दौड़ती-भागती दुनिया के साथ सामंजस्य बिठाने की कोशिश में अक्सर हम खुद के साथ अपना तारतम्य खो बैठते हैं। जीवन की आपाधापी ने हमारी रातों की नींद और दिन का चैन पूरी तरह से चुरा लिया है। देर रात काम करने के बाद, वापस सुबह जल्दी उठने की जल्दबाजी में हम ठीक से नींद तक नहीं ले पाते हैं और यही लापरवाही कहीं न कहीं हमारी सेहत पर भारी पड़ रही है।
बदलती जीवनशैली का सबसे अधिक नकारात्मक प्रभाव हमारी सेहत पर पड़ा है और इसकी एक बड़ी वजह खराब स्लीपिंग पैटर्न है। दरअसल, स्लीपिंग पैटर्न में आया बदलाव हमारे शरीर की पूरी कार्यप्रणाली नकारात्मक प्रभाव पड़ता है और इसके चलते कई सारी शारीरिक और मानसिक समस्याएं जन्म लेती हैं। इस आर्टिकल में हम आपको खराब स्लीपिंग पैटर्न के कारण सेहत पर पड़ने वाले नकारात्मक प्रभाव के बारे में विस्तार से बता रहे हैं।
नींद में आई कमी या खराब स्लीपिंग पैटर्न के कारण अक्सर लोग मोटापे का शिकार होते हैं। दरअसल, खराब स्लीपिंग पैटर्न का सीधा असर आपके मेटाबॉलिज्म पर पड़ता है और इससे अनियंत्रित तरीके से वजन बढ़ने की समस्या पेश आती है। इसके साथ ही स्लीपिंग पैटर्न में आए बदलाव के चलते शरीर में घ्रेलिन और लेप्टिन जैसे हार्मोन का असंतुलन बढ़ता है। चूंकि ये हार्मोन भूख को नियंत्रित करते हैं, ऐसे में इनके असंतुलित होने की स्थिति में व्यक्ति को आवश्यकता से अधिक खाने की इच्छा जागती है। वहीं अधिक भूख के चलते लिया गया आहार, वजन को बढ़ाता है।
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नींद पूरी न होने की स्थिति में बहुत सारे लोगों को हाइपरटेंशन की समस्या भी पेश आती है। असल में शरीर का ब्लड प्रेशर सामान्य रहने के लिए नींद और आराम जरूरी होता है, पर अगर किसी वजह से नींद पूरी नहीं हो पाती है तो ऐसे में शरीर का ब्लड प्रेशर सामान्य नहीं हो पाता है। इसके चलते हाइपरटेंशन की समस्या होती है, जिसमें व्यक्ति को सीने में दर्द, सांस लेने में तकलीफ और एंग्जाइटी महसूस होती है।
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खराब स्लीपिंग पैटर्न के कारण शरीर में कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ता है और कोलेस्ट्रॉल बढ़ने के कारण हृदय संबंधी रोगों क खतरा भी बढ़ जाता है। इस तरह से खराब स्लीपिंग पैटर्न के चलते हार्ट अटैक से लेकर दिल की दूसरी गंभीर बीमारियों की संभावना भी बढ़ जाती है।
खराब स्लीपिंग पैटर्न का हमारी मानसिक सेहत पर सीधा नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। स्लीपिंग पैटर्न में आए बदलाव के कारण शरीर में सेरोटोनिन और डोपामाइन जैसे हैप्पी हार्मोन का असंतुलन बढ़ता है और चूंकि ये हार्मोन न्यूरोट्रांसमीटर का काम करते हैं। इसलिए इनमें आई गड़बड़ी मानसिक विकारों को जन्म देती है। बता दें कि खराब स्लीपिंग पैटर्न के कारण बेवजह उदासी, मूड स्विंग से लेकर डिमेंशिया और अल्जाइमर जैसी गंभीर मानसिक बीमारियां हो सकती हैं।
नींद की कमी के कारण इम्यूनिटी पर भी नकारात्मक असर पड़ता है। ऐसे में जैसे ही आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर पर पड़ती है, दूसरी बीमारियों का खतरा भी बढ़ जाता है।
जी हां, मेडिकल क्षेत्र में किए गए सर्वे बताते हैं कि पर्याप्त नींद न लेना या खराब स्लीपिंग पैटर्न में आई गड़बड़ी से ब्रेस्ट और प्रोस्टेट कैंसर का खतरा बढ़ सकता है। दरअसल, नींद में कमी के चलते शरीर की कोशिकाओं की मरम्मत और पुर्निमाण में बाधा उत्पन्न होती है, जिससे कैंसर का जोखिम बढ़ता है।
इस तरह से देखा जाए तो कम नींद लेना एक तरह से खुद को शारीरिक और मानसिक जोखिम में डालना है। इसलिए सेहतमंद रहने के लिए कम से कम 7-8 घंटे की नींद आवश्यक मानी जाती है। हमारी भी आपके लिए यही सलाह है कि आप हर रोज पर्याप्त नींद लें और साथ ही अपनी स्लीपिंग पैटर्न का खास ध्यान रखें। इसके लिए आपको सोने और जागने के लिए एक निश्चित समय का निर्धारण करना होगा। स्लीपिंग पैटर्न में किया गया सकारात्मक बदलाव आपको मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ रखने में मददगार साबित होगा।
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