आज भी कई लोगों के घरों में फ्रिज नहीं है। वे लोग आज भी मिट्टी के मटके का इस्तेमाल करते हैं। इतना ही नहीं, फ्रिज रखने वाले लोग भी मिट्टी का मटका इसलिए इस्तेमाल करते हैं, ताकि उन्हें साफ पानी मिल सके। मटके का पानी आपकी प्यास बुझाता है और यह फ्रिज के पानी की तरह आपको बीमार नहीं करता है।
यह शरीर को ठंडक और ताजगी देने का एकदम प्राकृतिक तरीका है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि साधारण मिट्टी से बना यह मटका पानी को ठंडा और साफ कैसे कर देता है? इसमें कोई बिजली नहीं लगती, कोई मशीन नहीं लगी होती, फिर भी इसका पानी इतना शुद्ध और ठंडा कैसे?
दरअसल, मटके के पीछे छिपा है एक बेहद दिलचस्प विज्ञान। यह सिर्फ पारंपरिक या देसी तरीका नहीं, बल्कि एक वैज्ञानिक प्रक्रिया है जो सदियों से हमारे घरों में काम कर रही है। इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि मटका कैसे काम करता है, कैसे वह पानी को ठंडा करता है, कैसे वह नेचुरल फिल्टर की तरह अशुद्धियां हटाता है और क्यों आज के समय में भी मटका सबसे इको-फ्रेंडली और सेहतमंद विकल्प है।
गर्मी के दिनों में आपने अक्सर देखा होगा कि मटके का पानी फ्रिज के बिना भी ठंडा रहता है। यह किसी जादू से कम नहीं लगता, लेकिन इसके पीछे छिपा है एक बेहद दिलचस्प वैज्ञानिक सिद्धांत जिसे वाष्पीकरण या इवैपोरेशन कहते हैं।
मटका मिट्टी से बना होता है, जो कि एक पोरस (जिसमें छोटे-छोटे छेद होते हैं) मटेरियल है। इसका मतलब यह कि मटके की दीवारों में छोटे-छोटे छेद होते हैं जो आमतौर पर दिखाई नहीं देते, लेकिन पानी की बूंदों को बाहर निकालने में काफी होते हैं।
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गर्मियों में मटका न सिर्फ ताजगी देता है बल्कि आपके पानी को शुद्ध भी बनाता है। बहुत कम लोग जानते हैं कि मटका अपने आप में एक प्राकृतिक वॉटर फिल्टर की तरह काम करता है। मटके को जिस मिट्टी से बनाया जाता है, वह एक खास प्रकार की प्राकृतिक मिट्टी होती है। यही मिट्टी पानी में मौजूद धूल, मिट्टी या भारी कणों को धीरे-धीरे सोख लेती है। जैसे मिट्टी गंदगी को अपनी ओर खींचती है, वैसे ही यह पानी में मौजूद गंदे कणों को भी खींचकर अलग कर देती है।
जी हां, इसे अगर आप नियमित रूप से साफ करें और इसका इस्तेमाल सही ढंग से हो, तो इसमें जल्दी बैक्टीरिया नहीं पनपते हैं। इसका कारण है- साफ मटके के अंदर होने वाला लगातार ऑक्सीजन का प्रवाह। ये चीजें बैक्टीरिया को बढ़ने के लिए अनुकूल नहीं होतीं। इसलिए अगर आप मटके का सही और साफ तरीके से इस्तेमाल करें, तो यह पानी को कुछ हद तक हानिकारक बैक्टीरिया से बचा सकता है।
इतना ही नहीं, पानी का pH लेवल बहुत जरूरी होता है। यह तय करता है कि पानी कितना सुरक्षित और सेहतमंद है। प्लास्टिक की बोतलों या स्टील के बर्तनों में लंबे समय तक रखा पानी अपना pH बैलेंस खो सकता है, जिससे उसका स्वाद और गुण बदल जाते हैं। लेकिन मटके की मिट्टी पानी को संतुलित बनाए रखती है और इसे पीने के लिए बेहतर बनाती है।
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देखा आपने कितना दिलचस्प है न मटके का पानी ठंडा करने की टेक्नीक। बगैर बिजली के यह कितनी राहत पहुंचाता है। आपको यह जानकारी कैसी लगी हमें कमेंट करके जरूर बताएं। अगर आपको लेख अच्छा लगा, तो इसे लाइक करें और फेसबुक पर शेयर करना न भूलें। ऐसे ही लेख पढ़ने के लिए जुड़े रहें हरजिंदगी के साथ।
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