हर महीने बदल जाती है पीरियड्स की डेट, तो क्या कोई टेस्ट करवाना चाहिए?

पीरियड्स का सही समय पर आना बहुत जरूरी होता है। अक्सर पीरियड्स की डेट आगे-पीछे होने पर महिलाएं परेशान हो जाती हैं और उनके मन में ख्याल आता है कि क्या इसके लिए कोई टेस्ट करवाना चाहिए। चलिए, इन सवालों के जवाब गायनेकोलॉजिस्ट से जान लेते हैं।
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पीरियड्स यूं तो महिलाओं में हर महीने होने वाला एक नॉर्मल प्रोसेस है। लेकिन, इससे जुड़ी कई ऐसी बातें हैं, जिनकी महिलाओं को खुद जानकारी नहीं होती है। पीरियड्स की डेट आगे-पीछे होने पर महिलाएं अक्सर परेशान हो जाती हैं। अगर आप भी उन्हीं में से हैं, तो आपको अपनी पीरियड साइकिल को सही से समझने की जरूरत है। यहां यह समझना भी जरूरी है कि पीरियड्स को अनियमित कब माना जाएगा? क्या अगर हर महीने पीरियड की डेट बदल जाती है, तो इसे इर्रेगुलर पीरियड्स माना जाएगा या फिर पीरियड्स के स्किप होने को अनियमित पीरियड्स माना जाता है? यह कुछ ऐसे सवाल हैं, तो हर महिला के मन में उठते हैं लेकिन इनके सही जवाब को लेकर महिलाएं अक्सर कंफ्यूज रहती हैं। अग आपके पीरियड्स की डेट हर महीने बदल जाती है...कभी पीरियड्स जल्दी तो कभी देर से आते हैं...और आप इसे लेकर घबरा रही हैं या यह जानना चाहती हैं कि क्या इसके लिए कोई टेस्ट करवाने की जरूरत है, तो चलिए इन सवालों के जवाब डॉक्टर से जान लीजिए।

पीरियड्स की डेट हर महीने बदल जाना नॉर्मल या किसी गड़बड़ी का इशारा?

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  • आमतौर पर एक हेल्दी पीरियड साइकिल 28 दिनों की मानी जाती है। लेकिन, इसका मतलब यह बिल्कुल नहीं है कि 28 दिनों से कम या ज्यादा में अगर पीरियड्स आ रहे हैं, तो यह किसी गड़बड़ी का संकेत है।
  • एक्सपर्ट का कहना है कि अगर आपके पीरियड्स कम से कम 21 दिनों में या ज्यादा से ज्यादा 35 दिनों में आ रहे हैं, तो इसमें घबराने की कोई बात नहीं है और इसे अनियमित पीरियड्स भी नहीं माना जाएगा। ऐसा अक्सर हो सकता है।
  • अगर आपके पीरियड्स 21 दिनों से कम में आ रहे हैं या फिर 35 दिनों से ज्यादा लेट रहे हैं, तो यह सही नहीं है। इसके पीछे स्ट्रेस और शरीर में हार्मोनल इंबैलेंस समेत कई कारण हो सकते हैं।
  • इसके अलावा अगर पीरियड्स में ब्लीडिंग 2 दिन से कम हो रही है या 7 दिनों से ज्यादा हो रही है, तो डॉक्टर को जरूर दिखाएं।

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  • एक्सपर्ट का कहना है कि पीरियड साइकिल हर महिला के लिए अलग हो सकती है। लाइफस्टाइल, स्ट्रेस, नींद की कमी, वजन का घटना या बढ़ना और हार्मोन इंबैलेंस समेत कई कारण आपकी साइकिल को प्रभाविस कर सकते हैं।
  • शरीर में कई हार्मोन जैसे थायराइड, इंसुलिन और प्रोलेक्टिन का लेवल भी आपकी साइकिल की डेट पर असर डालता है।
  • आज के समय में पीसीओएस महिलाओं में पीरियड्स के देर से आने का सबसे बड़ा कारण बन चुका है।
  • अगर आपकी साइकिल 3 महीनों से ज्यादा अनियमित है, ब्लीडिंग बहुत ज्यादा या कम हो रही है, पीरियड्स के बीच स्पॉटिंग हो रही है या पीरियड्स में तेज दर्द हो रहा है, तो आपको डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए और डॉक्टर के बताए टेस्ट करवाने चाहिए।

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एक्सपर्ट का कहना है कि पीरियड साइकिल, फ्लो या डेट से जुड़े किसी भी बदलाव को लेकर कंफ्यूज न हो और किसी मिथ पर यकीन न करें। डॉक्टर की सलाह जरूर लें। अगर आपको स्वास्थ्य से जुड़ी कोई समस्या है, तो हमें आर्टिकल के ऊपर दिए गए कमेंट बॉक्स में बताएं। हम अपने आर्टिकल्स के जरिए आपकी समस्या को हल करने की कोशिश करेंगे।
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Image Credit:Freepik, Shutterstock

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FAQ

  • पीरियड साइकिल कितने दिन की होनी चाहिए?

    पीरियड साइकिल आमतौर पर 28 दिनों की होनी चाहिए। लेकिन, अगर आपके पीरियड्स 21 से 35 दिनों के बीच आ रहे हैं, तो आपको घबराने की जरूरत नहीं है। इसे हेल्दी साइकिल माना जाता है।