डार्क वेब क्या है? जिससे लीक हुए NEET और UGC-NET के पेपर, यहां जानें इसके बारे में सब कुछ

UGC NET और NEET UG की परीक्षा का पेपर डार्क वेब के जरिए लीक हुआ है। ऐसे में ये सवाल उठता है कि आखिर ये डार्क वेब है क्या और ये कैसे काम करता है? आइए आज हम इस बारे में आपको बताते हैं। 

UGC NET exam paper leak

What Is Dark Web: केंद्रीय शिक्षा मंत्री के अनुसार, NEET UG और UGC NET की परीक्षा का पेपर डार्क वेब से ही लीक हुआ था। इस बात की जानकारी गृह मंत्रालय की साइबर विंग I4C की रिपोर्ट से मिली है। इसके मुताबिक, डार्क वेब पर मौजूद पेपर के प्रश्न पत्रों को जब मिलाया गया तो वे बिल्कुल एक जैसे थे। हालांकि, गृह मंत्रालय की निगरानी में जांच अभी भी चल रही है। ऐसे में सवाल ये उठता है कि आखिर ये डार्क वेब है क्या और इससे किस तरह के काम लिए जाते हैं। आइए आज हम इसी के बारे में विस्तार से बताते हैं।

डार्क वेब क्या है?(What Is Dark Web)

डार्क वेब इंटरनेट का वह हिस्सा है, जहां वैध और अवैध दोनों तरीके की गतिविधियों को अंजाम दिया जाता है। सरल शब्दों में इसे मौजूदा समय में इंटरनेट का काला बाजार कह सकते हैं। डार्क वेब को गूगल क्रोम या फायर फॉक्स जैसे सामान्य ब्राउजरों से एक्सेस नहीं किया जा सकता है। जानकारी के लिए बता दें कि हम इंटरनेट कंटेंट के केवल 4% हिस्से का इस्तेमाल करते है, जिसे सरफेस वेब कहा जाता है। जबकि इसका 96% हिस्सा डीप वेब और डार्क वेब के अंदर आता है। डार्क वेब का इस्तेमाल आमतौर पर गैरकानूनी और आपराधिक गतिविधियों के लिए किया जाता है। आपको बता दें, डार्क वेब को खोलने के लिए टॉर ब्राउजर को यूज किया जाता है। यहां हथियार, ड्रग्स, पासवर्ड, चाइल्ड पॉर्न जैसी बैन चीजें उपलब्ध रहती हैं।

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डार्क वेब पर यूजर को ट्रैक करना मुश्किल

डार्क वेब यूजर्स को ट्रैक करना बेहद मुश्किल होता है। यह यूजर्स की प्राइवेसी को बनाए रखने में मदद करता है। साथ ही, आईपी ट्रैक करने वाले को अलग-अलग स्थानों पर लोकेशन दर्शाता है। यदि डार्क वेब पर किसी चीज की डील करनी है, तो इसके लिए यहां पर वर्चुअल करेंसी जैसे- बिटकॉइन आदि की जरूरत होती है। ऐसा इसलिए होता है, ताकि ट्रांजेक्शन को ट्रेस न किया जा सके।

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कैसे काम करता है डार्क वेब?

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डार्क वेब ओनियन राउटिंग टेक्नोलॉजी पर काम करता है। ये यूजर्स को सर्विलांस और ट्रैकिंग से बचाने का काम करता है और उनकी गोपनीयता को बरकरार रखने में मदद करता है। हम कह सकते हैं कि डार्क वेब पर की गई गतिविधियों को पकड़ पाना मुश्किल होता है। ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि डार्क वेब बहुत सारी आईपी एड्रेस से कनेक्ट और डिस्कनेक्ट होता है, जिसके कारण इसको ट्रैक कर पाना नामुमकिन होता है।

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Image credit- Freepik

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