कोई भी शादीशुदा जोड़ा जब जिंदगी को आगे बढ़ाने और एक नन्ही सी जान को दुनिया में लाने का फैसला लेता है, तो यह बेशक एक अलग एहसास होता है। पेरेंट्स बनना किसी भी कपल के लिए एक बड़ा फैसला होता है और यह जिंदगी का एक खूबसूरत पड़ाव भी होता है। कई कारणों के चलते, किसी भी कपल को कंसीव करने में मुश्किल आ सकती है। कुछ महिलाएं बड़ी आसानी से कंसीव कर लेती हैं। वहीं, कुछ महिलाओं को इसमें दिक्कत का सामना करना पड़ता है और इसी वजह से इसके लिए एक लंबा इंतजार करना पड़ जाता है। फर्टाइल डेज के बारे में जानकारी न होना, सेक्शुअल रिलेशन से जुडे़ मिथ्स पर यकीन करना और अनहेल्दी हैबिट्स के चलते, कंसीव करने में मुश्किल आ सकती है। हमारी रोजमर्रा की जीवनशैली में कई ऐसी आदते हैं, जो फर्टिलिटी पर असर डालती हैं। जी हां, जह एक तरफ हेल्दी हैबिट्स से कंसीव करने के चांसेज बढ़ जाते हैं। वहीं, दूसरी तरफ खान-पान और लाइफस्टाइल से जुड़ी अनहेल्दी हैबिट्स, फर्टिलिटी को नुकसान पहुंचा सकती हैं। आपकी कौन-सी आदतें, मां बनने में मुश्किल पैदा कर सकती हैं, इस बारे में एक्सपर्ट से जानते हैं। यह जानकारी डाइटिशियन मनप्रीत दे रही हैं। उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी से न्यूट्रिशन्स में मास्टर्स किया है। वह हार्मोन और गट हेल्थ कोच हैं।
फर्टिलिटी को नुकसान पहुंचा सकती हैं ये आदतें
- महिलाओं के खान-पान का असर, उनकी रिप्रोडक्टिव हेल्थ, ओव्युलेशन और एग क्वालिटी पर भी होता है। वेजिटेबल ऑयल में खाना बनाने से शरीर में हार्मोनल इंबैलेंस और इंफ्लेमेशन हो सकता है। इसके कारण, रिप्रोडक्टिव फंक्शन डिस्टर्ब होता है और फर्टिलिटी पर बुरा असर होता है।
- आजकल नाश्ते में प्रोसेस्ड सीरियल खाना काफी चलन में है। लेकिन, असल में ये सेहत को नुकसान पहुंचाते हैं। इनकी वजह से इंसुलिन रेजिस्टेंस बढ़ सकती है। इसके चलते महिलाओं को ओवरी से जुड़े डिसऑर्डर हो सकते हैं और पुरुषों में स्पर्म क्वालिटी खराब हो सकती है।
- लंबे समय तक बैठे रहने और फिजिकली कम एक्टिव होने के कारण भी शरीर में हार्मोनल इंबैलेंस हो सकता है। इसका असर फर्टिलिटी पर होता है।
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- अगर आप बहुत अधिक मात्रा में शुगर खाती हैं, तो इसकी वजह से पीरियड्स अनियमित हो सकते हैं और ओवरी के फंक्शन्स पर असर होता है। यह पुरुषों की स्पर्म क्वालिटी पर भी असर डालता है।
- स्ट्रेस की वजह से रिप्रोडक्टिव हार्मोन जैसे प्रोजेस्टेरोन और एस्ट्रोजन पर असर होता है। इसकी वजह से लिबिडो में भी कमी आ सकती है।
- बहुत अधिक प्लास्टिक के इस्तेमाल से भी शरीर में टॉक्सिन्स बढ़ सकते हैं। प्लास्टिक की बोतल में पानी पीना या प्लास्टिक कंटेनर्स का अधिक इस्तेमाल, हार्मोन्स पर बुरा असर डालता है। इसकी वजह से रिप्रोडक्टिव सेल्स पर बुरा असर होता है।
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कंसीव करने में मुश्किल न हो, इसके लिए महिलाओं को हेल्दी आदतों को अपनाने के साथ, अपने फर्टाइल डेज के बारे में पता होना भी बहुत जरूरी है। अगर आपको स्वास्थ्य से जुड़ी कोई समस्या है, तो हमें आर्टिकल के ऊपर दिए गए कमेंट बॉक्स में बताएं। हम अपने आर्टिकल्स के जरिए आपकी समस्या को हल करने की कोशिश करेंगे।
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Image Credit:Freepik, Shutterstock
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