भारत कला के मामले में एक समृद्ध देश है, जहां भिन्न-भिन्न लोक कलाओं के रंग बिखरे हुए हैं। इन कलाओं में चित्रकारी सबसे अव्वल है। यह चित्रकारी दीवारों और कपड़ों पर सबसे ज्यादा देखने को मिलती है।
चित्रकारी कला के वह नमूना है, जिसकी अमरबेल कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक फैली हुई है। तो चलिए आज दक्षिण की ओर चलती हैं और यह आंध्र प्रदेश राज्य की चर्चित कलमकारी चित्रकला पर बात करते हैं।
वैसे तो इस कला का मुख्य केंद्र मछलीपटनम और कलाहस्ती शहर है, मगर फैशन के लिहाज से देखा जाए तो यह कला दूर-दूर तक अपने पैर पसार चुकी है। कलमकारी आप कागजों और मंदिर की दीवारों पर की जाने वाली चित्रकारी तक सीमित नहीं रही है बल्कि अब आप डिजाइन कपड़ों पर भी इसकी झलक देख सकती हैं। सबसे ज्यादा कलमकारी प्रिंट वाली साड़ी का चलन हम महिलाओं के मध्य काफी फेमस है।
तो चलिए आज हम इस कला के बारे में आपको कुछ बेहद रोचक तथ्य बताते हैं।
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12वीं और 13वीं सदी में कलाहस्ती के शिव मंदिरों ( भारत में सबसे प्राचीन और प्रसिद्ध शिव मंदिर) में जो कला दीवारों पर की जाती थी, उसे करने वाले शिल्पकार और कलाकार इसी शहर में बस गए। मंदिर की दीवारों से यह कला कागजों पर उतर आई और फिर 15वीं सदी में लंबे-लंबे कपड़ों पर यह चित्रकारी की जाने लगे। आगे चलकर यही कपड़े साड़ी में बदल गए और आजतक कलमकारी वाली साड़ियां फैशन जगत में अपनी जगह बनाएं हुए हैं।
नाम से ही आप अंदाजा लगा सकते हैं कि कलमकारी कला कलम द्वारा की जाती होगी। हालांकि, अब इसके ब्लॉक तैयार किए जाते हैं और फिर उनके द्वारा कपड़े पर प्रिंट को उकेरा जाता है। मगर आज भी डिजाइन तैयार करने के लिए हुनरमंद चित्रकार कलम का ही इस्तेमाल करते हैं।
जहां मच्छलीपटनम के कलाकार ब्लाक्स का इस्तेमाल करते हैं वहीं कलाहस्ती के चित्रकार आज भी विशिष्ट कलम से चित्र बनाते हैं, जिसके लिए नेचुरल कलर वाली इंक का इस्तेमाल होता है।
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इस कलाकारी को करने में जिस कलम का इस्तेमाल किया जाता है, वह बहुत ही विशेष होता है। यह कलम बांस के टुकड़ों और खजूर के पत्तों से तैयार किया जाता है।
इस चित्रकारी के लिए जिस कपड़े का इस्तेमाल होता है, उसे भी कई दिनों तक भैंस के दूध में भिगो कर रखा जाता है, इससे चित्रकारी करना आसान हो जाता है।
इस चित्रकारी में जो रंग इस्तेमाल किए जाते हैं, उन्हें भी तरह-तरह से तैयार किया जाता है। रंग कपड़े पर चिपका रहे इसके लिए कपड़े की कुछ विशेष जगह को फिटकरी के पानी में भिगो कर रखा जाता है और फिर उस जगह पर रंग भरने से वह कपड़े पर चिपक जाते हैं।
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इस कला में महाभारत, रामायण के साथ-साथ शिव पुराण और अन्य आध्यात्मिक कलाओं के चित्र नजर आते हैं। पहले इस कला को केवल कॉटन की साड़ी पर उकेरा जाता था मगर अब सिंथेटिक, सिल्क और अन्य फैब्रिक में भी कलमकारी को दिखा जा सकता है।
अब तो कलमकारी में जिन प्रिंट्स का इस्तेमाल हो रहा है, वह भी कंटेम्परेरी आर्ट से मिलते-जुलते हैं।
आपको कलमकारी प्रिंट वाली साड़ी बाजार में 700 रुपये से लेकर 5000 रुपये तक मिल सकती हैं। इसमें आपको ढेरों प्रिंट्स और वैरायटी देखने को मिलेंगी। आप ऑनलाइन भी किसी अच्छी शॉपिंग साइट से उन्हें मंगवा सकते हैं।
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