प्रयागराज भारत के सबसे पवित्र शहरों में से एक है, जिसे गंगा और यमुना नदियों के संगम पर बनाया गया था। प्रयागराज की गिनती सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि दुनिया के सबसे पुराने शहरों में होती है। शायद यही कारण है कि प्रयागराज दुनिया भर के यात्रियों के बीच एक पॉपलुर डेस्टिनेशन है। यहां हर साल लाखों सैलानी आते हैं। यह भारत के उन कुछ स्थानों में से एक है, जिसे अत्यधिक ऐतिहासिक और धार्मिक स्थान माना जाता है। इतना ही नहीं, प्रयागराज एक ऐसा शहर है, जिससे कई अमेजिंग फैक्ट्स भी जुड़े हैं।
उदाहरण के तौर पर, क्या आप जानती हैं कि देश में पहला शक्ति पीठ प्रयागराज में है या फिर यह भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू का पैतृक घर भी है। तो चलिए आज इस लेख में हम आपको प्रयागराज शहर से जुड़ी कुछ ऐसी ही मजेदार बातों के बारे में बता रहे हैं, जिनके बारे में आपको शायद पहले कोई जानकारी नहीं होगी-
शहर ने दिया नेहरू जी को नाम
बहुत से लोगों को इस बात की जानकारी है कि यह भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू का पैतृक है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि उनका यह नाम भी प्रयागराज शहर की ही देन है। दरअसल, नेहरू, कश्मीरी ब्राह्मण पंडित, मूल रूप से कौल थे, लेकिन उनका घर नदी, या नहर के ठीक सामने थे, जिसके कारण उन्हें नेहरू कहा जाता था। बाद में पूरी दुनिया ने पंडित जवाहरलाल नेहरू के नाम से ही जानने लगी।
बर्ड लवर्स के लिए वीकेंड डेस्टिनेशन
जब भी प्रयागराज की बात होती है तो इसे ऐतिहासिक व धार्मिक नजरिए से ही देखा जाता है। लेकिन यहां का प्राकृतिक सौंदर्य भी अनुपम है। इतना ही नहीं, अगर आपको लगता है कि प्रयागराज में प्राकृतिक सुंदरता के नाम पर केवल नदियाँ हैं, तो आप गलत हैं। प्रयागराज और उसके आसपास का क्षेत्र कई खूबसूरत पक्षियों का घर है, जो लुप्तप्राय प्रजातियों से लेकर दुर्लभ प्रजाति तक के हैं। यहां जिन प्रमुख पक्षियों को देखा जा सकता है, उनमें कबूतर, मोर, बुलबुल, कॉम्ब डक और सॉन्गबर्ड आदि शामिल हैं।
प्रधानमंत्रियों का शहर
धार्मिक रूप से एक महत्वपूर्ण स्थान रखने के अलावा, प्रयागराज शहर को प्रधानमंत्रियों की भूमि के रूप में भी जाना जाता है। स्वतंत्र भारत के 15 में से 7 प्रधानमंत्री प्रयागराज के थे। इन नामों में इंदिरा गांधी, जवाहर लाल नेहरू, लाल बहादुर शास्त्री, चंद्र शेखर, गुलजारीलाल नंदा, विश्वनाथ प्रताप सिंह जैसे कई दिग्गज नाम शामिल हैं।
मिले कई नाम
कुछ समय पहले यूपी सरकार ने आधिकारिक तौर पर इलाहाबाद का नाम बदल दिया है। अब, इसे आधिकारिक तौर पर प्रयागराज के रूप में जाना जाता है। वैसे यह पहली बार नहीं है, जब इलाहाबाद का नाम बदला गया हो। क्या आपको पता है कि इस शहर का नाम कई बार बदला गया। मूल रूप से महाकाव्य महाभारत के काल में इसे कौशाम्बी के नाम से जाना जाता था। बाद में इस शहर को प्रयाग कहा जाने लगा। वहीं, महान मुग़ल सम्राट अकबर के शासनकाल के दौरान 1584 में इस शहर का नाम इल्हाब या “अल्लाह के शहर“ में बदल दिया गया था। जिसे बाद में इलाहाबाद कहकर पुकारा जाने लगा। इसके बाद साल 2018 में यूपी सरकार ने एक बार फिर से इलाहाबाद का नाम बदलकर प्रयागराज रख दिया।
रहस्यमय हनुमान मंदिर
प्रयागराज में एक सुंदर हनुमान मंदिर है जो पूर्ण प्रवाह में होने पर गंगा नदी के पानी में डूब जाता है। स्थानीय किंवदंतियों के अनुसार, हिंदुओं में यह माना जाता है कि गंगा नदी भगवान हनुमान के पैर छूना चाहती है, और इसलिए यह उनके जल स्तर को बढ़ाती है। मंदिर शहर का एक महत्वपूर्ण स्थल है, जहां हर साल हजारों हिंदू भक्त दर्शन करने के लिए जाते हैं। यहां पर भगवान हनुमान की 20 फीट ऊंची प्रतिमा है।
हिंदू तीर्थयात्रियों का दूसरा घर
निस्संदेह, प्रयागराज हिंदू तीर्थयात्रियों का दूसरा घर है। आखिरकार, यह वह जगह है जहाँ तीन पवित्र नदियाँ मिलती हैं और वह स्थल है जहाँ कई ऋषियों और आध्यात्मिक गुरुओं ने ध्यान किया और मोक्ष प्राप्त किया। प्रयागराज का उल्लेख महाभारत और रामायण के प्राचीन ग्रंथों में भी मिलता है। इसलिए, यह दुनिया में हिंदुओं के बीच महत्वपूर्ण धार्मिक स्थलों में से एक माना जाता है।
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