Vaishno Devi And Ardhkuwari Temple Katra: हिन्दू धर्म में वैष्णो देवी और अर्द्धकुवारी यात्रा का बेहद ही महत्व है। इन दोनों मंदिर में हर दिन लाखों भक्त दर्शन करने पहुंचते हैं और लाखों भक्तों की मुरादें भी पूरी होती हैं।
वैष्णो देवी और अर्द्धकुवारी मंदिर जिस तरह देश और दुनिया में पवित्र स्थल के रूप में फेमस है, ठीक उसी तरह ये दोनों मंदिर अपनी रहस्यमयी कहानियों के लिए दुनिया भर में फेमस है।
आज इस आर्टिकल में हम आपको वैष्णो देवी और अर्द्धकुमारी मंदिर से जुड़ी उन रहस्यमयी कहानियों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिनके बारे में शायद आपको भी नहीं मालूम होगा।
यह हम सभी जानते हैं कि माता वैष्णो का दिव्य स्थान एक गुफा एक अंदर मौजूद है, लेकिन यह बहुत कम लोगों को ही मालूम है कि गुफा कितनी साल पुरानी है। मान्यता के अनुसार जिस गुफा में माता विराजमान हैं, वो सौ-दो सौ साल नहीं, बल्कि एक अरब साल प्राचीन है। (ये हैं देवी के प्रसिद्ध मंदिर)
शायद आपको मालूम होगा, अगर नहीं मालूम है तो आपको बता दें कि मान्यता के अनुसार वैष्णो मंदिर गुफा को गर्भजून के नाम से भी जाना जाता है। मान्यता के अनुसार मां वैष्णो भैरव नाथ के चलते इसी गुफा में करीब नौ महीने तक छिपी रही थी। इसी वजह से इसे गर्भजून के नाम से भी जाना जाता है।
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समुद्र तल से करीब 6 हजार से भी अधिक मीटर की ऊंचाई पर मौजूद वैष्णो मंदिर को हम और आप एक ही रूप में जानते हैं, लेकिन यह कहा जाता है कि मंदिर में मां वैष्णो तीन पिंडियों के रूप में स्थापित हैं। तीन पिंडियों के रूप में विराजमान होने बावजूद भी मां को एक ही नाम यानी वैष्णो देवी के रूप में पूजा जाता है। (वैष्णो देवी मंदिर ये विंटेज तस्वीरें)
जिस तरह वैष्णो मंदिर से जुड़ी रहस्यमयी कहानियां दुनिया भर में फेमस हैं, ठीक उसी तरह अर्द्धकुवारी मंदिर रहस्यमयी कहानियां भी दुनिया भर में फेमस हैं।
क्या है अर्द्धकुवारी मंदिर का अर्थ? (Ardhkuwari Gufa Story In Hindi)
कहा जाता है कि अर्द्धकुमारी का अर्थ आदि कुंवारी से मिलकर बना है। हिन्दू पौराणिक मान्यता के अनुसार ऐसा माना जाता है कि जब वैष्णो मां एक छोटी कन्या के रूप में थी तो वो अर्द्धकुवारी मंदिर में ही विराजमान थी, और बाद में त्रिकुटा पर्वत की तरफ गायब हो गई।
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क्या सच में मां वैष्णो ने अर्द्धकुवारी गुफा में विश्राम किया था?
पौराणिक कथा के अनुसार अर्द्धकुमारी को भी गर्भजून के नाम से जाता है। कथा के अनुसार जब भैरव नाथ मां वैष्णो का पीछा करते हुए त्रिकुटा पर्वत की श्रृंखला तक पहुंच गया तब मां अर्द्धकुवारी गुफा में विश्राम करने के लिए चूना था।
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Image Credit:(@wiki,tourmyindia)
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