महिलाओं में पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। यह एक हार्मोनल डिसऑर्डर है, जिससे पीरियड्स अनियमित हो जाते हैं। प्रजनन क्षमता पर असर पड़ता है। वजन बढ़ने लगता है। ग्लोबल स्तर पर 6 से 10 फ़ीसदी महिलाएं इस समस्या से जूझ रही हैं, जबकि भारत का यह आंकड़ा 3.7 फीसदी से लेकर 22.5 फ़ीसदी तक पहुंच चुका है, जो की बेहद चिंताजनक है। पीसीओएस से निपटने के लिए सही पोषण और लाइफस्टाइल में बदलाव करना बेहद जरूरी है। अगर आप भी इस बीमारी से पीड़ित हैं, तो हम आपको एक आयुर्वेदिक नुस्खा बता रहे हैं, जिससे आपको फायदा मिल सकता है। इस बारे में हमारे साथ जानकारी साझा की हैं हेल्थ एक्सपर्ट लवनीत बत्रा
पीसीओएस में शतावरी को बनाएं डाइट का हिस्सा
एक्सपर्ट बताती है कि pcos से पीड़ित महिलाएं शतावरी को डाइट में शामिल कर सकती हैं। यह एक प्रभावी हर्ब माना गया है जो महिलाओं की प्रजनन क्षमता को बढ़ाने और हार्मोन बैलेंस करने में मदद कर सकता है।इसमें 50 से अधिक ऑर्गेनिक कंपाउंड
एक्सपर्ट बताती है कि शतावरी में 50 से अधिक ऑर्गेनिक कंपाउंड होती हैं, जिनमें स्टेरॉयडल सैपोनिन्स, ग्लाइकोसाइड्स, अल्कलॉइड्स पॉलीसेकेराइड्स, म्यूसीलेज, रेसिमोज और आइसोफ्लेवोन्स शामिल है। ये सभी बायोएक्टिव तत्व महिलाओं के रिप्रोडक्टिव हेल्थ को बेहतर बनाने में मदद करते हैं।
शतावरी शरीर में एस्ट्रोजन हार्मोन के स्तर को संतुलित करने में मदद करती है, जिससे पीरियड्स की अनियमितता कम होती है।
यह फॉलिकलोजेनेसिस को बढ़ावा देती है, जिससे अंडाणु बनने की प्रक्रिया में सुधार होता है और ओव्यूलेशन बेहतर तरीके से हो पाता है।
शतावरी मासिक धर्म चक्र और ब्लड फ्लो को सामान्य करने में मदद करती है। यह उन महिलाओं के लिए फायदेमंद है, जो हेवी ब्लीडिंग या अनियमित पीरियड्स की समस्या से जूझ रही हैं।
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शतावरी यूटेरस को मजबूत बनाती है और हैवी ब्लीडिंग को नियंत्रित करने में सहायक है।
पीसीओएस में मानिसक तनाव हार्मोनल असंतुलन को और बढ़ा सकता है। ऐसे में शतावरी एक एडेप्टोजेनिक हर्ब है, जो स्ट्रेस को कम करके कॉर्टिसोल लेवल को नयिंत्रित करती है और हार्मोन संतुलन में मदद करती है।
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