इन दिनों मौसम में काफी उतार चढ़ाव हो रहा है। दोपहर के समय गर्मी और रात में हल्की ठंड रहती हैं। इस मौसम का सबसे ज्यादा प्रभाव बच्चों की हेल्थ पर पड़ता है। क्योंकि मौसम का बदलता मिजाज बच्चों की health के लिए बेहद sensitive है। चिकित्सकों के अनुसार इस तरह के मौसम में बच्चों में डायरिया का खतरा बढ़ जाता है। वैसे तो पूरे साल इसका खतरा रहता है परंतु ठंड में अधिक बढ जाता है ये बीमारी नवजात से लेकर पांच साल तक के बच्चों में अधिक होता है।
सर्दियों में उल्टी और दस्त गर्मी के मुकाबले ज्यादा खतरनाक होती हैं क्योंकि इसकी मुख्य वजह ठंड होती है। बॉडी के अंदर का तापमान कम होने से उल्टी और दस्त की शिकायत हो जाती है। छोटे बच्चे और बुजुर्ग इसकी चपेट में सबसे ज्यादा आते हैं। मौसम में आए बदलाव के बीच बच्चों में diarrhea, loose motion, पेट में इंफेक्शन जैसी शिकायतें सामने आने लगती हैं। दस्त के साथ vomiting पेट में इंफेक्शन का संकेत हो सकते हैं, इसलिए सावधान रहें। बच्चे के ज्यादा प्यास लगने, जीभ सूख जाने, आंखे धंसना और लगातार रोना dehydration का संकेत हो सकते हैं। आज स्वामी परमानंद प्राकृतिक चिकित्सालय योग एवं अनुसंधान केन्द्र की आयुर्वेदिक Dr. Durga Arod (RMO) हमें डायरिया में अपने बच्चों की देखभाल के टिप्स बता रही हैं।
ज्यादा से ज्यादा लिक्विड दें
अपने बच्चे को ज्यादा से ज्यादा liquids दें जैसे बिना चीनी के फ्रूट जूस। हर बार मोशन के बाद पानी की कमी को पूरा करने के लिए कम से कम एक कप लिक्विड जरूर दें। डायरिया होने पर शरीर के अंदर से तरल व मिनरल लवण बाहर निकलते हैं। इनकी कमी को पूरा करने के लिए ओआरएस का घोल अपने बच्चे को पिलाएं।
Breastfeeding कराएं
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Breastfeeding करने वाले बच्चे को केवल breastfeed ही कराएं। इससे उसे बैक्टीरियल, वायरल और डायरिया से लड़ने में शक्ति मिलती है। लेकिन ध्यान रहें कि बच्चे को जबरदस्ती feeding ना कराएं। उसे जब भूख लगे, तब ही फीडिंग कराएं।
High-potassium डाइट दें
डायरिया में बच्चे को high-potassium फूड्स और liquids खाने को दें। High-potassium डाइट में पतला फलों का रस, आलू और केला खाने का दें। केले में पेक्टिन नामक तत्व intestine के आस-पास एक सुरक्षात्मक परत का निर्माण करता है तथा intestine में मौजूद ज्यादा लिक्विड को सोखता है।
दही और चावल
डायरिया होने पर बच्चों को दही खिलाएं। यह आसानी से पच जाता है और पेट को भी ठंडक देता है। साथ ही इसमें पाया जाने वाला बैक्टीरिया दस्त रोकने में help करते है। क्योंकि बैक्टीरिया दस्त से छुटकारा पाने के लिए लैक्टिक एसिड उत्पन्न करता है तथा intestine को एक सुरक्षात्मक कवच देता है। डायरिया के उपचार में चावल बहुत कारगर होता है। चावल intestine की गति को कम करके दस्त को बांधता है।
बच्चों में डायरिया bacteria, viruses आदि के कारण होता है। इसके अलावा किसी विशेष आहार से एलर्जी के कारण भी बच्चों को डायरिया हो सकता है। यूं तो डायरिया एक से दो दिन में ठीक हो जाता है। लेकिन अगर ऐसा ना हो तो बच्चे को डॉक्टर को दिखाने में देरी न करें। ...और हां एक बात और, बच्चे को हमेशा साफ पानी पीने को दें।
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