
नाम जप या मंत्र जाप आध्यात्मिक जीवन का एक अभिन्न अंग है जिसका उद्देश्य मन को शांत करना, एकाग्रता बढ़ाना और भगवान के साथ गहरा संबंध स्थापित करना है। यह क्रिया व्यक्ति को सांसारिक विकारों से दूर कर आंतरिक शुद्धि की ओर ले जाती है। सदियों से भक्तों और योगियों ने इस अभ्यास को अपनी दिनचर्या में शामिल किया है। हालांकि, इस पवित्र कार्य को करने के लिए कुछ नियम और मर्यादाएं भी बताई गई हैं ताकि इसका अधिकतम लाभ प्राप्त किया जा सके। इन नियमों का पालन मुख्यतः हमारे मन और शरीर में पवित्रता और अनुशासन बनाए रखने के लिए किया जाता है जो जाप में एकाग्रता के लिए सहायक होते हैं। हालांकि, यह बहुत स्पष्ट है कि नाम जाप में किसी भी प्रकार का नियम नहीं होता है। मगर, मंत्र जाप में नियम आवश्यक माने गए हैं। मंत्र जाप हो या नाम जाप, लोगों के मन में एक सवाल नियमों से जुड़ा जरूर आता है और वो यह कि क्या नाम या मंत्र जाप बिस्तर पर बैठकर कर सकते हैं। तो चलिए जानते हैं इस बारे में वृंदावन के ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स से।
नाम जप जैसे राम-राम, राधा-कृष्ण, शिव-शिव, हरे कृष्णा आदि कहीं भी और किसी भी स्थिति में किया जा सकता है। शास्त्रों से लेकर संतों तक का मत है कि भगवान का नाम एक ऐसी वस्तु है जिसे जपते रहने के लिए किसी विशेष स्थान या शुद्धि की आवश्यकता नहीं होती। यहां तक कि यदि आप थके हुए हैं, यात्रा कर रहे हैं या बिस्तर पर बैठे हैं, तो भी आप नाम जप कर सकते हैं।

ऐसा माना जाता है कि नाम जप मुख्य रूप से भाव की शुद्धता पर निर्भर करता है न कि केवल शरीर की अवस्था पर। अगर आपका मन भगवान में लगा है, तो बिस्तर पर भी किया गया नाम जप फलदायी होता है। हालांकि अगर आप आलस्य के कारण नहीं बल्कि बीमारी, बुढ़ापे या अत्यधिक थकान के कारण बिस्तर पर हैं, तो नाम जप करने में कोई दोष नहीं है।
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यह सलाह दी जाती है कि अगर आपका शरीर स्वस्थ है, तो आलस्य के कारण बिस्तर पर लेटकर या बैठकर जाप करने के बजाय सुबह उठकर, हाथ-पैर धोकर किसी आसन पर बैठकर शांत मन से जाप करने का प्रयास करें। इससे नाम जाप का चौगुना फल प्राप्त होता है और आपके भीतर आध्यात्मिक शक्ति भी बढ़ती है जिससे आपकी उन्नति होती है।
वहीं, गुरु मंत्र या विशेष वैदिक मंत्रों जैसे कि गायत्री मंत्र, महामृत्युंजय मंत्र, गुप्त मंत्र, बीज मंत्र आदि के जाप के लिए नियम पालन करना जरूरी है। इन मंत्रों के जाप के लिए जमीन पर कुश या ऊन के आसन पर सीधी पीठ के साथ बैठकर जाप करना उत्तम माना जाता है। बिस्तर को मंत्र जाप के लिए उचित स्थान नहीं माना जाता है क्योंकि यहां तामसिक ऊर्जा बढ़ सकती है।
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विशेष मंत्रों के जाप से पहले शारीरिक और मानसिक शुद्धि का विशेष ध्यान रखा जाता है जो बिस्तर की अवस्था में अक्सर संभव नहीं हो पाता। कुछ मान्यताएं यह भी कहती हैं कि जिस बिस्तर पर गृहस्थ धर्म का पालन होता है, उस पर बैठकर गुरु मंत्रों का जाप नहीं करना चाहिए। इससे मंत्र जाप का नकारात्मक परिणाम जीवन में झेलने को मिल सकता है।

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