प्रेग्नेंसी का दौर किसी भी महिला के लिए रोलर कोस्टर से कम नहीं होता है। इन दिनों हमारे शरीर में इतनी तेजी से बदलाव हो रहे होते हैं कि उनके साथ मैनेज करना काफी मुश्किल हो जाता है। खासतौर से, इस वक्त होने वाले हार्मोनल बदलाव आपको परेशान कर सकते हैं। कभी बेवजह खुश होकर खिलखिलाना, तो कभी सिर्फ एक सीरियल या एड देखकर रो पड़ना बेहद आम बात है। यह एक ऐसा दौर होता है, जब महिला के लिए अपनी भावनाओं को समझना और उसे सही तरह से हैंडल करने में समस्या होती है। यही वजह है कि प्रेग्नेंसी में दौर में अधिक महिलाएं इमोशनल ईटिंग करना शुरू कर देती है। प्रेग्नेंसी पीरियड में ऐसा होना बेहद आम बात है।
जब शरीर में हार्मोन बहुत तेजी से बदल रहे होते हैं तो ऐसे में खुद को रिलैक्स व हैप्पी फील करवाने के लिए हम सभी अपने कंफर्ट फूड की तरफ खिंचते हैं। कभी-कभी थोड़ा मनपसंद फूड खा लेने में कोई बुराई नहीं है। लेकिन जब भूख नहीं हो और आप सिर्फ अपनी फीलिंग्स को मैनेज करने की वजह से खाती हैं, तो इससे आपकी सेहत और एनर्जी दोनों गड़बड़ा सकती हैं। यही वजह है कि प्रेग्नेंसी पीरियड में इमोशनल ईटिंग को मैनेज करना काफी जरूरी होता है। तो चलिए आज इस लेख में हम आपको ऐसे कुछ छोटे-छोटे टिप्स के बारे में बता रहे हैं, जिन्हें अपनाकर आप स्वाद और सुकून से समझौता किए भी इमोशनल ईटिंग को कंट्रोल कर सकती हैं-
हाइड्रेशन से ना करें कोई समझौता
प्रेग्नेंसी पीरियड में हमें अच्छा खाना चाहिए, यह तो हम सभी जानते हैं। लेकिन इस दौरान अधिकतर महिलाएं अपने हाइड्रेशन को नजरअंदाज कर देती हैं। जिसकी वजह से शरीर कई बार प्यास को भूख समझ लेता है और हम इमोशनल ईटिंग करना शुरू कर देती है। इसलिए, हमेशा एक बोतल पानी में नींबू, पुदीना या खीरा डालकर अपने पास रखो। कुछ खाने से पहले एक-दो घूंट पानी पी लो। जर्नल ऑफ क्लिनिकल एंडोक्रिनोलॉजी एंड मेटाबॉलिज्म के अनुसार, हल्का डिहाइड्रेशन भी स्ट्रेस हार्मोन बढ़ाता है, जिससे खाने की क्रेविंग बढ़ती है।
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क्रेविंग को मैनेज करना सीखें
प्रेग्नेंसी पीरियड में तरह-तरह की फूड क्रेविंग होना बेहद आम बात है। लेकिन ऐसे में खुद को पूरी तरह से रोकना आपके लिए नुकसानदायक हो सकता है। इसलिए आप अपनी इमोशनल ईटिंग और क्रेविंग्स को स्मार्टली बैलेंस करना सीखें। मसलन, अगर आपका कुछ मीठा खाने का मन कर रहा है तो आप एक बार में पूरी चॉकलेट खाने की जगह डार्क चॉकलेट के दो-तीन टुकड़े खा लें। वहीं, अगर चटपटा खाने का मन है तो ऐसे में बेक्ड खाखरा में प्याज, टमाटर, खीरा व नींबू डालकर खाया जा सकता है। जर्नल ऑफ ईटिंग डिसऑर्डर के मुताबिक, खाने को बहुत ज्यादा रिस्ट्रिक्ट करने से इमोशनल ईटिंग और भी बढ़ सकती है।
इमोशन को बैलेंस करने के लिए खाने का सहारा ना लें
प्रेग्नेंसी पीरियड में इमोशन्स को हैंडल करना यकीनन काफी मुश्किल हो सकता है। लेकिन इसका हल आपका कंफर्ट फूड कभी भी नहीं हो सकता है। कोशिश करें कि आप खाने की जगह अपने मन की बातें शेयर करके फीलिंग्स को मैनेज करें। मसलन, अगर आपको रोना आ रहा है या फिर कुछ भारी लग रहा है, तो किसी दोस्त से बात करो, पार्टनर से शेयर करो या डायरी में लिख लो। इमोशन को बाहर निकालना पिज्जा स्लाइस में दबाने से यकीनन कई गुना बेहतर है। जब आपको इमोशनल सपोर्ट मिलता है, तो बेचैनी कम होती है और कम्फर्ट फूड की जरूरत नहीं पड़ती। हार्वर्ड हेल्थ की एक रिपोर्ट भी बताती है कि सोशल सपोर्ट स्ट्रेस कम करता है, कोर्टिसोल घटाता है। खासतौर पर प्रेग्नेंसी में यह इमोशनल हेल्थ बेहतर करता है।
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