क्या आप जानती हैं भगवान कैसी पूजा स्वीकार करते हैं?

क्या आपके भी मन में ये सवाल आता है कि मैं ऐसा क्या करूं जिससे भगवान मेरी पूजा स्वीकार कर लें और मेरी प्रार्थनाएं सुन लें तो इसके लिए आपको यह समझना होगा कि कैसी पूजा भगवान स्वीकार करते हैं और कैसी नकार देते हैं।
What kind of worship does God accept

हिन्दू धर्म में पूजा-पाठ सिर्फ एक रोजाना किया जाने वाला काम नहीं है, बल्कि ये वो माध्यम है जिससे भक्त भगवान के प्रति अपने प्रेम, निष्ठा और समर्पण को दर्शाता है। पूजा-पाठ को लेकर प्राचीन काल से दो धारणाएं चली आ रही हैं- एक ये कि भगवान की पूजा विधि-विधान से होनी चाहिए तो दूसरी ये कि भगवान की पूजा भावपूर्वक करनी चाहिए क्योंकि भगवान सिर्फ भाव के भूखे होते हैं। ऐसे में हम ने वृंदावन के ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स से पूछा कि भगवान कैसी पूजा स्वीकार करते हैं और कैसी नहीं, तो उन्होंने हमें इससे जुड़े कई तथ्य समझाये। आइये आपको भी बताते हैं कि किस प्रकार की पूजा भगवान द्वारा स्वीकार की जाती है और कैसी पूजा भगवान को पसंद नहीं।

भगवान को कैसी पूजा पसंद है?

भगवान हमेशा भाव की पूजा स्वीकार करते हैं, दिखावे की नहीं। भगवान आपकी सच्ची श्रद्धा और भक्ति देखते हैं, न कि महंगे चढ़ावे या भव्य पूजा पंडाल।

भगवान को आपकी सच्ची श्रद्धा और प्रेम सबसे ज्यादा पसंद है। एक भक्त अगर केवल एक फूल या पत्ता भी पूरी श्रद्धा से चढ़ाता है तो भगवान उसे स्वीकार करते हैं।

bhagwan kaisi puja accept nahi karte hain

महाभारत में विदुर ने श्री कृष्ण को प्रेम से केले के छिलके खिलाए थे और श्रीकृष्ण ने उन्हें बड़े चाव से खाया था। यह घटना दर्शाती है कि भगवान को प्रेम और भाव सबसे अधिक प्रिय है।

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भगवान को दिखावा पसंद नहीं है। वे एक गरीब व्यक्ति की सरल पूजा को भी स्वीकार करते हैं अगर उस पूजा में निष्ठा, भरोसा और समर्पण हो। भगवान को पाने की इच्छा हो।

पूजा करते समय आपका मन और शरीर दोनों पवित्र होने चाहिए। यहां पवित्रता से मतलब है कि न तो मन में कोई बुरे विचार होने चाहिए और न ही शरीर बिना स्नान का होना चाहिए।

जब आप पूजा बिना किसी स्वार्थ के करते हैं, केवल भगवान के प्रति अपनी भक्ति व्यक्त करने के लिए तो वह पूजा भगवान को स्वीकार्य होती है और वो अपने आप ही आपकी मनोकामनाएं पूरी कर देते हैं।

भगवान को कैसी पूजा पसंद नहीं है?

भगवान को आडंबर, अहंकार और दिखावा बिलकुल पसंद नहीं है। यह केवल बाहरी पूजा होती है जो व्यक्ति की आत्मा से नहीं जुड़ी होती और न ही फिर भगवान से जुड़ पाती है।

अगर कोई व्यक्ति अपनी अमीरी या पद का दिखावा करने के लिए महंगी पूजा करता है तो भगवान उसे स्वीकार नहीं करते। यह पूजा केवल लोगों को प्रभावित करने के लिए होती है।

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अपनी इच्छाओं को पूरा करने के लिए या किसी स्वार्थ को सिद्ध करने के लिए या फिर किसी दूसरे का बुरा हो जाए इस इच्छा से की गई पूजा का उल्टा परिणाम आपको ही भोगना पड़ता है।

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पूजा करते समय आपके मन में गलत धारणाएं चल रही हैं जैसे कि काम भावना या फिर किसी के प्रति बुरे शब्द या फिर किसी के प्रति कोई षड़यंत्र, तो ऐसी पूजा से भगवान नहीं सुनते हैं।

गलत तरीके से कमाए गए धन से किया गया दान या चढ़ावा कभी भी स्वीकार नहीं होता है। इसके अलावा, आपके पैसे ज्यादा हैं तो उसकी भगवान को जरूरत नहीं, बेहतर है कि किसी जरूरतमंद को दें।

ज्यादा से ज्यादा पूजा करते हैं, लेकिन स्वभाव में क्रोध है या द्वेष है, यहां तक कि सभी व्रतों का पालन करते हैं, मगर अपने अवगुणों को ठीक नहीं करते हैं तो ऐसी पूजा आपको भगवान से दूर कर देती है।

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image credit: herzindagi

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FAQ

  • भगवान की पूजा कब नहीं करनी चाहिए?

    भगवान की पूजा दोपहर और रात के समय नहीं करनी चाहिए। 
  • भगवान की पूजा करने के बाद सबसे पहले क्या करना चाहिए।

    भगवान की पूजा करने के बाद सबसे पहले किसी जरूरतमंद को कुछ दान करना चाहिए।