herzindagi
interesting facts about mughal art meenakari pic

Mughal Art: मुगलई विरासत का खूबसूरत हिस्‍सा रही मीनाकरी का फैशन इंडस्‍ट्री में योग्‍यदान

मीनाकारी हस्‍त शिल्‍प कला को आपने कई आभूषणों की सुंदरता बढ़ाते देखा होगा, मगर आज इसकी विशेषता और महत्‍व के बारे में भी जान लें। 
Editorial
Updated:- 2024-05-14, 20:06 IST

भारत का इतिहास बहुत ही समरद्ध है। इसे समरद्ध बनाने में मुगलों का भी बहुत बड़ा हाथ है। जब मुगल भारत आए तो वो अपने साथ केवल तानशाही ही नहीं लाए बल्कि खुबसूरत कला, संस्‍कृति और फैशन भी लेकर आए थे। मुग्‍लों के काल में न जानें कितनी ही वास्‍तु कला और हस्‍तशिल्‍प कलाओं को जन्‍म मिला और उनकी लोकप्रियता परवान चढ़ी। इन्‍हीं में से एक थी मीनाकारी। 

मीनाकारी कला का इतिहास वास्तव में बहुत प्राचीन है और यह विविधताओं के साथ विकसित हुई  है। इस कला को फ़ारसी संस्कृति का योगदान भी माना जा सकता है और उसका प्रभाव आज भी दिखाई देता है।

सबसे पहले मीनाकारी की कला दिल्‍ली आई और इसे ज्‍वेलरी, राजाओं के ताज और लकड़ी के सामान में किया जाने लगा। इसके बाद जब मुगलों ने अपनी राजधानी आगरा को बनाया तब महलों की दीवारों में भी मीनाकारी वर्क किया जाने लगा। मुगलों के व्‍यवसायिक संबंध जब राजपूतों से जुड़े तो यह कला आगरा से जयपुर चली गई। 

राजा मान सिंह द्वारा मुगल राजाओं से मीनाकारों को जयपुर भेजने का अनुरोध किया गया और तब से लेकर अब तक मीनाकारी जयपर में बहुत ही खुबसूरती से रच बस गई। जयपुर में इस कला को संगमरमर के पत्‍थरों पर भी किया जाने लगा। मीनाकारी ने  राजस्थानी संस्कृति में एक अनूठा आयाम जोड़ दिया और भारत में  मीनाकारी कला को भी एक नई  दिशा प्रदान की। जयपुर अब भारतीय मीनाकारी कला का महत्वपूर्ण केंद्र है, जहां यह कला अपनी समृद्ध और विशिष्ट परंपरा के साथ आज भी पैर पसार रही है। 

चलिए आज हम आपको मीनाकारी हस्‍त कला के बारे में विस्‍तारे से जानकारी देते हैं। हम आपको बताएंगे कि कैसी मुगल काल से लेकर अब तक यह कला फैशन इंडस्‍ट्री में अपनी एक विशेष जगह बना चुकी है और इसके स्‍वरूप में कितने सारे बदलाव आ चुके हैं। 

mughal art meenakari

क्‍या है मीनाकारी कला? 

मीनाकारी एक ऐसी शिल्पकला है, जो धातु, पत्‍थर और कपड़ों पर भी की जाती है और अपने चमकीले रंगों, पैटर्न और डिजाइनों से उन्‍हें जीवंत अंदाज देती है।  ऐसा माना जाता है कि इस शिल्प की उत्पत्ति फारस शहर में हुई थी और 16वीं शताब्दी में यह मुगलों के साथ भारत आई थी । ऐसा भी सुनने को मिलता है कि मुगल सम्राट अकबर ने मीनाकारी को भारत में लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी और यह उनके शासनकाल के दौरान फली-फूली थी।

यह विडियो भी देखें

क्‍या है मीनाकारी कला का महत्‍व? 

प्रारंभ में, मीनाकारी कला का प्रयोग दीवारों, छतों और यहां तक कि सिंहासनों सहित मुगल महलों के अंदरूनी हिस्सों को सजाने के लिए किया जाता था। समय के साथ, यह आभूषणों, बर्तनों और अन्य धातु की वस्तुओं के लिए एक सजावटी कला के रूप में विकसित हुई। मुगल काल में ही यह कला वाराणसी पहुंची और बनारसी सिल्‍क साड़ी और फैब्रिक को खूबसूरत बनाने के लिए इसका इस्‍तेमाल किया जाने लगा।  

कैसे की जाती है मीनाकारी कला? 

मीनाकारी का काम इनेमल से किया जाता है। मीनाकारों के पास मीना के छोटे-छोटे टुकड़े होते हैं और इसमें कई तरह के रंग होते हैं। भारत में मीना आज भी बाहर से आता है। आमतौर पर मीना फ्रांस या फिर जर्मनी से आता है। मीना में आपको हरा, नीला, लाल और सफेद रंग मिल जाएगा। 

मीनाकारी की प्रक्रिया में कई चरण होते हैं।  सबसे पहले जिस धातु  पर मीनाकारी की जानी होती है, उसकी सतह को साफ किया जाता है। फिर उस पर डिजाइन बनाई जाती है। की सतह की सफाई से शुरू होती है, उसके बाद उस पर डिज़ाइन उकेरती है। 

मीना  टुकड़ों से पाउडर तैयार किया जाता है और फिर इसे मानी में घोलकर इनेमल बनाया जाता है। इस इनेमल को बहुत ही सावधानी के साथ डिजाइंस में भरा जाता है और इसे सूखने के लिए रख दिया जाता है। भराई और पकाई की प्रक्रिया पांच-छह बार की जाती है। मीना को कई बार पिघलाया जाता है, तो वह धीरे से डिजाइन में फिट हो जाता है। 

facts about mughal art

बनारसी सिल्‍क साड़ी में भी होता है मीनाकारी काम 

मीनाकारी कला केवल धातुओं और पत्‍थरों तक ही सीमित नहीं है बल्कि बनारसी गुलाबी मीनाकारी कला भी बहुत लोकप्रिय है और इसे सिल्‍क साडि़यों पर किया जाता है। खासतौर पर ब्रोकेड फैब्रिक में आपको यह बहुत ज्‍यादा देखने को मिलेगी। दरअसल मीनाकारी कला में फूलों की बेल बनाई जाती है और फिर उसमें मीना भरा जाता है। साडि़यों में भी मीनाकारी बेल बनाई जाती हैं और उसे चटक गुलाबी रंग से हाइलइट किया जाता है। बनारसी मीनाकारी साड़ी बहुत ज्‍यादा लोकप्रिय हैं और यह बहुत महंगी भी आती हैं। 

वर्तमान में फैशन इंडस्‍ट्री में मीनाकारी का महत्‍व

आज आपको मीनाकारी सोना, चांदी और ब्रास की ज्‍वेलरी में देखने को मिल जाएंगी। कुंदन के साथ्‍ज्ञ मीनाकारी का काम सबसे ज्‍यादा पसंद किया जाता है, मगर अब पर्ल के साथ भी मीनाकारी का काम बहुत देखा जा रहा है। 

अगर आपको यह स्टोरी अच्छी लगी हो तो इसे फेसबुक पर शेयर और लाइक जरूर करें। इसी तरह के और भी आर्टिकल पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हर जिंदगी से। अपने विचार हमें आर्टिकल के ऊपर कमेंट बॉक्स में जरूर भेजें।

आपकी राय हमारे लिए महत्वपूर्ण है! हमारे इस रीडर सर्वे को भरने के लिए थोड़ा समय जरूर निकालें। इससे हमें आपकी प्राथमिकताओं को बेहतर ढंग से समझने में मदद मिलेगी। यहां क्लिक करें 

 

 

 

Disclaimer

हमारा उद्देश्य अपने आर्टिकल्स और सोशल मीडिया हैंडल्स के माध्यम से सही, सुरक्षित और विशेषज्ञ द्वारा वेरिफाइड जानकारी प्रदान करना है। यहां बताए गए उपाय, सलाह और बातें केवल सामान्य जानकारी के लिए हैं। किसी भी तरह के हेल्थ, ब्यूटी, लाइफ हैक्स या ज्योतिष से जुड़े सुझावों को आजमाने से पहले कृपया अपने विशेषज्ञ से परामर्श लें। किसी प्रतिक्रिया या शिकायत के लिए, compliant_gro@jagrannewmedia.com पर हमसे संपर्क करें।