ज्योतिष शास्त्र में पितृ दोष को एक अत्यंत प्रभावशाली और गंभीर योग माना जाता है। यह दोष तब उत्पन्न होता है जब किसी जातक की कुंडली में ग्रहों की स्थिति पूर्वजों की अशांति या अधूरे कर्मों का संकेत देती है। पितृ दोष होने पर व्यक्ति के जीवन में बार-बार कई समस्याएं आती हैं। पितृ दोष होने पर आपके जीवन में आर्थिक हानि, विवाह में देरी, संतान सुख में कमी, पारिवारिक अशांति और मानसिक तनाव जैसे कई कठिनाइयां आ सकती हैं। यह दोष न केवल वर्तमान जीवन को प्रभावित करता है, बल्कि आने वाली कई पीढ़ियों तक भी इसके दुष्परिणाम देखे जा सकते हैं। कुंडली में सूर्य, राहु, शनि या केतु जैसे ग्रह यदि नवम भाव को पीड़ित करते हैं तो पितृ दोष बनता है। इसके अलावा यदि पूर्वजों का विधिवत श्राद्ध या तर्पण न किया गया हो, तो भी यह दोष उत्पन्न हो सकता है।
हालांकि व्यक्ति की कुंडली में पितृ दोष होता है तो उसे कुछ आसान उपायों से दूर किया जा सकता है। आइए ज्योतिर्विद पंडित रमेश भोजराज द्विवेदी से जानें इसके बारे में विस्तार से कि पितृ दोष क्या होता है और यह कब कुंडली में लगता है। यही नहीं आप इसके उपायों के बारे में भी जानें।
पितृ दोष क्या होता है?
पितृ दोष का अर्थ होता है पूर्वजों की आत्मा की अशांति या उनके द्वारा किए गए कर्मों के प्रभाव का कुंडली में उपस्थित होना। जब किसी जातक की कुंडली में कुछ विशेष ग्रह जैसे सूर्य, चंद्र, राहु, केतु या शनि ग्रह प्रतिकूल स्थिति में होते हैं, विशेषकर यदि कुंडली में 9वें भाव पर अशुभ ग्रहों की दृष्टि या स्थिति होती है, तो यह पितृ दोष का निर्माण करता है। पितृ दोष का कारण यह भी होता है कि यदि किसी व्यक्ति के पूर्वजों का विधिपूर्वक श्राद्ध, तर्पण या अंतिम संस्कार नहीं किया गया हो, तो उनकी आत्मा को संतुष्टि नहीं मिलती है और यह आगे चलकर पितृ दोष का कारण बनता है। यही नहीं यदि आपके किसी करीबी पूर्वज ने कोई ऐसा अपराध किया हो जिसकी क्षमा पाना मुश्किल होता है तो ये भी कुंडली में पितृ दोष का कारण बन सकता है। ऐसे में पूर्वजों की आत्मा संतुष्ट नहीं होती है और यह अशांति अगली पीढ़ियों के जीवन को भी प्रभावित करती है।
कुंडली में पितृ दोष कैसे बनता है?
पितृ दोष एक ऐसा ज्योतिषीय योग है जो जातक की कुंडली में तब उत्पन्न होता है जब पूर्वजों की आत्मा किसी भी वजह से असंतुष्ट होती है या उनका अंतिम संस्कार विधि पूर्वक नहीं किया गया होता है। इसके पीछे प्रमुख कारण होता है पूर्वजों द्वारा अधूरे कर्म, श्राद्ध का ठीक से न होना, या वंश परंपरा में किसी की असमय मृत्यु।
कुंडली में विशेषकर नवम भाव जिसे पिता, पूर्वज और धर्म का भाव माना जाता है, वह यदि राहु, केतु, शनि या सूर्य जैसे ग्रहों से पीड़ित हो, तो पितृ दोष का निर्माण होता है। यदि सूर्य, जो पिता और आत्मा का कारक हैं, राहु या शनि के साथ स्थित होते हैं या इन ग्रहों से दृष्ट होते हैं, तो यह दोष और भी गंभीर हो सकता है। यह दोष न केवल जातक के व्यक्तिगत जीवन को प्रभावित करता है, बल्कि पूरे परिवार के विकास में रुकावट ला सकता है। इससे छुटकारा पाने के लिए विशेष श्राद्ध कर्म, तर्पण, पिंडदान और पितरों के नाम से दान आदि उपाय शास्त्रों में बताए गए हैं।
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पितृ दोष के लक्षण क्या होते हैं?
यदि किसी जातक की कुंडली में पितृ दोष होता है, तो उसके जीवन में कुछ विशेष समस्याएं बार-बार सामने आती हैं। आइए आपको बताते हैं इस दोष के मुख्य लक्षण क्या होते हैं-
विवाह और संतान प्राप्ति में बाधा
यदि किसी भी व्यक्ति की कुंडली में पितृ दोष है और वह अविवाहित है तो उसके विवाह में अनावश्यक देरी होती है या यही नहीं शादी-शुदा लोगों के वैवाहिक जीवन में इस दोष की वजह से हमेशा अशांति बनी रहती है। यदि किसी वजह से जातक का विवाह हो भी जाता है तो पितृ दोष की वजह से जातक को संतान प्राप्ति में बाधाएं आती हैं या संतान की सेहत से जुड़ी समस्याएं बनी रहती हैं।
आर्थिक और स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं
यदि आपकी कुंडली में पितृ दोष मौजूद है तो आपके धन आगमन के बावजूद आर्थिक अस्थिरता बनी रहती है और अनावश्यक ही कर्ज का बोझ बढ़ सकता है। यही नहीं ऐसे में आपको बार-बार बीमारियों का सामना भी करना पड़ सकता है। विशेषकर आपको ऐसे में अनजानी या जटिल बीमारियां हो सकती हैं।
परिवार में कलह या दुर्घटनाएं
यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में पितृ दोष मौजूद है तो उसके परिवार के सदस्यों के बीच बार-बार झगड़े, मनमुटाव और तनाव जैसी स्थितियां बनी रहती हैं।
ऐसे में अचानक आपके साथ दुर्घटनाएं हो सकती हैं या घर के किसी व्यक्ति को असामयिक मृत्यु का सामना भी करना पड़ सकता है। इसके अलावा सपनों में मृत पूर्वजों का आना या रोते हुए देखना। पूर्वजोंकासपने में आपसे पानी मांगना भी पितृ दोष का संकेत हो सकता है।
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कुंडली में पितृ दोष है तो ये उपाय आजमाएं
अगर आपकी कुंडली में पितृ दोष है और इसका प्रभाव जीवन में विभिन्न परेशानियों के रूप में नजर आ रहा है, तो ज्योतिष शास्त्र में इसे शांत करने के लिए कई प्रभावशाली उपाय बताए गए हैं। आइए जानें उनके बारे में-
पितृ तर्पण और श्राद्ध कर्म
पितृ दोष से मुक्ति पाने के लिए श्राद्ध पक्ष के दौरान पितरों का तर्पण और श्राद्ध करना अत्यंत आवश्यक होता है। यह एक धार्मिक कर्तव्य माना गया है जिससे पूर्वजों की आत्मा को शांति प्राप्त होती है। जब व्यक्ति अपने पितरों को श्रद्धा और विधि-विधान से तर्पण अर्पित करता है, तो वे प्रसन्न होकर आशीर्वाद प्रदान करते हैं। इससे जीवन में सुख-शांति, समृद्धि और संतानों की उन्नति का मार्ग प्रशस्त होता है। विशेषकर कुंडली में पितृ दोष होने पर इन कर्मों का महत्व और भी अधिक बढ़ जाता है।
गाय और कुत्तों को भोजन कराना
साल की प्रत्येक अमावस्या तिथि को गाय, कुत्तों, कौओं और ब्राह्मणों को भोजन कराना पितृ दोष शांति के प्रभावशाली उपायों में से एक माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि ये सभी प्राणी पितरों के प्रतीक होते हैं और इन्हें भोजन कराने से पितरों की आत्मा तृप्त होती है। खासकर कुत्ते और कौवे को भोजन देना पितृ लोक से जुड़ा हुआ माना जाता है, जिससे पूर्वजों का आशीर्वाद प्राप्त होता है और कुंडली में स्थित पितृ दोष का प्रभाव धीरे-धीरे कम होने लगता है। इस उपाय को श्रद्धा और नियमितता से करने पर शुभ फल अवश्य मिलते हैं।
पितृ दोष को कई तरह से आपके जीवन के लिए नकारात्मक माना जाता है, लेकिन यदि आप यहां बताए उपायों का पालन करते हैं तो आपके जीवन में सदैव समृद्धि बनी रहती है।
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