कोई त्यौहार हो या फिर समारोह हो, हम भारतीय बिना मिठाई के तो रह ही नहीं सकते हैं। फिर चाहे बात जलेबी से लेकर रस मलाई की हो या रसगुल्लों से लेकर गाजर के हलवे की, हमें कुछ मीठा चाहिए ही होता है। मगर गुलाब जामुन ऐसी स्वीट डिश है, जो समारोह में या समारोह के बिना भी सबकी पहली पसंद है। आप अगर सर्वेक्षण करेंगे तो पाएंगे कि गुलाब जामुन लोगों को कितना पसंद आता है। यह पारंपरिक मिठाई भारत में हर त्योहार और अवसर पर आकर्षण का केंद्र होती है।
लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह देसी मिठाई जो भारतीयों की पहली पसंद बनी है, यह कैसे बनी? आपको जानकर हैरानी होगी कि यह एक विदेशी स्वीट डिश से प्रेरित होकर बनाई गई थी। जी हां, गुलाब जामुन के बनने की कहानी बड़ी दिलचस्प है, बिल्कुल इसके स्वाद की तरह। क्या आप अपनी फेवरेट मिठाई के इतिहास के बारे में जानना चाहेंगे? आइए आज हम आपको गुलाब जामुन के इतिहास के बारे में बताएं।
क्या शाहजहां के शेफ ने बनाया गुलाब जामुन?
ऐसा माना जाता है कि गुलाब जामुन को बनाने का श्रेय शाहजहां और उनके शेफ को जाता है। कुछ प्राचीन कहानियों की मानें तो शाहजहां के पर्सनल शेफ ने गलती से एक मिठाई तैयार की और उसे बादशाह के आगे पेश कर दिया। यह तैयार मिठाई भारत में पहली बार मुगल शासन के दौरान बनाई गई। कहते हैं एक फारसी स्वीट डिश 'लुकमत-अल-कादी' से प्रेरित होकर गुलाब जामुन बनाया गया था। हालांकि इस बात में कितनी सच्चाई है, इस बारे में किसी को नहीं पता।
क्या कहती है दूसरी कहानी?
एक पॉपुलर कहानी के अनुसार, 1850 के अंत में कोलकाता के एक हलवाई भीम चंद्र नाग को भी गुलाब जामुन बनाने का श्रेय जाता है। कहानी के मुताबिक, भीम चंद्र नाग को गवर्नर जनरल लॉर्ड चार्ल्स कैनिंग (बाद में ब्रिटिश भारत के पहले वायसराय) की पत्नी लेडी कैनिंग के लिए एक विशेष मिठाई तैयार करने के लिए कहा गया था। लेडी कैनिंग मिठाई बहुत पसंद करती थी, यह बात सभी को पता थी और इसी कारण भीम चंद्र ने कुछ नया और अच्छा बनाने की कोशिश की।
खाने के बाद जब लेडी कैनिंग को मिठाई परोसी गई, तो वह उसे खाकर बहुत खुश हुईं। इस मिठाई का तब कोई नाम नहीं था और यह गोल होने की बजाय सिलिंड्रिकल शेप में बनाई गई थी। यह मिठाई धीरे-धीरे लोगों के बीच लोकप्रिय हुई और लोगों ने उन्हीं के नाम से इसे 'लेदिकेनी' कहना शुरू कर दिया। वायसराय की पत्नी द्वारा सभी अवसरों और समारोह में इस मिठाई का खास स्थान होता था।
तुर्की के तुलुम्बे का हमशक्ल है गुलाब जामुन
दिलचस्प बात यह है कि फारसी बमीह और तुर्की तुलुम्बा दोनों गुलाब जामुन के समान ही दिखते हैं। उन्हें बिल्कुल वैसे ही बनाया जाता है जैसे हमारा गुलाब जामुन बनता आया है। मैदे की बॉल्स को तेल में तलकर फिर चीनी की चाशनी में भिगोया जाता है। हालांकि, गुलाब जामुन के विपरीत, तुलुम्बे को ठंडा परोसा जाता है। फूड हिस्टोरियन मानते हैं कि शायद यही मुगल रसोइयों को प्रेरित करता रहा होगा और इसी के बाद मुगल बादशाह शाहजहां के शेफ ने भी गुलाब जामुन बनाया होगा।
फूड हिस्टोरियन माइकल क्रोनडल ने अपनी किताब, 'द डोनट: हिस्ट्री, रेसिपीज़, और लोर बोस्टन से बर्लिन तक' में लिखा है कि कैसे फारसी आक्रमणकारी अपने साथ गोल फ्रिटर जो बाद में गुलाब जामुन बन गए, लेकर आए थे। उन्होंने लिखा है कि हालांकि मिडल ईस्ट के इस स्वीट डिश को रोज वॉटर में भिगोया जाता है, वहीं भारतीय गुलाब जामुन को चाशनी में भिगोते हैं।
कैसा मिला गुलाब जामुन नाम?
क्या आपने कभी सोचा है कि इस स्वादिष्ट मिठाई के लिए यह खूबसूरत नाम 'गुलाब जामुन' कहां से आया? किसने सोचा होगा कि इसे गुलाब जामुन कहा जाए? दरअसल, 'गुलाब' फारसी शब्द 'गोल' और 'अब' से लिया गया है। इसका अर्थ फूल और पानी है जो गुलाब जल सेंटेड सिरप को रेफर करता है। चूंकि मिडल ईस्ट में स्वीट डिश को रोज वॉटर में भिगोया जाता था। वहीं दूसरा शब्द 'जामुन' लोकप्रिय भारतीय फल ब्लैक प्लम (जामुन) के लिए हिंदी-उर्दू शब्द है जो लगभग एक ही आकार का होता है। बस इसी तरह हमने इसे गुलाब जामुन कहना शुरू कर दिया।
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गुलाब जामुन की वैरायटीज
आपने मिठाई की दुकानों और हलवाई के पास काले और भूरे रंग के गुलाब जामुन मिलते तो देखे ही होंगे। भूरा रंग सॉलिड मिल्क और शुगर के कारण आता है। वहीं कुछ वैरायटीज में चीनी को आटे में मिक्स किया जाता है और तलने पर वह कैरेमलाइज्ड होती है जिसके कारण उसे काला जामुन कहते हैं। लेदिकेनी की तरह पंतुआ एक और बंगाली वेरिएंट है। वहीं, राजस्थान के कुछ इलाकों में गुलाब जामुन की सब्जी भी खाई जाती है। गुलाब जामुन को चाशनी में भिगोकर उसे टमाटर की ग्रेवी और ड्राई फ्रूट्स के साथ पकाया जाता है। इसी तरह से जबलपुर के कतंगी टाउन में एक दुकान बहुत फेमस है जहां 'झुर्रे का रसगुल्ला' नाम से गुलाब जामुन लोकप्रिय है।
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गुलाब जामुन की रेसिपी
सामग्री-
- ¾ कप मिल्क पाउडर अनस्वीटन्ड
- ½ कप मैदा
- ½ छोटा चम्मच बेकिंग पाउडर
- 2 टेबलस्पून घी
- दूध (गूंदने के लिए)
- घी या तेल (तलने के लिए)
- 2 कप चीनी
- 2 कप पानी
- 2 इलायची
- छोटा चम्मच केसर
- 1 छोटा चम्मच नींबू का रस
- 1 छोटा चम्मच गुलाब जल
बनाने का तरीका-
- एक बड़े भगोने में मिल्क पाउडर, मैदा और बेकिंग पाउडर डालकर मिक्स कर लें।
- अब इसमें घी डालकर इसे फिर से मिला लें। अब इसमें दूध डालकर एक सॉफ आटा गूंथ लें और इसे ढककर 10 मिनट के लिए रख दें।
- एक पैन में चाशनी बना लें। इसके लिए चीनी, पानी, इलायची और केसर डालकर पका लें। चाशनी तैयार है या नहीं, चेक करने एक उंगली में थोड़ा सा सिरप लें और चेक करें। (घर पर परफेक्ट चाशनी बनाने के लिए अपनाएं ये 5 हैक्स)
- आंच बंद करके उसमें नींबू का रस और गुलाब जल डालकर अच्छे से मिक्स करें।
- तैयार आटे की लोइयां बनाएं और फिर उन्हें छोटे-छोटे बॉल के आकार में बनाकर एक प्लेट में रखें।
- अब एक कड़ाही में तेल गर्म करें और उसमें घी और तेल डालें। इसमें तैयार बॉल्स को डालकर डीप फ्राई करें। सुनहरा भूरा होने तक धीमी आंच पर जामुन पकाएं।
- जामुन को तेल से निकालकर गर्म चाशनी में डालकर लगभग 1 घंटे के लिए रख दें, ताकि फ्राई किए हुए जामुन सिरप अब्सॉर्ब कर लें। आपके गुलाब जामुन तैयार हैं। इन्हें गरमा गरम परोसें।
तो कैसी लगी आपको गुलाब जामुन के बनने की यह विचित्र कहानी, हमें कमेंट कर जरूर बताएं। यह आर्टिकल पसंद आया तो इसे लाइक और शेयर करें। ऐसे ही पकवानों के किस्से जानने के लिए जुड़े रहें हरजिंदगी के साथ।
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