
मलप्पुरम केरल के 14 जिलों में से एक है, जिसने राज्य कीसांस्कृतिक विरासत में अपना योगदान दिया है। प्राकृतिक सुंदरता से घिरा यह खूबसूरत जिला ट्रेवलिंग के लिए बेहद ही अच्छी डेस्टिनेशन है, जहां जंगल, पहाड़, नदियां, बीच, झरने सभी मौजूद हैं। बारिश के मौसम में ऐसी जगहों पर जाना और भी मजेदार होता है, इसलिए इस जुलाई अपनी डेस्टिनेशन लिस्ट में केरल के मलप्पुरम को जरूर शामिल करें।

केरल के नीलांबुर से 15 किमी दूर स्थित नेदुमकायम रेनफॉरेस्ट बेहद ही खूबसूरत जगह है, जो प्रकृति के सुंदर रूपों को अपने अंदर समाए हुए है। नेदुमकायम रेनफॉरेस्ट अपनी हरियाली के लिए बहुत प्रसिद्ध है। यहां आप ट्रैकिंग, वाइल्डलाइफ, नेचर वॉक, रिवर और नेचर फोटोग्राफी जैसे एडवेंचर एक्टिविटी कर सकते हैं। लेकिन एक बात याद रखें कि नेदुमकायम में घूमने का अच्छा समय जून से जनवरी तक ही है, क्योंकि फरवरी से अप्रैल तक यह बंद रहता है।
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पेडिंजारेक्कारा बीच कुट्टीपुरम रेलवे स्टेशन से 24 km की दूरी पर है। इस बीच का नज़ारा इतना सुंदर होता है कि उसे शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता है। यह मलप्पुरम मुख्यालय से 45 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहां पर लोग प्रवासी पक्षियों को देखने और स्पीड बोट और वाटर स्कूटर से समुद्र की सैर करने आते हैं।

ऐसी जगह जहां हर तरफ हरा-भरा जंगल हो और उसके बीच में से झरना बह रहा हो। ऐसा नजारा भला कौन नहीं देखना चाहेगा। ऐसा ही सुंदर नजारा पलूर कोट्टा वाटरफॉल का है। यह वाटरफॉल मलप्पुरम जिले के कडुंगापुरम गांव में है। मानसून में चूंकि बारिश से चारों तरफ हरियाली ही हरियाली नजर आती है, तो यहां का दृश्य और भी मनोरम हो जाता है। अगर आप भी प्रकृति के करीब रहना चाहते हैं और शांत माहौल में छुट्टियां बिताना चाहत हैं, तो यहां जरूर जाएं।( भारत सबसे खूबसूरत वॉटरफॉल्स)

केरल के प्राचीन मंदिरों में से एक तिरुमंध्यमकुन्नू मंदिर, मलप्पुरम जिले के अंगदपुरम में स्थित है। पहाड़ी की चोटी पर स्थित यह मंदिर प्राकृतिक दृश्यों को अपने आस-पास इस तरह समेट हुए है कि यहां आने वाला हर व्यक्ति खुद को मंत्रमुग्ध पाता है। यह मंदिर देवी महाकाली की पूजा के लिए प्रसिद्ध है। इसके खुलने का समय सुबह 4 बजे से दोपहर 12 तक है और शाम की पूजा का समय शाम 4 से 8 बजे तक है।( मां काली के इस मंदिर की रोचक बातें)

केरल के प्रसिद्ध स्थलों में से एक पझायंगड़ी मस्जिद कोंडोटी में स्थित है। यह मस्जिद सदियों पुरानी है जो पारंपरिक मुगल स्थापत्य शैली में डिजाइन की गई है। इसे कोंडोटी नाम से भी जाना जाता है।
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Image Credit-kerala tourism
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