रसीले और लाल स्ट्रॉबेरी को फल से कहीं बढ़कर माना गया है। यह एक एकमात्र फल है जिसे रोमांस का प्रतीक माना गया है। बात जब अपने पार्टनर के साथ डेट पर जाने की होती है, अपने प्यार को सेलिब्रेट करने क होती है या पार्टनर के बीच रोमांटिक माहौल बनता है, तब स्ट्रॉबेरी लोगों की पहली पसंद होती है। ये तो रही स्ट्रॉबेरी की बात लेकिन क्या आपको पता है इस फल को प्यार से कैसे जोड़ा। यदि आप यह जानने के लिए उत्सुक हैं, तो चलिए आगे जानते हैं।
स्ट्रॉबेरी है प्रेम की देवी का प्रतीक
मिशिगन स्टेट यूनिवर्सिटी के एक आर्टिकल के अनुसार, प्राचीन रोम में जंगली स्ट्रॉबेरी को उसके हार्ट शेप और लाल रंग के कारण प्रेम की देवी - 'वीनस' का प्रतीक माना जाता था ।
प्यार में पड़ने का एक जरिया
मिसौरी विश्वविद्यालय द्वारा प्रकाशित एक आर्टिकल के अनुसार , एक लोकप्रिय लोककथा कहती है कि यदि दो लोग एक स्ट्रॉबेरी को बीच से काटकर दोनों उसमें से आधा-आधा खा लें, तो वे एक-दूसरे के प्यार में पड़ जाएंगे (यह सिर्फ लोक कथा पर आधारित बातें हैं, असल जिंदगी से इसका कोई ताल्लुक नहीं है)।
शादी की परंपराओं में स्ट्रॉबेरी की अहम भूमिका
मिसौरी विश्वविद्यालय द्वारा प्रकाशित लेख के अनुसार, पुरानी फ्रांसीसी वेडिंग रिचुअल में, नवविवाहितों को ठंडा स्ट्रॉबेरी सूप देने का रिवाज़ था। उस समय लोगों का मानना था कि स्ट्रॉबेरी सेक्सुअल डिजायर और सेक्सुअल प्लेजर को बढ़ाता है।
स्ट्रॉबेरी का लाल रंग
स्ट्रॉबेरी के इस लाल को प्यार और रोमांस से जोड़ा जाता है। verywellmind द्वारा साझा किए गए रंग मनोविज्ञान के अनुसार, लाल रंग जुनून, उत्साह और प्यार से जुड़ा हुआ है। रंगों के प्रति प्रतिक्रिया लोकप्रिय सांस्कृतिक प्रभावों पर भी निर्भर करती है।
पहले होती थी इस तरह की स्ट्रॉबेरी की खेती
प्यार और रोमांस के प्रतीक स्ट्रॉबेरीका इतिहास बहुत ज्यादा पुराना नहीं है। पहली शताब्दी के दौरान रोमन कवि पुब्लियस वर्जिलियस मारो और ओविदियुस नासो ने अपने लेख में स्ट्रॉबेरी के बारे में लिखा है, लेकिन इसे खाने वाले भोजन के रूप में नहीं बल्कि सजावटी फल के रूप में इस्तेमाल किया जाता हूं। ऐसा इसलिए क्योंकि उस समय इस फल का आकार बहुत छोटा था साथ ही, साथ ही यह बेस्वाद और सख्त होता था, जिसे अक्सर लोग खाना नहीं पसंद करते। माना जाता है कि 1300 के दशक में यूरोप में स्ट्रॉबेरी की खेती शुरू हुई थी, लेकिन बड़ी और गूदेदार स्ट्रॉबेरी की खेती 15वीं शताब्दी के अंत में शुरू हुई थी।
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Image Credit: Freepik
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