शतरंज की हार से उपजी थी पाल पायसम, जानें वासुदेव श्री कृष्ण और केरल राजा के चावल की कर्ज की कहानी

पालपायसम केरल की फेमस और पारंपरिक डिश है, जो वहां के खास अवसर पर बनाई जाती है। आज हम आपको इस खीर के इतिहास के बारे में बताएंगे।

 
palpayasam and lord krishna

पायसम एक दक्षिण भारतीय व्यंजन है, यह नॉर्थ इंडियन भाषा में खीर है, जो कि चावल, दूध, चीनी और पानी के मिश्रण से बनाया जाता है। पाल पायसम केरल का पारंपरिक व्यंजन है, जो वहां साधारण से लेकर शुभ और व्रत त्योहारों के अवसरों पर जरूर बनाया जाता है। पाल पायसम एक प्रसिद्ध व्यंजन होने के साथ-साथ केरल के अंबलपुझा में भगवान श्री कृष्ण के मंदिर में दिया जाने वाला नैवैद्य है। इसका स्वाद इतना अच्छा होता है कि इस प्रसाद को चखने हर दिन मंदिर में आए दर्शनार्थी आते हैं। बता दें कि इस पाल पायसम की उतपत्ती के पीछ भगवान श्री कृष्ण और चेम्बकसेरी राजा के बीच हुई शतरंज मैच में राजा के हारने के बाद से हुई थी। इस पाल पायसम की उतप्ती की खास कहानी के बारे में बहुत कम लोगों को पता है, इसलिए आझ हम आपको इसके बारे में विस्तार से बताएंगे।

क्या है पाल पायसम के उतप्ती की कहानी?

amazing story behind palpayasam

केरल के अंबलपुझा में चेम्बकसेरी राजा राज करते थे। राजा का स्वभाव बहुत घमंडी था, एक बार भगवान श्री कृष्ण एक साधु के रूप में राजा के द्वार पर भीक्षा मांगने आए। साधु के वेष में भगवान श्री कृष्ण ने राजा से कहा कि क्या आप मुझे वो दे पाएंगे, जो मैं आपसे मागूंगा। इस पर अहंकार वश राजा साधु से कहते हैं कि आप मांग कर तो देखिए। जिसके बाद भगवान श्री कृष्ण राजा को एक शतरंज का पट्टा बिछाने बोलते हैं और उस बोर्ड पर चावल का दाना रखते जाते हैं। चावल के दाने को भगवान श्री कृष्ण एक, एक से दो ऐसे कंपाउंड करते जाते हैं। चावल के दाना कपाउंड करते-करते इतना ज्यादा बढ़ जाता है कि राजा साधु को इतने सारे चावल का दान नहीं कर पाते हैं, जिसके बाद साधु अपने असली स्वरूप यानी भगवान श्री कृष्ण के वेश में आते हैं।

भगवान श्री कृष्ण राजा को बताते हैं कि में तुम्हारा घमंड तोड़ने आया हूं, साथ ही भगवान श्री कृष्ण राजा से कहते हैं यह चावल आपके ऊपर कर्ज रहा। इसके अलावा आप अंबलपुझा में मंदीर बनवाएंगे, जहां हर रोज खीर यानी पाल पायसम बनेगी और वह मुझे भोग लगेगी।

पाल पायसम से जड़े फैक्ट?

What is the story of Palpayasam

  • अंबलपुझा में रोजाना 71 लीटर शुद्ध गाय के दूध, 284 लीटर पानी, 15.84 कीलो चीनी और 8.91 कीलो चावल से रोजाना भगवान श्री कृष्णके लिए पायसम बनाया जाता है।
  • बता दें कि आज भी मंदिर के लिए बनने वाले इस पायसम के लिए पुजारी राजा के बजाए भगवान श्री कृष्ण से वासुदेव संबोधित करके चावल मांगते हैं।
  • इस पाल पायसम का स्वाद अन्य सो बहुत अलग होता है, यह स्वाद में इतना स्वादिष्ट होता है कि इसके सामने सभी तरह के स्वादिष्ट व्यंजनों का स्वाद फेल है।
  • मान्यता है कि आज भी अंबलपुझा के चेम्बकसेरी राजा भगवान श्री कृष्ण का चावल का कर्ज उतार रहे हैं और कर्ज उतारने के लिए रोजाना मंदिर में खीर या पायसम बनवाते हैं।

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Image Credit: Freepik,

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