6 घंटे से कम की नींद लेती हैं तो संभल जाए, हो सकता है ये सिंड्रोम

एक रिसर्च के अनुसार, 6 घंटे से कम की नींद मेटाबॉलिक सिंड्रोम से ग्रस्‍त लोगों में मौत के जोखिम को दोगुना कर सकती है।

  • Pooja Sinha
  • Her Zindagi Editorial
  • Updated - 2017-10-05, 12:36 IST
insomnia in hindi main inside

लड़कियों की आदत होती है कि वह देर रात तक मोबाइल पर लगी रहती है और सोते-सोते उन्‍हें बहुत देर हो जाती है। ऐसे में वह अपनी नींद पूरी नहीं कर पाती हैं। अगर आप भी देर रात तक जागती हैं, यानी पूरी नींद नहीं ले पाती हैं, तो सावधान हो जाएं। एक रिसर्च के अनुसार, 6 घंटे से कम की नींद मेटाबॉलिक सिंड्रोम से ग्रस्‍त लोगों में मौत के जोखिम को दोगुना कर सकती है। इस रिसर्च को 'अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन' मैग्जीन में पब्लिश किया गया।

मेटाबॉलिक सिंड्रोम

मेटाबॉलिक सिंड्रोम अपने आप में कोई बीमारी नहीं है। दरअसल, यह जोखिम कारकों का एक समूह है- हाई ब्‍लड प्रेशर, डायबिटीज़, unhealthy कोलेस्‍ट्रॉल की मात्रा और मोटापा, आदि मिलकर मेटाबॉलिक सिंड्रोम बनते हैं। यानी मेटाबोलिक सिंड्रोम डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर और मोटापे का मिला-जुला रूप है।

अगर आपको इनमें से कम से कम तीन लक्षण दिखाई दें, तो समझ जाइए कि आप मेटाबॉलिक सिंड्रोम की शिकार हो सकते हैं। बेशक, इनमें से कोई भी जोखिम कारक होना अच्‍छा नहीं माना जाता, लेकिन जब ये सभी रोग एक साथ हो जाते हैं, तो आपको काफी तरह की बीमारियां दे सकते हैं। ये जोखिम कारक आपकी blood vessels पर प्रेशर बढ़ा देते हैं, जिससे आपको दिल की बीमारियां होने का खतरा भी बढ़ जाता है। आगे चलकर यही परिस्थितियां heart attack और स्‍ट्रोक का कारण बन सकती हैं। ये जोखिम कारक आपमें डायबिटीज का खतरा पांच गुना तक बढ़ा देते हैं।
insomnia in hindi main insiide

Image Courtesy: Shutterstock.com

क्‍या कहती है रिसर्च

रिसर्च के मुताबिक, मेटाबॉलिक सिंड्रोम से पीड़ित लोग अगर 6 घंटे से अधिक की नींद लेते हैं, तो उन्हें स्ट्रोक के कारण मौत का जोखिम करीब 1.49 गुना अधिक होता है। इसके उलट 6 घंटे से कम सोने वालों को हार्ट डिजीज से मौत का जोखिम 2.1 फीसदी अधिक होता है।

शोधकर्ताओं ने बताया कि मेटाबॉलिक सिंड्रोम से पीड़ित कम नींद लेने वालों को बगैर मेटाबॉलिक सिंड्रोम से पीड़ित लोगों की तुलना में किसी भी कारण से 1.99 फीसदी अधिक मौत का जोखिम होता है। यूनिवर्सिटी ऑफ पेंसिलवेनिया से असिस्टेंट प्रोफेसर और इस अध्ययन के मुख्य लेखक, जूलियो फर्नांडीस-मेंडोजा ने कहा, "अगर आप हार्ट डिजीज़ के जोखिम से गुजर रहे हैं तो अपनी नींद का ध्यान रखें और अगर आप नींद की कमी से ग्रस्त हैं तो इस जोखिम से बचने के लिए डॉक्टर से सलाह लें।"

HzLogo

HerZindagi ऐप के साथ पाएं हेल्थ, फिटनेस और ब्यूटी से जुड़ी हर जानकारी, सीधे आपके फोन पर! आज ही डाउनलोड करें और बनाएं अपनी जिंदगी को और बेहतर!

GET APP