भारतीय राज्य त्रिपुरा की राजधानी अगरतला पूर्वोत्तर भारत के सबसे बड़े शहरों में से एक है। इस शहर में दूर-दूर से लोग घूमने के लिए आते हैं। हाओरा नदी के तट पर स्थित अगरतला एक बेहद ही खूबसूरत शहर है। यह मुख्य रूप से अपने मंदिरों, महलों और समृद्ध इतिहास के लिए प्रसिद्ध है। यहां आने वाला हर पर्यटक इस राजधानी में स्थित मंदिरों का दौरा अवश्य करता है।
वैसे भी यह कहा जाता है कि यदि कोई व्यक्ति किसी भी स्थान की संस्कृति व धार्मिक मान्यताओं के बारे में करीब से जानना चाहता है तो उसे उस जगह में मौजूद धार्मिक स्थलों को एक बार अवश्य देखना चाहिए। ऐसा ही कुछ अगरतला के साथ भी है। अगरतला में कई धार्मिक स्थान हैं, जिनकी यात्रा किए बिना आपको कभी भी इसकी संस्कृति के बारे में पूरा ज्ञान नहीं हो पाएगा। तो चलिए आज इस लेख में हम आपको अगरतला में स्थित कुछ मंदिरों के बारे में बता रहे हैं-
चौदह देवी मंदिर
अगरतला से 14 किलोमीटर की दूरी पर स्थित चौदह देवी मंदिर स्थित है। इसे स्थानीय लोग चतुरदास देवता मंदिर कहकर भी पुकारते हैं। यह भगवान शिव को समर्पित एक मंदिर है। इस मंदिर का निर्माण 18 वीं शताब्दी के मध्य में महाराजा कृष्ण किशोर माणिक्य द्वारा करवाया गया था।
मंदिर के अन्य देवता पार्वती, विष्णु, दुर्गा और गणेश हैं। हर साल जुलाई के महीने में मंदिर के पास एक खारची उत्सव का आयोजन किया जाता है और साल के इस समय के दौरान हजारों पर्यटक और भक्त मंदिर में पूजा करने के लिए आते हैं।
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उमामहेश्वर मंदिर
उज्जयंता महल परिसर के अंदर स्थित उमामहेश्वर मंदिर अगरतला में एक प्रतिष्ठित मंदिर है। हरे-भरे परिवेश के साथ नारंगी रंग में रंगा पूरा मंदिर यहां की सुंदरता को और बढ़ा देता है।
लक्ष्मी नारायण मंदिर
अगरतला के महत्वपूर्ण धार्मिक स्थलों में से एक, लक्ष्मी नारायण मंदिर उज्जयंत पैलेस के मुख्य प्रवेश द्वार पर स्थित है। मंदिर महाराजा बीरेंद्र किशोर माणिक्य के शासन के दौरान बनाया गया था और त्रिपुरा की रॉयल्टी ने मंदिर के निर्माण के लिए वित्तीय योगदान दिया था। यहां भगवान कृष्ण की प्रतिमा लक्ष्मी नारायण मंदिर के कृष्णानंद सेवायत ने लगभग 45 साल पहले स्थापित की थी।
भागवत की एक पौराणिक कथा के अनुसार, तामल का पेड़ भगवान कृष्ण के जीवन से निकटता से जुड़ा हुआ है और इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए सेवायत ने मंदिर के सामने तामल का पेड़ भी लगाया। जन्माष्टमी का त्यौहार मंदिर में हर साल धूमधाम और भव्यता के साथ मनाया जाता है और साल के इस समय के दौरान सैकड़ों भक्त और तीर्थयात्री देवता की पूजा करने के लिए मंदिर में आते हैं।
कमलासागर काली मंदिर
अगरतला से लगभग 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित, कमलासागर बांग्लादेश के साथ सीमा के किनारे एक पहाड़ी पर स्थापित एक कृत्रिम झील है। 15 वीं शताब्दी में महाराजा धन्य माणिक्य द्वारा झील की खुदाई की गई थी। इस झील के पास देवी काली को समर्पित एक मंदिर है जो 16वीं शताब्दी का है।
मंदिर के साथ झील एक बिल्कुल सुंदर प्राकृतिक दृश्य प्रदान करती है और यह एक लोकप्रिय पिकनिक स्थल भी है। मंदिर में देवी की छवि दशभुजा दुर्गा या महिषासुरमर्दिनी जैसी है। देवी बलुआ पत्थर से बनी है और मंदिर में काली के रूप में पूजा की जाती है। हर साल देश के विभिन्न हिस्सों और पड़ोसी बांग्लादेश से कई भक्त इस मंदिर में आते हैं और प्रार्थना करते हैं।
दुर्गाबाड़ी मंदिर
अगरतला में उज्जयंत महल के पास स्थित दुर्गाबाड़ी मंदिर देवी दुर्गा को समर्पित है। दुर्गा पूजा और काली पूजा यहां मंदिर में बहुत उत्साह के साथ मनाई जाती है। देवी के भक्त यहां पर दर्शन के लिए अवश्य आते हैं।
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तो अब आप भी अपने अगरतला के ट्रिप के दौरान इन मंदिरों के दर्शन अवश्य करें और अपने अनुभव को यादगार बनाएं। अगर आपको यह लेख अच्छा लगा हो तो इसे शेयर जरूर करें व इसी तरह के अन्य लेख पढ़ने के लिए जुड़ी रहें आपकी अपनी वेबसाइट हरजिन्दगी के साथ।
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Image Credit- bharattemples, youtube, pilgrimaide, tripuratourism
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