आप में से बहुत से लोगों के घरों में पूजा-पाठ तो होता ही होगा और अक्सर आप में से ज्यादातर लोग पूजा-पाठ होने के बाद पूजा का सामन पीपल के पेड़ के नीचे रखकर आते होंगे। वहीं, घर के मंदिर में रखी मूर्तियां अगर खंडित हो जाती होंगी तो उन्हें भी ज्यादातर लोग पीपल के पेड़ के नीचे रखकर आते होंगे। क्या आप जानते हैं कि पीपल के पेड़ के नीचे पूजा का सामान या देवी-देवताओं की मूर्तियां रखना सही है या गलत और ऐसा करने से आपको कौन से परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं, आइये जानते हैं ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स से।
हमारे समाज में यह एक आम धारणा है कि जब कोई भगवान की प्रतिमा टूट जाती है, या पुरानी हो जाती है या पूजा-पाठ का सामान जैसे फूल-माला, तस्वीरें, हवन सामग्री आदि उपयोग के बाद बच जाते हैं तो उन्हें पीपल के पेड़ के नीचे रख देना चाहिए।
ऐसा अक्सर इस विश्वास से किया जाता है कि पीपल का पेड़ पवित्र होता है और उसमें देवी-देवताओं का वास होता है। इसलिए वहां ऐसी चीजों को रखना उचित माना जाता है ताकि उनका अनादर न हो। हालांकि ऐसा करना गलत और अपराध है।
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ज्योतिष और धर्म शास्त्रों के अनुसार, इस प्रथा के कुछ गंभीर दुष्प्रभाव भी हो सकते हैं, जिनके बारे में जानना बहुत जरूरी है। पीपल का पेड़ अत्यंत पूजनीय है और इसे स्वयं भगवान विष्णु का स्वरूप माना जाता है। इसमें त्रिदेव का वास भी माना जाता है।
जब हम खंडित मूर्तियां, पुराने वस्त्र या अन्य पूजा सामग्री इस पवित्र पेड़ के नीचे यूं ही छोड़ देते हैं तो इससे उस स्थान पर गंदगी फैलती है। खुले में पड़ी इन चीजों पर धूल मिट्टी पड़ती है, जानवर (कुत्ते, चूहे आदि) इन्हें दूषित कर सकते हैं और लोग इन पर पैर भी रख सकते हैं।
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यह सब वास्तव में उन देवी-देवताओं का अनादर माना जाता है जिनकी हम पूजा करते हैं। इससे पूजा का पुण्य समाप्त हो सकता है और घर में नकारात्मक ऊर्जा का वास हो सकता है। ज्योतिष और पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, पीपल में सिर्फ त्रिदेव नहीं हैं।
पीपल के पेड़ पर देवी-देवता के अलावा पितरों और कुछ अदृश्य शक्तियों का भी वास होता है खासकर रात्रि के समय। जब आप पूजा का सामान या खंडित मूर्तियां वहां छोड़ देते हैं तो इससे इन नकारात्मक शक्तियों को आकर्षित करने का खतरा बढ़ जाता है।
यह भी माना जाता है कि ऐसा करने से पितर नाराज़ हो सकते हैं और पितृ दोष लग सकता है जिससे घर में कलह, आर्थिक परेशानियां और स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं आ सकती हैं। यह आपके भाग्य पर भी नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।
जब हम पूरी श्रद्धा और विधि-विधान से पूजा करते हैं तो उसका फल प्राप्त होता है, लेकिन अगर हम पूजा के बाद सामग्री का उचित तरीके से विसर्जन नहीं करते और उसे यूं ही छोड़ देते हैं तो इससे पूजा के फल में कमी आ सकती है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, हर कार्य का एक सही तरीका होता है और विसर्जन भी पूजा का एक महत्वपूर्ण अंग है। अनुचित विसर्जन से भगवान अप्रसन्न हो सकते हैं। अगर, सामग्री पूर्णतः मिट्टी की बनी हो तो उसे पवित्र नदी में विसर्जित करें।
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मिट्टी की मूर्तियों या प्राकृतिक सामग्री को साफ-सुथरी और एकांत जगह पर भूमि में दबाना सबसे उत्तम माना जाता है। कई मंदिरों या धार्मिक संस्थाओं में ऐसी सामग्रियों को एकत्र करने और उनका उचित तरीके से विसर्जन करने की व्यवस्था होती है।
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image credit: herzindagi
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