यूट्रस में ब्लड फ्लो की कमी का हुआ आयुर्वेदिक उपचार और 34 की उम्र में ममता बनीं मां, जानें कैसे

अगर आपको भी मां बनने में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है, तो आप ममता की मां बनने की सक्सेस स्टोरी को एक बार जरूर पढ़ें, हो सकता है कि इसमें बताए आयुर्वेद‍िक उपचार आपके भी काम आ जाएं। 
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मुंबई जैसे शहर में जहां सभी लोग अपने सपनों को साकार करने के लिए संघर्ष कर रहे होते हैं और जिंदगी की भागदौड़ में अपना ख्याल रखना भूल जाते हैं। इसी मुंबई शहर के अंधेरी में रहने वाली ममता शादी के 5 साल बाद भी मां नहीं बन पा रही थीं। उनकी उम्र 34 वर्ष हो चुकी थी, लेकिन मातृत्व सुख के अभाव में उन्हें अपनी जिंदगी अधूरी लगती थी। उन्होंने कई बार टेस्ट कराया, लेकिन कोई खास वजह समझ नहीं आ रही थी। ऐसे में आशा आयुर्वेदा के मुंबई सेंटर की डायरेक्टर और गायनेकोलॉजिस्ट डॉक्‍टर चंचल शर्मा ने उनकी मदद की।

डॉक्‍टर ने कहा, ''बड़े शहरों में निःसंतानता की समस्या बहुत तेजी से बढ़ रही है। लेकिन, आपको परेशान होने की जरूरत नहीं हैं, क्‍योंकि उनके क्लिनिक के सभी ब्रांच भारत के बड़े शहरों में हैं औरउनके पास कई ऐसे मरीज आते हैं, जिनको शादी के बाद कई प्रयासों के बावजूद संतान सुख की प्राप्ति नहीं हो पाती है। इसमें से कुछ कपल्स ऐसे भी होते हैं, जिनको असल कारण का पता भी नहीं होता है और वह परेशान हो रहे होते हैं। ऐसी ही कंडीशन में ममता, आशा आयुर्वेदा के मुंबई सेंटर पर आई थी।''

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यूट्रस में ब्लड फ्लो की कमी का आयुर्वेदिक उपचार क्‍या है?

  • डॉक्‍टर चंचल शर्मा ने ममता की मेडिकल हिस्ट्री को आराम से सुना, सभी रिपोर्ट्स देखी और इस नतीजे पर पहुंचीं कि उनके यूट्रस में ब्लड फ्लो की कमी थी। यूट्रस के अंदर की कंडीशन शिशु के जन्म के लिए सही नहीं थी। इसलिए, कई बार प्रयास करने के बावजूद वह कंसीव नहीं कर पा रही थीं।
  • आयुर्वेद के अनुसार, ब्लड फ्लो की कमी शरीर के अंदर वात और पित्त दोष के कंट्रोल के बिगड़ने के कारण होती है। ममता की कंडीशन देखते हुए उनको आयुर्वेदिक दवाई दी गई।
  • साथ ही, उनका पंचकर्म थेरेपी किया गया, जिससे यूट्रस के आस-पास के एरिया में ब्‍लड सर्कुलेशन अच्‍छी तरह से हुआ और इससे उन्‍हें कंसीव करने में मदद मिली।
  • ममता की डाइट में भी कुछ बदलाव किया गया। ट्रीटमेंट के दौरान उन्होंने सिर्फ हेल्दी खाना खाया। डाइट में सभी पोषक तत्वों, आयरन आदि को शामिल किया गया।
  • डाइट के अलावा, कुछ योगासन करने की सलाह भी दी गई। कुछ स्‍पेशल योगासन जैसे कि बद्ध कोणासन, विपरीत करणी आसन, भुजंगासन और अधोमुख श्वानासनकरने से यूट्रस के आस-पास का ब्‍लड सर्कुलेशन सही होता है।
  • करीब दो महीने तक इलाज करवाने के बाद उनकी कंडीशन में सुधार हो गया था और अल्ट्रासाउंड की रिपोर्ट्स नॉर्मल आई।
  • डॉक्टर की सलाह पर उन्होंने फिर से मां बनने का प्रयास किया और इस बार उन्हें सफलता भी मिली।
  • उन्होंने डॉ चंचल शर्मा को अपनी प्रेग्‍नेंसी के बारे में बताया और अगले 9 महीने तक आयुर्वेदिक उपचार के तहत ही उनकी देखभाल की गई। नौ महीने बाद उन्होंने एक प्यारे से बच्चे को जन्म दिया।
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ममता की तरह न जाने और कितने पेरेंट्स होंगे, जिन्हें संतान सुख से वंचित रहना पड़ता है और वास्तविक कारणों का पता भी नहीं चल पाता है। ऐसी महिलाएं आयुर्वेदिक गायनेकोलॉजिस्ट की सलाह ले सकती हैं, क्‍योंकि इसका कोई साइड इफेक्ट्स नहीं है और सक्सेस रेट भी अन्य उपायों के मुकाबले ज्यादा अच्छी है।

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