मिर्ची एक ऐसी सब्जी है जिसका इस्तेमाल लगभग हर घर में होता है। किसी भी व्यंजन को तीखा बनाना हो तो मिर्ची का इस्तेमाल करना लाजमी है। कई लोग इसे डर के भी नहीं खाते हैं, क्योंकि यह बहुत तीखी होती है।
लेकिन अगर आपसे यह सवाल किया जाए कि आखिर हरी मिर्च या फिर काली मिर्च क्यों तीखी होती हैं तो फिर आपका जवाब क्या हो सकता है? शायद इस सवाल का जवाब बहुत से लोगों के पास नहीं हो। इस लेख में हम आपको बताने जा रहे हैं आखिर क्यों हरी मिर्च और काली मिर्च तीखी होती हैं। आइए जानते हैं।
यह हम सभी जानते हैं कि मिर्ची 2 तरह की होती है। एक हरी मिर्च और एक लाल मिर्च। मार्केट में यह साबुत या फिर पीसी हुई दोनों रूप में मिल जाती है। भारत में इन दोनों ही मिर्ची का इस्तेमाल मुख्य रूप से होता है।
कहा जाता है कि मिर्च के बीज वाले हिस्से में कैप्साइसिन नमक एक कंपाउंड होता है। यह वो कंपाउंड होता है जिसकी तासीर को गर्म करता है। इसलिए जब भी कोई व्यक्ति मिर्च खाता है तो कैप्साइसिन जीभ या त्वचा पर असर डालता है जिसकी वजह से तीखापन महसूस होता है।
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किसी एक कारण नहीं बल्कि अन्य कई कारणों की वजह से भी हरी या लाल मिर्च तीखी होती हैं। कहा जाता है कि किसी भी चीज के तीखेपन को मापने का एक यूनिट होता है।
दरअसल, तीखापन को मापने के लिए SHU (Scoville Heat Unit)होता है। मिर्च का SHU जितना अधिक होता है उसका तीखापन अधिक होता है। कहा जाता है कि एक तीखी मिर्च में SHU यूनिट करोड़ों में होता है।(भारत को क्यों कहा जाता है Land Of Spices?)
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भारतीय मसालों में शामिल काली मिर्च एक ऐसी चीज है जिसका इस्तेमाल लगभग हर हर में होता है। एक तरह से काली मिर्च भारतीय मसाले की जान है। भोजन को स्वादिष्ट बनाने के साथ-साथ काली मिर्च का इस्तेमाल नींबू वाली चाय बनाने में भी बहुत होता है।
अगर बात करें कि काली मिर्च क्यों तीखी होती है तो कुछ हद तक हरी मिर्च के सामान ही है। कहा जाता है कि काली मिर्च में पिपेरिन नमक तीखापन रासायनिक और साथ में कैप्साइसिन भी मौजूद होता है जिसके काली मिर्च तीखी गलती है।
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कई लोगों का मानना है कि लौंग भी तीखा लगता है। ऐसे में आपको बता दें कि हरी मिर्च या फिर काली मिर्च की तरह ही लौंग एक तीखा मसाला है। इसमें भी हरी-मिर्च और काली मिर्च की तरह रसायन मौजूद होते हैं। इसलिए अगर कोई साबुत लौंग का सेवन करता है तो वो तीखा लगता है।(स्वादिष्ट और फ्रेश शरीफा खरीदने के टिप्स)
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