अयोध्या के ये डेस्टिनेशन्स हैं सबसे बड़ा आकर्षण, यहां जरूर घूमने आएं

अगर आप अयोध्या धूमने जा रही हैं तो इन पौराणिक और एतिहासिक स्थलों पर घूमने जरूर जाएं। यहां घूमते हुए आप भक्ति और आस्था में सराबोर हो जाएंगी।

 
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सरयू नदी के तट पर बसा अयोध्या प्राचीन काल से ही भारत के हिन्दुओं की आस्था का एक बड़ा केंद्र रहा है। उत्तर प्रदेश का अयोध्या पहले फैजाबाद के पास का एक शहर हुआ करता था, लेकिन योगी आदित्यनाथ की घोषणा के बाद फैजाबाद शहर का नाम बदलकर अयोध्या रख दिया गया है। वेदों में कहा गया है कि अयोध्या भगवान की नगरी है। इस नगरी की पवित्र माना जाता है और इसकी तुलना स्वर्ग से की जाती है। पुराने समय में अयोध्या को लेकर लोगों में गहरी धार्मिंक आस्था रही है और यह आज भी बरकरार है।

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अयोध्या का विशेष पौराणिक महत्व

देश के अन्य धार्मिक स्थलों की तुलना में अयोध्या का विशेष महत्व है। यह नगरी भारत के सबसे प्रतापी सूर्यवंशी राजाओं की राजधानी रही है। भगवान विष्णु के मनुष्य के रूप में अवतार लेकर यहां जन्म लेना भी लोगों की आस्था से जुड़ा हुआ है, इसीलिए इसे 'श्रीराम' की भूमि यानी राम जन्मभूमि के नाम से जाना जाता है। माना जाता है कि एक समय में यहां 20 बौद्ध मंदिर थे, जहां 300 बौद्ध भिक्षु भी रहा करते थे। अगर आप यहां घूमने आएं तो आपको दिखेगा कि कई पुराने मंदिर खंडहर हो चुके हैं, लेकिन कुछ विशेष मंदिर आज भी अस्तित्व में हैं। इन मंदिरों में सीता रसोई, हनुमानगढ़ी मुख्य रूप से गिने जा सकते हैं। यहां स्थित कनकभवन, नागेश्वरनाथ तथा दर्शन सिंह मंदिर देखने में काफी भव्य लगते हैं। माना जाता है कि ये मंदिर 18वीं-19वीं सदी में बनाए गए थे। तो आइए अयोध्या के आकर्षणों के बारे में जानते हैं-

हनुमान गढ़ी मंदिर

अयोध्या का प्राचीन हनुमान गढ़ी मंदिर शहर के बीचोंबीच स्थित है। यह मंदिर श्रीराम के सबसे बड़े भक्त हुनमान को समर्पित है। आप देखेंगी कि यहां हनुमान जी की आराधना अयोध्या के राजा की तरह ही की जाती है। ऐसा माना जाता है कि भगवान हनुमान यहां गुफा में रहते थे और नगर की रक्षा के लिए पूरी तरह से सक्रिय रहते थे। आप यहां के मुख्य मंदिर में बाल हनुमान के साथ माता अंजनि की प्रतिमा के दर्शन कर सकती हैं। माना जाता है कि यहां आने वाले भक्तों की हर मुराद पूरी हो जाती है।

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रामकोट

रामकोट को अयोध्या का प्रमुख स्थानों में से एक माना जाता है। जहां सालभर श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। देशभर से भक्त तो आते ही हैं, यहां विदेशी सैलानियों की संख्या भी अच्छी-खासी नजर आती है। रामनवमी पर्व यहां पूरे उत्साह के साथ मनाया जाता है और इसके लिए यह दुनिया भर में प्रसिद्ध है। रामनवमी भगवान राम के जन्मदिन के रूप में पूरी श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाई जाती है।

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नागेश्वरनाथ मंदिर

अयोध्या स्थित नागेश्वरनाथ मंदिर का भी विशेष पौराणिक महत्व है। ऐसा माना जाता है कि यह मंदिर भगवान राम के पुत्र कुश ने बनवाया था। धार्मिक किवंदती के अनुसार एक बार कुश सरयू नदी में नहाने के लिए गए थे और नहाते वक्त उनका बाजूबंद नदी में कहीं गिर गया था। यह बाजूबंद किसी नागकन्या के पास चला गया। कहा जाता है कि शिव की आराधना करने वाली वह नागकन्या कुश के प्रेम में पड़ गई थी। बाद में इसी नागकन्या के लिए इस मंदिर को बनवाया गया था और इसका नाम नागेश्वरनाथ मंदिर पड़ गया। शिवरात्रि के दौरान इस मंदिर में ऐसा भव्य आयोजन किया जाता है, जिसकी सुंदरता देखते ही बनती है।

महाराज दशरथ महल

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रामकोट स्थित महाराज दशरथ महल को बड़ा स्थान या बड़ी जगह के नाम से भी जाना जाता है। यह स्थल सैलानियों के लिए सुबह 8 से लेकर दोपहर 12 बजे तक और शाम 4 से लेकर रात के 10 बजे तक खोला जाता है। राम विवाह, दीपावली, श्रावण मेला, चैत्र रामनवमी और कार्तिक मेला का यहां विशेष महत्व है और इन्हें यहां विशेष उत्साह के साथ मनाया जाता है। इन त्योहारों को मनाने के लिए यहां सैलानी काफी दूर-दूर से चलकर आते हैं। माना जाता है कि चक्रवर्ती महाराज दशरथ महल में राजा दशरथ अपने नाते-रिश्तेदारों के साथ रहते थे। यह स्थल अब एक पवित्र मंदिर के रूप में तब्दील हो चुका है, जहां राम-सीता, लक्ष्मण और शत्रुघ्न आदित की प्रतिमाएं हैं।

ऐतिहासिक बाबरी ढांचा

इस ऐतिहासिक इमारत की जगह अब यहां सिर्फ बड़ा खंडहर नजर आता है। भारत के पहले मुगल बादशाह बाबर के आदेशानुसार यहां 1527 में इस मस्जिद का निर्माण कराया गया था। मीर बाकी ने इसका नाम बाबरी मस्जिद रख दिया। गौरतलब है कि बाबरी मस्जिद का विवाद भारत का सबसे विवादित सांप्रदायिक मामलों में से एक रहा है। 6 दिसंबर 1992 के दिन रामकोट में स्थित एक ढांचा गिराया गया था और अभी भी इस पर विवाद थमा नहीं है।

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