महाराष्ट्रीयन व्यंजन अपने मसालों के लिए जाने जाते हैं। कोकम से लेकर नारियल और मूंगफली का यहां ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है। इसके अलावा आलू का उपयोग भी कई सारी सब्जियों में किया जाता है। महाराष्ट्रीयन व्यंजन में सिर्फ वड़ा पाव ही नहीं होता, इसके अलावा भी कई मजेदार पकवान होते हैं।
ये कुजीन अपने समृद्ध स्वाद के लिए लोकप्रिय है। तीखे और चटपटे मसालों से खाना और भी लाजवाब बनता है। चलिए आज आपको महाराष्ट्रीयन कुजीन में उपयोग होने वाले स्वादिष्ट मसालों के बारे में बताएं।
महाराष्ट्रीयन व्यंजनों में नारियल का बहुत ज्यादा उपयोग होता है। कई सारी चीजों में आपको ग्रेटेड नारियल से लेकर दूध तक मिलेगा। यह करी, मिठाई और स्नैक्स सहित कई व्यंजनों में रिच फ्लेवर देता है।
गोडा मसाला जिसे काला मसाला भी कहते हैं एक अनोखा मिश्रण है। इसे महाराष्ट्रीयन व्यंजनों में बहुत ज्यादा उपयोग किया जाता है। इसमें आमतौर पर तिल, नारियल, जीरा, धनिया, दालचीनी, लौंग और अन्य मसाले से तैयार करते हैं। यह महाराष्ट्रीयन करी और चावल में डाला जाता है।
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कोकम एक फल है। इसका खट्टापन आपके स्वाद को बढ़ा देता है। गर्मियों में इसका उपयोग बहुत होता है। तटीय क्षेत्रों में इस सामग्री का काफी उपयोग होता है। यह सोल कढ़ी (कोकम और नारियल के दूध से बनी ड्रिंक) और फिश करी जैसे व्यंजनों को तीखा और खट्टा स्वाद देता है।
शेंगदाना की चटनी तो पता ही होगी? वड़ा पाव के साथ यही मिलती है। शेंगदाना और मूंगफली एक ही हैं और इसका उपयोग इस कुजीन में बहुत किया जाता है। चाहे गार्निश करना हो या फिक मुख्य सामग्री के रूप में डालना हो, मूंगफली भी एक लोकप्रिय सामग्री है।
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नॉर्थ इंडिया और साउथ इंडिया, दोनों जगह गुड़ का उपयोग होता है। हालांकि, महाराष्ट्रीयन व्यंजनों में चीनी की जगह गुड़ ही डाला जाता है। यह कई तीखी और चटपटी सब्जियों के स्वाद को बैलेंस करता है और अपना अलग स्वाद जोड़ता है। इसका उपयोग आमतौर पर डेसर्ट, स्नैक्स और सब्जियों या करी में किया जाता है।
आप बेसन का उपयोग कम ही करते होंगे, लेकिन महाराष्ट्र में इसका उपयोग बहुत होता है। फिर चाहे कढ़ी बनानी हो, भजिया तलने हो या वड़ा बनाना हो। बेसन के बिना ये चीजें कैसे बन सकेंगी। लोकप्रिय नाश्ता थालीपीठ भी बेसन से ही बनता है और फिर बेसन के लड्डू को कैसे भूला जा सकता है।
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सरसों के बीज को मराठी लोग मोहरी बोलते हैं। आमतौर पर महाराष्ट्रीयन व्यंजनों में तड़का लगाने के लिए इसका उपयोग बहुत ज्यादा होता है। सरसों दाल (दाल की सब्जी), सब्जियों और चटनी जैसे व्यंजनों में पौष्टिक स्वाद के साथ-साथ सुगंध भी जोड़ती है।
इमली को वहां चिंच कहा जाता है। यह एक अन्य टैंगी एजेंट है और जरूरी मसाला है जिसका उपयोग कई सारी दाल बनाने में किया जाता है। आमटी दाल में भी इसका उपयोग होता है। इमली चावल बनाने हो या फिर अन्य कोई भी चटनी, इमली का उपयोग महाराष्ट्रीयन कुजीन में खूब देखा जाता है।
घी, स्वास्थ्य के लिए भी अच्छा होता है। इससे दाल में तड़का लगाइए या फिर ऊपर से डालकर खाइए। महाराष्ट्रीयन व्यंजनों में अपने समृद्ध स्वाद और सुगंध के लिए इसका भी उपयोग बहुत होता है। वहां लड्डू से लेकर भाकरी को घी में ही बनाया जाता है। कई सारे पकोड़े बनाते हुए भी तेल की जगह घी का ही इस्तेमाल होता है। आपने गणेश चतुर्थी के दौरान मोदक तो जरूर खाए होंगे। इन मोदकों को खूब सारे घी में बनाया जाता है, तभी यह इतने स्वादिष्ट होते हैं।
सिर्फ साउथ इंडिया में ही नहीं, महाराष्ट्रीयन कुजीन में भी करी पत्ता काफी उपयोग होता है। दाल में तड़का लगाने के लिए इसे डाला जाता है। पोहा बनाते हुए करी पत्ता पड़ता है। चटनी में भी ऊपर से इसका तड़का लगाया जाता है। दाल पकाते वक्त भी करी पत्ता अवश्य डाला जाता है। इसकी खुशबू और अलग फ्लेवर व्यंजनों के स्वाद को एन्हांस करता है।
इसके अलावा भी ऐसे कई मसाले हैं, जिनका उपयोग महाराष्ट्रीयन कुजीन में जरूर किया जाता है। आपको कौन-सा मसाला ज्यादा पसंद है, हमें कमेंट करके बताएं। यदि आपको यह लेख पसंद आया तो इसे लाइक और शेयर करना न भूलें। ऐसे ही लेख पढ़ने के लिए जुड़े रहें हरजिंदगी के साथ।
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