भारतीय महिलाओं को गहने पहनने का बहुत क्रेज है। इसलिए यहां आपको कदम-कदम नए आभूषण देखने का अवसर मिल सकता है। बात अगर दक्षिण भारत की हो तो यहां की महिलाएं बहुत ही ट्रेडिशनल होती हैं और इन ज्वेलरी को किसी न किसी धार्मिक या सामाजिक घटना या कथा से जोड़ा जाता है। ऐसी ही सामाजिक रीति से जुड़ी है पुलिनखम माला की कहानी। आज हम आपको इस आर्टिकल में दक्षिण भारतीय इस ज्वेलरी के महत्व के बारे में बताएंगे और इसके कुछ डिजाइंस भी दिखाएंगे।
क्या होता है पुलिनखम का अर्थ ?
पुलिनखम का मतलब है बाघ के नाखून। यह माला भी ऐसी ही नजर आती है। इस माला में बाघ के नाखूनों की तरह घुमावदार पेंडेंट होते है और यह पूरी माला को कवर करते हैं। इस माला में एक मेन पेंडेंट होता है और उसके आस-पास बहुत सारे छोटे-छोटे पेंडेंट होते हैं।
क्या है इस डिजाइन का महत्व?
यह हार दक्षिण भारत के केरल में सबसे ज्यादा पहना जाता है और इसके पीछे जो महत्व बताया गया है, वह बहुत दिलचस्प है। दरअसल, यह माला केरल में शादी के वक्त दुल्हन को पहनाई जाती है, ताकि वह दूल्हे के घर में सुख और समृद्धि लेकर जाए। इस माला को पीढ़ियों दर पीढ़ियों आगे बढ़ाया जाता है और महिलाएं घर में आने वाली नई बहु को यह हार सौंप देती हैं।
कैसा दिखता है यह हार?
इसकी बनावट थोड़ी अलग होती है, सोने की धातु से बने इस हार में पन्ना और रूबी भी लगे होते हैं। यह दोनों ही प्रेशियस स्टोन हैं और इसे ज्योतिष से भी जोड़ा जाता है। ऐसा माना जाता है कि इन दोनो पत्थरों के पन्ना को बुध ग्रह से जोड़ा जाता है और रूबी को मंगल ग्रह से। इससे यह दोनों ही ग्रह शांत रहते हैं और नई बहु घर में खुशहाली लेकर आती है। इसके मुख्य पेंडेंट और छोटे-छोटे पेंडेंट्स में भी लक्ष्मी, गणेश, शिव और पार्वती आदि की प्रतिमाएं बनी होती हैं। इस लिहाज से यह हार टेम्पल ज्वेलरी का भी एक स्वरूप कहा जा सकता है। वैसे इस डिजाइंस को दक्षिण भारतीय भाषा में मुगप्पु कहा जाता है।
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ज्वेलरी ट्रेंड्स में पुलिनखम माला का स्थान?
पहले के समय में इस माला को ज्वेलरी क्राफ्ट में निपुण कारीगर अपने हाथों से बनाते थे और यह हार केवल सोने की धातु में आता था, मगर अब इसे डाई-कास्ट तकनीक के माध्यम से बनाया जाता है और यह कई तरह के मेटल में आपको बाजार में मिल जाएगा। अब तो प्रेशियस स्टोन के साथ इसमें आपको मीनाकारी का कामवध् भी देखने को मिल जाएगी, जो हार को और भी ज्यादा खूबसूरत बनाती है। अब इसमें नीले रंग का भी इस्तेमाल किया जाने लगा है। हालांकि पारंपरिक पुलिनखम हार हरा होता था, लेकिन आज के समय में यह हार में कोई भी रंग मिल सकता है। बीच में हरे पत्थर के साथ छोटा गोल पेंडेंट और माणिक पत्थरों को भी इसमें लगाया जाता है। इस हार के साथ अब मैचिंग झुमके भी मिल जाते हैं, जो आपको फैशनेबल लुक दे सकते हैं। एक पारंपरिक हार में 27 नख होते हैं। ऐसा कहा जाता है कि महिलाएं जितना लंबा और नख वाला हार पहनती हैं, उतना ही शुभ होता है।
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