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मिठाइयों की शान है 'चांदी का वर्क', लेक‍िन क्या आपने कभी सोचा है क‍ि ये बनता कैसे है?

भारत में सभी को मि‍ठाइयां बहुत पसंद हैं। खासतौर से त्‍योहारों के मौकों पर तो ये बड़े चाव से खाई जाती है। म‍िठाइयों के ब‍िना तो त्‍योहार ही अधूरा लगता है। आपने देखा होगा क‍ि कुछ म‍िठाइयों पर चांदी का वर्क लगा होता है। लेक‍िन क्‍या आपने कभी सोचा है क‍ि इसे बनाया कैसे जाता है? हम आपको अपने इस लेख में पूरी जानकारी देने जा रहे हैं।
Editorial
Updated:- 2025-11-05, 11:30 IST

भारत में त्‍योहारों का सि‍लस‍िला जारी है। त्‍योहारों की बात हो और म‍िठाइयों का नाम न आए, ऐसा हाे ही नहीं सकता है। यहां पर त्‍योहारों की रौनक म‍िठाई के बि‍ना अधूरी लगती है। दुर्गा पूजा से लेकर दीपावली तक, हर घर में दीये तो जलाए ही जाते हैं, साथ ही थाल‍ियों में कई तरह की म‍िठाइयां भी सज जाती हैं। काजू कतली, पेड़ा, लड्डू से लेकर छेना तक में जो चमकदार लेयर चढ़ी होती है, उसे हम चांदी का वर्क कहते हैं।

चांदी के वर्क से म‍िठाई देखने में भी काफी सुंदर और स्वाद‍िष्‍ट लगते हैं। म‍िठाई को देखते ही मुंह में पानी आने लगता है। वैसे तो चांदी के वर्क में कोई स्‍वाद नहीं होता है, लेक‍िन ये म‍िठाइयों की खूबसूरती और शान बढ़ा देती है। ये इतनी पतली होती है कि हल्की-सी हवा से भी सिकुड़ सकती है। यही कारण है क‍ि इसे खास कागजों के बीच रखा जाता है। लेक‍िन क्‍या आपने कभी सोचा है क‍ि ये बनाई कैसे जाती है? अगर नहीं, तो हम आपको अपने इस लेख में इसके बारे में व‍िस्‍तार से जानकारी देने जा रहे हैं। आइए जानते हैं-

पहले चांदी का वर्क कैसे बनाया जाता था?

पुराने समय में चांदी का वर्क बनाने का काम बहुत मेहनत भरा होता था। सबसे पहले प्‍योर चांदी ली जाती थी और उसे बारीक टुकड़ों में तोड़कर घंटों तक पीटा जाता था। धीरे-धीरे वो लेयर काफी पतली हो जाती थी कि पारदर्शी जैसी दिखने लगती थी। आपको बता दें क‍ि चांदी के एक लेयर की मोटाई एक माइक्रोमीटर से भी कम होती है, लगभग 0.2 से 0.8 माइक्रोमीटर। लेकिन पुराने समय में इसमें एक बड़ी दिक्कत थी।

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चांदी को पीटने के लिए जो शीट्स इस्तेमाल की जाती थीं, वो अक्सर जानवरों के अंगों की झिल्लियों (जैसे बैल की आंत या चमड़ा) से बनाई जाती थीं। ऐसा इसलिए किया जाता था ताकि चांदी चिपके नहीं और आसानी से पतली हो जाए।

आज के समय में कैसे बनता है चांदी का वर्क?

आज के समय में टेक्नॉलजी और नियम बदल चुके हैं। आजकल मशीनों से चांदी का वर्क तैयार किया जाता है। इसमें जानवरों के किसी हिस्से का इस्तेमाल नहीं होता है। चांदी को पार्चमेंट शीट्स या सिंथेटिक (आर्टिफ‍िश‍ियल) शीट्स के बीच रखकर पीटा जाता है। अब चांदी के वर्क को पूरी तरह से शाकाहारी तरीके से बनाकर तैयार क‍िया जाता है। कई कंपनियां तो अपने वर्क पर Vegetarian Certified का लेबल भी लगाती हैं, ताकि लोगों को भरोसा रहे।

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कैसे पता करें कि वर्क शाकाहारी है या नहीं?

  • पैकेट वाली मिठाई पर साफ लिखा रहता है कि चांदी का वर्क वेजिटेरियन है या नहीं।
  • लोकल दुकानों पर सीधे पूछ सकते हैं। अच्छे हलवाई सही जानकारी देंगे।
  • अगर मन में शक हो तो बिना वर्क वाली म‍िठाई भी ले सकते हैं।

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Image Credit- Freepik

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