प्रेग्नेंसी प्लान करने के लिए ले रही हैं फर्टिलिटी ट्रैकिंग एप्स की मदद...क्या गर्मियों में सटीक होता है इनका रिजल्ट, डॉक्टर से जानें

कंसीव करना कुछ कपल्स के लिए आसान तो कुछ के लिए मुश्किल हो सकता है। इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं। आजकल कई महिलाएं प्रेग्नेंसी प्लान करने के  फर्टिलिटी एप्स की मदद ले रही हैं। क्या गर्मियों में इनका रिजल्ट सटीक होता है, चलिए एक्सपर्ट से समझते हैं।
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आज के डिजिटल युग में महिलाएं अपनी पीरियड साइकिल को मॉनिटर करने, ओव्युलेशन की डेट जानने और प्रेग्नेंसी को प्लान करने के लिए, फर्टिलिटी ट्रैकिंग एप्स की मदद ले रही हैं। ये एप्स यूजर डाटा जैसे साइकिल की लंबाई, बेसल बॉडी तापमान (BBT), सर्वाइकल म्यूकस के बदलाव और हार्मोनल लेवल को समझकर, महिलाओं को अपनी पीरियड साइकिल, फर्टिलिटी और प्रेग्नेंसी प्लान करने के लिए सही दिनों के बारे में जानकारी देते है। हालांकि, मौसम में बदलाव का असर इन एप्स पर भी होता ह। क्या गर्मियों में इन एप्स का रिजल्ट सटीक होता है, चलिए एक्सपर्ट से समझते हैं। इस बारे में Dr. Jalagam Kavya Rao, MBBS, MS OBG, FRM, FIGL, Regional Medical Head & Fertility Specialist, Oasis Fertility, जानकारी दे रहे हैं।

क्या गर्मियों में सटीक होता है फर्टिलिटी ट्रैकिंग एप्स का रिजल्ट?

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  • एक्सपर्ट का कहना है कि बाहरी कारक जैसे तापमान, सूरज की रोशनी में रहना और लाइफस्टाइल में बदलावों का असर, हार्मोन्स और हमारे शरीर पर होता है।
  • गर्मियों में महिलाओं का काफी समय घर से बाहर, सूरज की रोशनी में बीतता है और इसकी वजह से फिजिकल एक्टिविटी, स्लीप पैटर्न और डाइट में काफी बदलाव होते हैं। इनका सीधा असर, हार्मोन्स और ओव्युलेशन के समय पर होता है।
  • इससे दिलचस्प बात यह है कि गर्मी असल में फर्टिलिटी को सपोर्ट करती है। यह मौसम नेचुरली हमारी बॉडी की बायोलॉजिकल रिदम को सपोर्ट करता है। लंबे दिन और सूरज की रोशनी में अधिक समय बिताने से मेलाटोनिन और सेरोटोनिन को कंट्रोल करने में मदद मिलती है। ये हार्मोन मेंस्ट्रुल हेल्थ के लिए बहुत जरूरी होते हैं।
  • इन हार्मोन्स का बैलेंस, ओव्युलेशन के समय को समझना आसान बनाता है। इसके अलावा, गर्मियों में अक्सर महिलाए अपने खान-पान और सेल्फ-केयर पर ज्यादा ध्यान देती हैं। ऐसे में रिप्रोडक्टिव हेल्थ में सुधार होता है।

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  • इस समय पर हाइड्रेट रहने, नेचर में अधिक वक्त बिताने, फ्रेश खाना खाने और एंटी-ऑक्सीडेंट्स से भरे सीजनल फ्रूट्स को डाइट में शामिल करने से फर्टिलिटी में सुधार होता है।
  • इन हेल्दी आदतों के कारण, फर्टाइल विंडो को पहचानने के लिए बॉडी के जरूरी संकेत जैसे सर्वाइकल म्यूकस के बदलाव और एनर्जी में उतार-चढ़ाव को समझने में मदद मिलती है।
  • ये एप मुख्य तौर पर बीबीटी यानी बेसल बॉडी टेम्परेचर पर निर्भर करते हैं और यह तापमान वातावरण और नींद से प्रभावित होता है।
  • गर्म रातों में नींद आने में मुश्किल होती है और इसकी वजह से बीबीटी रीडिंग पर भी असर होता है।
  • जो एप्स, कई कारकों जैसे बीबीटी, सर्वाइकल म्यूकस, मूड, स्लीप क्वालिटी और हार्मोन लेवल पर निर्भर होते हैं, उनकी रीडिंग काफी हद तक सटीक रहती है।

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प्रेग्नेंसी प्लान करते वक्त फर्टिलिटी एप्स आपकी काफी मदद कर सकते हैं। हालांकि, इनके इस्तेमाल का सही तरीका मालूम होना जरूरी है। अगर आपको स्वास्थ्य से जुड़ी कोई समस्या है, तो हमें आर्टिकल के ऊपर दिए गए कमेंट बॉक्स में बताएं। हम अपने आर्टिकल्स के जरिए आपकी समस्या को हल करने की कोशिश करेंगे।
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Image Credit:Freepik, Shutterstock

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