जायफल या नटमेग के नाम से मशहूर यह मसाला, घरों में औषधीय और मसाले के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। ऐसे कई व्यंजन हैं, जो जायफल की खुशबू के बगैर अधूरी है। जायफल एक ऐसा मसाला और औषधि है, जो अपनी सुगंध के लिए मशहूर है। इसकी अनोखी सुगंध ही इसे लोगों के बीच लोकप्रिय बनाती है। बता दें कि यह कोई भारतीय मसाला नहीं है, बल्कि यह एक विदेशी मसाला है जो भारत में औषधि और मसाले के रूप में प्रसिद्ध है। तो चलिए बिना देर किए जान लेते हैं इस खास फल के बारे में..
जायफल के बारे में
यह मसाला मूल रूप से इंडोनेशिया से है, जो मिस्ट्रिस्टिका नाम के पेड़ का बीज है। जायफल या नट्मेग को जातिपत्री, जातिफल, मिरिस्टिका, मिरिस्टिका फ्रेग्रेंस, मिरिस्टिका ऑफिसिनैलिस, नक्स मोक्षता, जातिफला, मस्केड और मस्कटबॉम जैसे अन्य नामों से भी जाना जाता है। चुटकी भर जायफल खाने जायका को बढ़ाने के लिए पर्याप्त है।
बता दें कि जायफल के बीज में न सिर्फ जायफल निकलता है, बल्कि बिरयानी की शान जावित्री भी इसी जायफल के बीज से निकलती है। जब जायफल का फल अच्छे से पक जाता है, तो उसके छिलके को उतार लिया जाता है। बता दें कि बीज में लाल रंग की जावित्री परत की तरह चिपकी हुई होती है, जिसे अलग कर धूप में सुखाया जाता है। धूप में सुखाने के बाद जावित्री हल्की नारंगी और भूरे रंग की हो जाती है, वहीं जायफल भी सुखकर सुपारी की तरह हो जाता है।
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कैसे करें कुकिंग में इस्तेमाल
सब्जी, करी, चावल, डेजर्ट, बेकरी फूड, बिरयानी, पुलाव और चाय समेत कई चीजों में जायफल को पीसकर डाल सकते हैं। वहीं जावित्री का भी इस्तेमाल करी, चावल, चाय और बिरयानी समेत कई चीजों में इस्तेमाल की जाती है। ऐसे कई वेज और नॉनवेज व्यंजन है, जो जायफल और जावित्री के बगैर अधूरी है। अक्सर बाजार से हम साबुत मसाले खरीदकर लाते हैं, तो हमें जायफल और जावित्री जरूर मिलती है। देखा जाए तो जायफल और जावित्री के बगैर भारतीय भोजन का स्वाद अधूरा है।
जायफल को लेकर छिड़ गई थी जंग
जायफल और जावित्री को कब्जाने और व्यापार में अच्छी कमाई के चलते 16वीं शताब्दी में जंग छिड़ चुकी है। जब पुर्तगालियों को इंडोनेशिया के इस खास मसाले के बारे में पता चला कि वहां का पूरा बांडा द्वीप जायफल के पेड़ से भरा पड़ा है। जिसके बाद वे वहां के रहने वाले लोगों को मार जायफलइकट्ठा कर दूसरे देशों में बेचने लगे। पुर्तगालियों के इस हरकत का पता डच लोगों को हुई, तो वे पुर्तगालियों से युद्ध कर द्वीप को अपने कब्जे में कर लिए। डच लोगों के कब्जा करने के बाद अंग्रेज डच कारोबारियों और सेना से लड़ द्वीप पर कब्जा कर अपना झंडा गाड़ लिया। जायफल को लेकर द्वीप में पुर्तगाली, डच और अंग्रेजों के बीच करीब 150 साल तक युद्ध चला।
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Image Credit:Freepik, Instagram-fungcfc, moonflowercooperative
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