देता है। प्रेग्‍नेंसी के 20 हफ्ते के बाद हाई ब्‍लड प्रेशर का पता चलने पर प्रोटीन्यूरिया यानी यूरिन में प्रोटीन प्रीक्लेम्पसिया का कारण हो सकता है। इसके कई लक्षण है, जैसे प्रीक्लेम्प्लेसाइक सिरदर्द, मतली, सूजन, पेट दर्द और देखने में परेशानी आदि। अगर समय पर निदान किया जाता है, तो मां को उपचार मिल सकता है, अन्यथा यह लिवर की विफलता और हार्ट संबंधी समस्याओं जैसी गंभीर जटिलताओं का कारण बन सकता है।

3. समय पूर्व जन्म

प्रेग्‍नेंसी के 24वें-37वें हफ्ते के बीच पैदा होने वाले बच्‍चों को प्रीटर्म बेबी कहते है। अन्य रिपोर्ट के साथ प्रीटर्म बर्थ पर विश्व स्वास्थ्य संगठन की ग्लोबल एक्शन रिपोर्ट कहती है कि भारत में समय से पहले जन्म दर 3,519,100 है और कुल संख्या का लगभग 24 प्रतिशत। आंकड़ों को देखते हुए, भारत 60 फीसदी के साथ समयपूर्व जन्म में दुनिया के शीर्ष 10 देशों में सबसे ऊपर है।

इस जटिलता से बचने के लिए एक्‍सपर्ट यही सलाह देते है कि महिलाओं को प्रेग्‍नेंसी के दौरान रेगुलर हेल्‍थ चेकअप के लिए जाना चाहिए और समुचित गतिविधि बनाए रखने के लिए लाइफस्‍टाइल में बदलावों पर डॉक्‍टरी सलाह का पूरे तौर पर पालन करना चाहिए।

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4. जन्मजात हृदय दोष

इनमें वे जन्मजात हृदय विकार हैं, जो हार्ट या मेन हार्ट वेसल्‍स के असामान्य गठन से संरचनात्मक समस्याओं का कारण बनता है। विभिन्न प्रकार के जन्मजात हृदय दोष होते हैं जैसे सेप्टल डिफेक्ट, एट्रियल सेप्टल डिफेक्ट वेंट्रिकुलर सेप्टल डिफेक्ट, कंपलीट एट्रियोवेंट्रीकुलर कैनाल डिफेक्ट (सीएवीसी), और वाल्व डिफेक्ट। प्रेग्‍नेंसी के दौरान, हार्ट में इन दोषों के साथ बच्चे का जन्म हो सकता है। डॉक्टर प्रेग्‍नेंसी के दौरान इन विकारों की पहचान कर सकते हैं लेकिन बच्चे के जन्म से पहले निदान संभव नहीं है।

5. क्लबफुट

आज की भागदौड़भरी लाइफस्‍टाइल और स्‍ट्रेस के कारण प्रेग्‍नेंट महिलाओं के गर्भ में पल रहे बच्चे और भी अनेक असामान्यताओं के शिकार हो रहे हैं। ऐसी असामान्यता में से एक क्लबफुट है जो एक जन्मजात आथोर्पेडिक विकार है। यह एक जन्मजात विकलांगता भी है, जिसमें पैर अंदर या बाहर की तरफ मुड़ा हुआ होता है। क्लबफुट के कारण हालांकि, स्पष्ट नहीं हैं पर वैज्ञानिकों का मानना है कि यह गर्भ में एम्नियोटिक द्रव की कमी के कारण है। ध्यान देने योग्य यह है कि एम्नियोटिक द्रव फेफड़ों, मसल्‍स और डाइजेस्टिव सिस्‍टम के विकास में मदद करता है। अंत में, जिन लोगों का पारिवारिक इतिहास इस स्थिति को विकसित करने का रहा है, वे उच्च जोखिम में हैं, इसलिए महिलाओं को पहले से सावधान रहते हुए रेगुलर चेकअप करवाना चाहिए।

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अगर आप भी प्रेग्‍नेंट हैं तो अपनी अच्‍छे से केयर करें। समय-समय पर डॉक्‍टर से अपना चेकअप करवाएं और किसी भी तरह के लक्षणों को नजरअंदाज ना करें।

Source: IANS

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Image Courtesy: Instagram.com (@chhavihussein)



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