Khereshwar Dham Story: हिंदुस्तान की धार्मिक खूबसूरती की बात होती है, तो चार धाम यात्रा का जिक्र जरूर होता है। चार धाम की यात्रा पर हर दिन हजारों भक्त अपने-अपने भगवान के पास मुरादें लेकर पहुंचते हैं।
उत्तराखंड में स्थित पवित्र धाम के बारे में यकीनन आप जानते होंगे, लेकिन क्या आपको पता है कि उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में भी एक पवित्र शाम मौजूद है? जी हां, अलीगढ़ में खेरेश्वर धाम मौजूद है।
इस आर्टिकल में हम आपको खेरेश्वर धाम से जुड़ी पौराणिक कहानियों के बारे में बताने जा रहे हैं। इन कहानियों को जानने के बाद यकीनन आप भी यहां एक बार जरूर जाना चाहेंगे।
खेरेश्वर धाम कहां है (Where is khereshwar dham)
खेरेश्वर धाम से जुड़ी पौराणिक कहानियों के बारे में जानने से पहले यह जान लेते हैं कि खेरेश्वर धाम अलीगढ़ में किस स्थान पर मौजूद है। दरअसल, यह पवित्र धाम अलीगढ़ के ताजपुर-रसूलपुर में खैर रोड पर खेरेश्वर मंदिर स्थित है। यह इस शहर का प्रमुख मंदिर भी है। आपको यह भी बता दें कि मंदिर के सामने से यमुना एक्सप्रेस के लिए रास्ता भी जाता है।
खेरेश्वर धाम का इतिहास (Khereshwar Dham History)
खेरेश्वर धाम का इतिहास काफी रोचक है। जी हां, इस पवित्र धाम या मंदिर के बारे में बोला जाता है कि इसका इतिहास द्वापर काल से जुड़ा हुआ है। कहा जाता है कि उस दौरान यह एक टीला हुआ करता था और रात के यहां श्रीकृष्ण ने अपने बड़े भाई दाऊजी के साथ विश्राम किया था।
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खेरेश्वर धाम की पौराणिक कथा (Khereshwar Dham Myth)
खेरेश्वर धाम की पौराणिक कथा बेहद दिलचस्प है। मान्यता के अनुसार द्वापर काल में अलीगढ़ पर कोलासुर नमक शासक का अत्याचार बहुत अधिक बढ़ गया था। वो साधु-संतों पर अत्याचार करता था।
कोलासुर के अत्याचार से परेशान साधु-संतों ने भगवान श्रीकृष्ण और बलराम से शिकायत की। इसके बाद बलराम कोलासुर का वध का दिया। इस घटना के बाद भगवान श्री कृष्ण गंगा स्नान करने गए और गंगा स्नान करने के बाद शिवलिंग स्थापित कर श्रीकृष्ण ने महादेव की पूजा अर्चना की थी।(भारत के सबसे खूबसूरत और चर्चित घाट)
दूर-दूर से भक्त पहुंचते हैं
खेरेश्वर धाम की पौराणिक कथा इस कदर प्रचलित है कि यहां सिर्फ स्थानीय ही नहीं, बल्कि अन्य शहरों से भी भक्त दर्शन के लिए पहुंचते हैं। कहा जाता है कि यहां जो भी सच्चे मन से दर्शन के लिए पहुंचता है उसकी सभी मुदारें पूरी हो जाती हैं।
खेरेश्वर धाम में स्थापित शिवलिंग का दर्शन करना काफी शुभ माना जाता है। खासकर, सावन और महाशिवरात्रि के समय यहां हजारों की संख्या में भक्त पूजा-पाठ और गंगा जल अर्पित करने के लिए पहुंचते हैं।
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हर साल लगता है मेला
जी हां, खेरेश्वर धाम की पौराणिक कथा ही नहीं, बल्कि यहां लगने वाला मेला भी भक्तों के लिए आकर्षण के केंद्र माना जाता है। कहा जाता है कि जिस दिन भगवान बलराम ने कोलासुर का वध किया था, उस दिन को विजयोत्सव के रूप में मनाया जाता है।(दावन-मथुरा के रहस्यमयी मंदिर)
विजयोत्सव के मौके पर हर साल देवछट का मेला लगता है। इस मेले को देखने के लिए दूर-दूर से लोग पहुंचते हैं। कहा जाता है कि इस मेले में कुश्ती और दंगल के अलावा सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित होते हैं।
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