गुरु आदित्य राजयोग में पड़ रही है गुरु पूर्णिमा, जानें पूजा के लिए सबसे ज्यादा शुभ समय कौन सा है और क्या है इसका महत्व

Guru Purnima Kab Hai 2025: गुरु हमें अज्ञान के अंधकार से ज्ञान के प्रकाश की ओर ले जाते हैं इसलिए इस दिन गुरुओं को ब्रह्मा, विष्णु और महेश का स्वरूप मानकर उनकी पूजा की जाती है। यह दिन महर्षि वेदव्यास के जन्मदिन के रूप में भी मनाया जाता है जिन्होंने वेदों का संकलन किया था।
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गुरु पूर्णिमा का पर्व गुरुओं के प्रति सम्मान और कृतज्ञता व्यक्त करने का एक विशेष दिन है। यह आषाढ़ मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। इस दिन शिष्य अपने गुरुओं का पूजन करते हैं और उनका आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। गुरु हमें अज्ञान के अंधकार से ज्ञान के प्रकाश की ओर ले जाते हैं इसलिए इस दिन गुरुओं को ब्रह्मा, विष्णु और महेश का स्वरूप मानकर उनकी पूजा की जाती है। यह दिन महर्षि वेदव्यास के जन्मदिन के रूप में भी मनाया जाता है जिन्होंने वेदों का संकलन किया था। ऐसे में ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स से आइये जानते हैं कि इस साल कब पड़ रही है गुरु पूर्णिमा, क्या है गुरु पूजन का शुभ मुहूर्त और महत्व।

गुरु पूर्णिमा 2025 कब है?

आषाढ़ माह की पूर्णिमा तिथि का आरंभ 10 जुलाई, गुरुवार के दिन देर रात 1 बजकर 36 मिनट पर होगा और इसका समापन 11 जुलाई, शुक्रवार के दिन देर रात 2 बजकर 6 मिनट पर होगा।

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ऐसे में उदया तिथि के अनुसार, गुरु पूर्णिमा 11 जुलाई को मनाई जानी चाहिए, लेकिन पूर्णिमा का चंद्रमा 10 जुलाई को निकलेगा, इसलिए गुरु पूर्णिमा का पूजन भी 10 जुलाई को ही किया जाएगा।

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गुरु पूर्णिमा 2025 शुभ मुहूर्त

गुरु पूर्णिमा का दिन गुरुओं की पूजा और व्रत के लिए बहुत खास माना जाता है। ऐसे में इस दिन गुरु पूजन के लिए शुभ समय अभिजीत मुहूर्त है जो दोपहर 11:59 बजे से 12:54 बजे तक रहेगा।

किसी कारण से आप सुबह पूजा न कर पाएं तो शमा के समय गोधुली मुहूर्त में गुरु पूजन कर सकते हैं। यह मुहूर्त शाम 07:21 बजे से 07:41 बजे तक रहेगा। यह समय भी पूजा के लिए उत्तम है।

गुरु पूर्णिमा के दिन दान करना भी लाभकारी माना जाता है और अमृत काल में किया गया दान अक्षय फल प्रदान करता है। अमृत काल रात 12:55 बजे से 11 जुलाई की रात 02:35 बजे तक रहेगा।

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गुरु पूर्णिमा 2025 महत्व

गुरु हमें सही रास्ता दिखाते हैं, अज्ञानता दूर करते हैं और जीवन में सफलता दिलाते हैं। उनकी पूजा से पितृ दोष और कुंडली में गुरु ग्रह बृहस्पति की अशुभ स्थिति भी शांत होती है।

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गुरु की कृपा से जीवन में ज्ञान, धन, समृद्धि और आध्यात्मिक उन्नति आती है। जो सच्चे मन से गुरु का आशीर्वाद लेता है उसे हर काम में सफलता मिलती है और जीवन में खुशहाली बनी रहती है।

वहीं, देव गुरु बृहस्पति की पूजा भी इसी दिन विशेष फलदायी होती है क्योंकि बृहस्पति ग्रह को ज्ञान, बुद्धि, विवाह, संतान और धन का कारक माना जाता है। उनकी पूजा करने से व्यक्ति की बुद्धि तेज होती है।

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image credit: herzindagi

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FAQ

  • गुरु पूर्णिमा के दिन कौन से मंत्रों का जाप करना चाहिए? 

    गुरु पूर्णिमा के दिन गुरु मंत्र और बृहस्पति देव के मंत्रों का जाप करना शुभ माना जाता है।