आज का जमाना शॉर्ट कट का है और इसलिए लोग हर चीज फटाफट पाना चाहते हैं। यहां तक कि अगर उन्हें फैट लॉस करके बॉडी को शेप में लाना हो, तब भी वे इसके लिए इंतजार नहीं करना चाहते हैं। ऐसे में वे उन तरीकों के बारे में खोजते हैं, जो कम से कम समय में उन्हें बेहतर रिजल्ट दे सकें। यही वजह है कि लोग ड्राई फास्टिंग करना पसंद करते हैं। ड्राई फास्टिंग करना इंटरमिटेंट फास्टिंग का भी नेक्स्ट लेवल माना जाता है, क्योंकि इसमें आपको ना तो कुछ खाना होता है और ना ही कुछ पीना होता है। यहां तक कि पानी भी नहीं। ऐसा माना जाता है कि इससे काफी जल्दी फैट बर्न होता है, क्योंकि शरीर फैट को एनर्जी में बदलता है और फैट सेल्स से पानी निकालकर उन्हें बर्न करता है। साथ ही, सेल रिपेयर में भी मदद मिलती है और डाइजेशन को पूरा आराम मिलता है।
ड्राई फास्टिंग को कम समय में फैट बर्न करने का एक अच्छा तरीका माना गया है, लेकिन यह थोड़ा एक्सट्रीम लेवल है और इसलिए इसे ध्यान से किया जाना चाहिए। अगर इसमें गड़बड़ की जाती है तो इससे आपकी सेहत पर भी उल्टा असर पड़ सकता है। तो चलिए आज इस लेख में सेंट्रल गवर्नमेंट हॉस्पिटल के ईएसआईसी अस्पताल की डाइटीशियन रितु पुरी आपको ड्राई फास्टिंग के बारे में बता रही हैं-
ड्राई फास्टिंग क्या होती है
जैसा कि इसके नाम से ही पता चलता है कि ड्राई फास्टिंग में व्यक्ति खाने के साथ-साथ पानी भी छोड़ देता है। इसमें पानी की एक बूंद भी नहीं ली जाती है। इसे फास्टिंग का एक एक्स्ट्रीम लेवल माना जाता है। आमतौर पर, इस फास्टिंग को लोग अपनी क्षमतानुसार 12, 24 या 36 घंटे के लिए करते हैं। ड्राई फास्टिंग के दौरान जीरो कैलोरी ड्रिंक जैसे पानी या ग्रीन टी आदि को भी पूरी तरह अवॉयड किया जाता है।
ड्राई फास्टिंग आमतौर पर दो तरह की होती है-
- सॉफ्ट ड्राई फास्टिंग - इस तरह की फास्टिंग में कुछ भी खाने-पीने से पूरी तरह परहेज किया जाता है, लेकिन फिर भी लोग ब्रश करते हैं या फिर नहा सकते हैं।
- हार्ड ड्राई फास्टिंग - इस तरह की फास्टिंग बहुत अधिक कठिन मानी जाती है। इसमें खाना-पीना तो पूरी तरह से मना होता है, बल्कि साथ ही साथ शरीर पर भी पानी का इस्तेमाल नहीं किया जाता है। ना ही ब्रश किया जाता है और ना ही लोग नहाते हैं।
ड्राई फास्टिंग और इंटरमिटेंट फास्टिंग में क्या अंतर है
ड्राई फास्टिंग और इंटरमिटेंट फास्टिंग को अक्सर लोग एक ही समझते हैं, जबकि इन दोनों फास्टिंग में काफी अंतर होता है। इंटरमिटेंट फास्टिंग में आप फास्टिंग विंडो के दौरान पानी व ग्रीन टी का सेवन कर सकते हैं। जबकि, ड्राई फास्टिंग के दौरान पानी की एक बूंद भी नहीं ली जाती है। जहां इंटरमिटेंट फास्टिंग में फैट लॉस धीरे-धीरे होता है, वहीं ड्राई फास्टिंग के दौरान यह प्रोसेस थोड़ा तेज़ हो सकता है।
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ड्राई फास्टिंग करते हुए किन बातों का ध्यान रखें
- अगर आप ड्राई फास्टिंग करना चाहती हैं तो आपको कुछ बातों का खासतौर पर ध्यान रखना चाहिए। मसलन-
- कभी भी एकदम से ड्राई फास्टिंग शुरू ना करें। अगर आप बिगनर हैं, तो पहले कुछ वक्त के लिए इंटरमिटेंट फास्टिंग करें। आप 14ः10 या 16ः8 विंडो चुन सकती हैं। इसके बाद ही ड्राई फास्टिंग पर स्विच करें।
- हमेशा ड्राई फास्टिंग करने से पहले और बाद में खूब पानी पी लें, ताकि आपको डिहाइड्रेशन या अन्य समस्या का सामना ना करना पड़ें।
- अगर आपको माइग्रेन या लो बीपी की शिकायत है तो ऐसे में इसे अवॉयड करना अच्छा रहेगा।
अगर आप ड्राई फास्टिंग कर रही हैं तो एक बार में ही इसे हद से ज़्यादा न करें। साथ ही, अगर आपको तबियत खराब लगे या फिर चक्कर आने लगें, तो तुरंत फास्ट तोड़ दें।
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Image Credit- freepik
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