आईवीएफ या इनविट्रो फर्टिलाइजेशन बहुत ज्यादा चर्चा में रहता है। आजकल कई लोग इसे ऑप्ट कर रहे हैं। आईवीएफ यानी इनविट्रो फर्टिलाइजेशन का चलन पिछले कुछ सालों में बहुत बढ़ गया है। लोग यह दावा करते हैं कि यह बिना दर्द के हो जाता है। इनविट्रो फर्टिलाइजेशन को असिस्टेड रिप्रोडक्टिव टेक्नोलॉजी (एआरटी) का सबसे प्रभावी रूप माना जाता है। हालांकि, इसे लेकर कई सवाल लोगों के मन में रहते हैं। सबसे पहला तो यही है कि आखिर यह होता क्या है? कई लोग इसके फुल फॉर्म के अलावा इसके बारे में कुछ भी नहीं जानते हैं। 25 जुलाई को वर्ल्ड आईवीएफ डे मनाया जाता है। इस मौके पर हमने सोचा कि क्यों ना आपको इससे जुड़ी कुछ जानकारी दी जाए।
आईवीएफ की तकनीक को पूरी तरह से समझने और उसके बारे आमतौर पर पूछे जाने वाले सवालों के जवाब देने के लिए हमने व्हाइटफील्ड के मनीपाल हॉस्पिटल की आईवीएफ और रिप्रोडक्टिव मेडिसिन की कंसल्टेंट डॉक्टर अरुणिमा हल्दर (Dr. Arunima Haldar, Consultant - IVF & Reproductive Medicine, Manipal Hospital Whitefield) से बात की। डॉक्टर अरुणिमा ने हमें बहुत सारी चीजों के बारे में बताया और IVF से जुड़े मिथकों को दूर करने की कोशिश की।
डॉक्टर अरुणिमा का कहना है कि इनविट्रो फर्टिलाइजेशन समझने से पहले हमें यह समझना होगा कि नेचुरल कन्सेप्शन कैसे होता है।
डॉक्टर अरुणिमा के अनुसार, नेचुरल साइकल में महिलाओं की ओवरीज कई सारे फॉलिकल्स प्रोड्यूस करती हैं जिसमें माइक्रोस्कोप से दिख सकने वाले एग्स निकलते हैं। पीरियड्सआने के दूसरे दिन तक भी अल्ट्रासाउंड में इन एग्स को देखा जा सकता है। ये एग्स हमारे शरीर के हार्मोन्स पर भी असर डालते हैं। जिन एग्स को हमारी ओवरीज रिलीज करती हैं वह फैलोपियन ट्यूब्स तक जाते हैं और इंटरकोर्स के बाद स्पर्म से मिलते हैं। यह पूरा प्रोसेस सिर्फ ओव्यूलेशन पीरियड के दौरान ही होता है। फर्टिलाइजेशन तभी होता है जब एग्स और स्पर्म्स मिलते हैं जिससे एम्ब्रियो बनता है। एम्ब्रियो 5 दिनों तक ग्रो करता है और फिर यूट्रेस में चला जाता है जहां यह एंडोमेट्रियम या यूटेराइन लाइनिंग तक जाता है जिससे प्रेग्नेंसी होती है।
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जब यह प्रोसेस नेचुरली नहीं हो पाता है तब आईवीएफ काम आता है।
क्या होता है आईवीएफ प्रोसेस में?
आईवीएफ प्रोसेस में भी कुछ इसी तरह की चीजें होती हैं, लेकिन फेलोपियन ट्यूब्स वाली स्टेज बाईपास हो जाती है। आईवीएफ प्रोसेस अगर कोई कर रहा है, तो उसके साथ ये स्टेज फॉलो की जाएंगी-
ओवेरियन स्टिम्यूलेशन:
महिलाओं को लगातार 10 दिनों तक इन्जेक्शन्स लगाने होते हैं। ये इन्जेक्शन्स आमतौर पर पेट में लगाए जाते हैं। इन इन्जेक्शन्स की मदद से ओवरीज ज्यादा एग्स प्रोड्यूस करती हैं। आमतौर पर सिर्फ एक ही एग मैच्योर होता है। पर इन्जेक्शन इसलिए लगाए जाते हैं ताकि कई एग्स एक साथ मैच्योर हों जो इनके बिना मर सकते हैं।
एग्स को किया जाता है रिट्रीव:
अब इस प्रोसेस में एग्स को एब्डॉमेन एरिया में जाने से पहले ही एक प्रोसेस के जरिए निकाला जाता है। इसे oocyte retrieval (ऊसाइट रिट्रीवल) कहा जाता है। एक पतली सुई को अल्ट्रासाउंड के जरिए गाइड किया जाता है जो फॉलिकल्स से एग्स को निकाल लेती है। कितने एग्स होंगे वो महिला की उम्र और ओवरी की हेल्थ पर निर्भर करता है।
फर्टिलाइजेशन किया जाता है:
इस प्रोसेस में निकाले गए एग्स को दो घंटे तक कल्चर किया जाता है। फर्टिलाइजेशन साधारण आईवीएफ के जरिए हो सकता है जिसमें बहुत सारे स्पर्म एग्स के साथ मिलाए जाते हैं जिसमें नेचुरल सिलेक्शन हो सके। इसके अलावा, एक प्रोसेस और होता है जिसमें स्पर्म को एक-एक सिंगल एग में फर्टिलाइज किया जाता है। इस प्रोसेस को intracytoplasmic sperm injection (ICSI) (इन्ट्रासाइटोप्लास्मिक स्पर्म इन्जेक्शन) कहा जाता है।इस प्रोसेस में 17 से 24 घंटे लग सकते हैं जिसके बाद zygotes (जाईगोट्स) बनते हैं।
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एम्ब्रियो का होता है डेवलपमेंट:
एक बार सही से फर्टिलाइजेशन हो गया, तो एम्ब्रियो बनते हैं जिन्हें अगले तीन दिन तक मॉनिटर किया जाता है और पांचवे दिन में इन्हें कल्चर किया जाता है। यह उनके डेवलपमेंट स्टेज पर निर्भर करता है। एम्ब्रियो या तो महिला के यूट्रेस में सीधे डाला जा सकता है या फिर उसे फ्रीज किया जा सकता है जिससे डेवलपमेंट स्टेज में भविष्य में यूज किया जा सके।
एम्ब्रियो ट्रांसफर:
अब तीन से पांच दिन बाद सिलेक्टेड एम्ब्रियोज को महिला के यूट्रेस में डाला जाता है। यह प्रोसेस आसान है जिसमें कैथेटर के जरिए एम्ब्रियो को यूट्रेस तक पहुंचाया जाता है।
इस प्रोसेस के 14 दिनों बाद एम्ब्रियो का टेस्ट किया जाता है जिसे आमतौर पर प्रेग्नेंसी टेस्ट माना जाता है। यह ब्लड टेस्ट HCG बेटा टेस्ट होता है जिसमें एम्ब्रियो यूटेराइन लाइनिंग में सही तरह से चला गया या नहीं यह देखा जाता है। यही प्रेग्नेंसी का संकेत होता है।
इनफर्टिलिटी से डील कर रहे कई जोड़े IVF का तरीका अपना सकते हैं जहां उन्हें लैबोरेटरी के माहौल में सही फर्टिलाइजेशन मिलता है। इससे प्रेग्नेंसी की गुंजाइश बढ़ जाती है।
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