एक भारतीय के लिए मीठे के प्रति अपना प्यार छुपाना मुश्किल है। हमारा पेट खाने से भले ही भर गया हो, लेकिन मीठे के लिए कोई पूछ दे, तो मुंह से 'हां' ही निकलता है। हममें से अधिकांश लोगों के घरों में फ्रिज के किसी कोने में मिठाइयां या डेजर्ट रखे ही होते हैं। मिठाइयों की बात करें, तो हर भारतीय राज्य की कोई न कोई स्पेशियलिटी है।
अकेले कोलकाता में ही इतनी मिठाइयां लोकप्रिय हैं, जिनकी लिस्ट काफी लंबी होगी। हम कोलकाता के रसगुल्ले, संदेश, मिष्टी दोई और अन्य मिठाइयों के बारे में तो बात करते ही हैं, लेकिन रसमलाई के बारे में आप कितना जानते हैं? यह मिठाई कैसे बनाई गई और इस मिठाई को रसमलाई ही नाम क्यों दिया गया, क्या आपको पता है?
छेने से तैयार फ्लफी केक को फ्लेवरफुल और मीठे दूध में डुबोया जाता है। जब इसके इतिहास के बारे में बात की जाती है, तो इसे लेकर कई सारी बातें और अफवाहें कही जाती हैं। ऐसा भी कहा जाता है कि इसे एक्सपेरिमेंट के तौर पर तैयार किया गया था। चलिए आज आपको इससे जुड़ी कुछ रोचक जानकारी बताएं और साथ ही जानें कि इसे कैसे बनाया गया था।
कैसे बनाई गई थी रसमलाई?
एक साइंटिफिक एक्सपेरिमेंट के चलते कोई मिठाई तैयार हो सकती है, क्या आप सोच सकते हैं? अगर नहीं, तो आपको बताएं कि रसमलाई ऐसे ही बनाई गई थी। एक लीडिंग वेबसाइट को दिए गए इंटरव्यू में कोलकाता की सबसे चर्चित मिठाई की दुकान के मालिक केसी दास के ग्रेट ग्रैंडसन ने बताया था। उनके ग्रेट ग्रैंडफादर के सबसे छोटे बेटे सरादा चरण ने पहली बार रसमलाई एक एक्सपेरिमेंट के तौर पर ही बनाई थी।
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वह रिसर्च असिस्टेंट थे और इस दौरान उन्होंने रिवर्स ऑस्मोसिस के बारे में पढ़ा था। उन्होंने सबसे पहले यहां बनाई गई मिठाई रसगुल्ले को इस प्रोसेस से प्रिजर्व करना सीखा। इस तरह उन्होंने कैन्ड रसगुल्ले का आविष्कार किया। इसके बाद उनके पिता ने इस एक्सपेरिमेंट को आगे ले जाने के बारे में सोचा और इस तरह रसमलाई का आविष्कार हुआ। मीठे दूध को गर्म करके रसगुल्ले को भिगोया गया और इस सफल एक्सपेरिमेंट ने हमें रसमलाई दी।
कैसे लोकप्रिय हुई रसमलाई?
ऐसा माना जाता है कि दास परिवार की दुकान जिस जगह पर थी, वो मारवाड़ी समुदाय से घिरी हुई थी। इस स्वीट डिश को लोगों तक पहुंचाने का श्रेय मारवाड़ियों को जाता है। उन्होंने इस स्वीट डिश को देश भर में पहुंचाने का काम किया। जैसे-जैसे इसकी पॉपुलैरिटी में इजाफा हुआ, वैसे ही लोगों ने इसके फ्लेवर्स के साथ प्रयोग करना शुरू किया। प्लेन रसमलाई से लेकर केसर और इलायची (इलायची का पाउडर कैसे बनाएं) वाली रसमलाई तक लोगों को पसंद आने लगी।
बांग्लादेश में भी बनाई गई थी रसमलाई
रसमलाई बनाने के पीछे एक दूसरी कहानी भी है। माना जाता है कि रसमलाई बांग्लादेश के कोमिला में बनाई गई थी। लोगों ने रसगुल्ले को गाढ़े मलाईदार दूध में भिगोकर खाना शुरू किया। इसे शुरुआत में खीर भोग कहा जाता था। समय के साथ इसे छोटा बनाया जाने लगा, ताकि इसे भिगोना आसान हो। वहीं जब वेस्ट बंगाल का विभाजन हुआ, तो इसका नाम भी बदल दिया गया।
कोमिला के सेन भाइयों ने ये दावा भी किया है कि रसमलाई उनके परिवार ने बनाई है और वे इस मिठाई के लिए जीआई टैग भी अप्लाई कर चुके हैं।
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रसमलाई की तरह बनी रसमंजरी
आपको शायद न पता हो, लेकिन नॉर्थ बंगाल के रंगपुर जिले में रसमलाई की बहन रसमंजरी बहुत ज्यादा लोकप्रिय है। यह रसमलाई की तरह लोकप्रिय नहीं हुई और आज रंगपुर जिले में कुछ ही जगहों में मिलती है। रसमलाई (स्पंजी रबड़ी रसमलाई रेसिपी) और रसमंजरी में शेप और इंग्रीडिएंट का बड़ा अंतर होता है। रसमलाई फ्लैट होती है, लेकिन इसका साइज छोटा और ओवल शेप होता है। रसमंजरी को फुल फैट दूध, चीनी और थोड़े-से आटे से मिलाकर बनाते हैं। वहीं, रसमलाई में कई तरह के इंग्रीडिएंट्स इस्तेमाल किए जाते हैं।
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Image Credit: Freepik
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