Ganesh Chaturthi: नॉर्थ ईस्ट के लिए सिद्धि विनायक से कम नहीं यह गणेश मंदिर, भक्तों की हर मुरादें होती हैं पूरी

नॉर्थ ईस्ट अपनी खूबसूरती के लिए दुनिया भर में फेमस है। असम, मेघालय और सिक्किम आदि अन्य शहरों में ऐसे कई प्राचीन और विश्व विख्यात मंदिर हैं जहां दर्शन मात्र में भक्तों की मुरादें पूरी हो जाती हैं।

 

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Bharat Ke Prasidh Ganesh Mandir: इस समय देश के लगभग हर हिस्से में गणेश चतुर्थी उत्सव का नजारा देखा जा सकता है। देश के कई राज्यों और शहरों में मौजूद गणेश मंदिर को दुल्हन की तरह सजा दिया गया है।

गणेश चतुर्थी के मौके पर गणेश मंदिर में भक्तों का पहुंचना भी लगा रहता है। खासकर महाराष्ट्र के मुंबई में स्थित सिद्धि विनायक मंदिर में गणेश उत्सव के मौके पर हर दिन लाखों भक्त दर्शन करने पहुंचते हैं।

नॉर्थ ईस्ट में एक ऐसा गणेश मंदिर है जिसे नॉर्थ ईस्ट के लोग सिद्धि विनायक मंदिर से कम नहीं मानते हैं। आज इस लेख में उस गणेश मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसे नॉर्थ ईस्ट के लोग सिद्धि विनायक मंदिर की तरह मानते हैं।

नॉर्थ ईस्ट का सिद्धि विनायक मंदिर का क्या है नाम?

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नॉर्थ ईस्ट में जिस गणेश मंदिर को सिद्धि विनायक मंदिर की तरह माना जाता है उसका नाम 'गणेश टोक मंदिर' है। गणेश टोक मंदिर नॉर्थ ईस्ट के गंगटोक शहर में मौजूद है।

गणेश टोक मंदिर गंगटोक शहर में इस कदर पवित्र और फेमस है कि इस मंदिर का दर्शन करने सिर्फ स्थानीय शहर के लोग ही नहीं, बल्कि अन्य कई शहरों से दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं। इस मंदिर को स्थानीय लोगों द्वारा बेहद ही पवित्र और प्रसिद्ध धार्मिक स्थल माना जाता है।

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गणेश टोक मंदिर का इतिहास क्या है?

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गंगटोक से करीब 7 किमी की दूरी पर मौजूद इस प्रसिद्ध मंदिर का इतिहास बेहद ही दिलचस्प है। कहा जाता है कि गणेश टोक मंदिर का निर्माण साल 1953-54 में किया गया था।(400 साल पुराने गणपतिपुले मंदिर का रहस्य)

गणेश टोक मंदिर को लेकर कहा जाता है कि इसका निर्माण बी.पंत ने करवाया था। बी.पंत के बारे में कहा जाता है कि उस समय वो भारत सरकार द्वारा एक अफसर के रूप में तैनात थे। हालांकि, इस मंदिर को लेकर यह भी कहा जाता है कि यहां प्राचीन काल एक मूर्ति भी और बाद में यहां भवन का निर्माण हुआ।

भक्तों के लिए क्यों खास है गणेश टोक मंदिर?

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भक्तों के लिए गणेश टोक मंदिर बेहद ही खास है। इस मंदिर को लेकर स्थानीय मान्यता है कि जो भी सच्चे मन से दर्शन करने पहुंचता है, उसकी सभी मुरादें पूरी हो जाती हैं।

गणेश चतुर्थी के मौके पर गणेश टोक मंदिर को दुल्हन की तरह सजा दिया जाता है। यहां पूरे 10 दिनों तक चहल-पहल रहती है। गणेश चतुर्थी के मौके पर राज्य के अन्य हिस्सों से भी भक्त दर्शन करने पहुंचते हैं। गणेश चतुर्थी के मौके पर मंदिर के आसपास न नजारा बेहद ही भव्य होता है।(गणेश का यह मंदिर भी है बेहद खास)

सैलानियों के लिए क्यों खास है गणेश टोक मंदिर?

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गणेश टोक मंदिर सिर्फ गणेश भक्तों के लिए ही नहीं, बल्कि सैलानियों के लिए यह मंदिर बेहद ही खास है। पहाड़ी की चोटी पर मौजूद होने चलते यह मंदिर पर्यटकों से दूर नहीं रहता है।

हसीन पहाड़, हरियाली, ठंडी हवा के झोंके और रिमझिम बारिश की बूंदों के चलते मंदिर के आसपास रूमानी अहसास बिखरा हुआ होता है। पहाड़ी की चोटी पर पहुंचते ही पर्यटक खूबसूरती को निहारने लगता है।

कहा जाता है कि गणेश टोक मंदिर से गंगटोक शहर के साथ-साथ कंचनजंघा पर्वत की खूबसूरती को भी निहारा जा सकता है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि बर्फबारी के समय इस जगह की खूबसूरती चरम पर होती है।

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गणेश टोक मंदिर कैसे पहुंचें?

गणेश टोक मंदिर पहुंचना बहुत ही आसान है। इसके लिए आपको देश के किसी भी कोने से गंगटोक पहुंचना होगा। गंगटोक से गणेश टोक मंदिर की दूरी करीब 7 किमी है। इसके अलावा आप सिक्किम भी पहुंच सकते हैं। सिक्किम से गंगटोक शहर और फिर गंगटोक से गणेश टोक मंदिर पहुंच सकते हैं।

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि सबसे पास में बागडोगरा हवाईअड्डे है। इसके अलावा सबसे पास में सिलीगुड़ी या जलपाईगुड़ी रेलवे स्टेशन है।

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Image Credit(@shutterstocks,wiki)

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