सावन की अमावस्या को हरियाली अमावस्या भी कहा जता है। इस साल हरियाली अमावस्या 24 जुलाई को पड़ रही है। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा का विधान माना जाता है। शास्त्रों में बताया गया है कि सावन की हरियाली अमावस्या के दिन शिव-शक्ति पूजन करने से घर में शुभता का आगमन होता है। वहीं, ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स ने हमें बताया कि इस दिन कथा का अनुसरण भी करना चाहिए। असल में ऐसा माना जाता है कि हरियाली अमावस्या की व्रत कथा पढ़ने से जीवन के संकटों का नाश होता है।
सावन हरियाली अमावस्या व्रत कथा
एक समय की बात है, एक राजा अपने महल में अपनी बहू और बेटे के साथ सुख से रहता था। एक दिन राजा की बहू ने रसोई में रखी सारी मिठाई चुपचाप खा ली। जब उससे पूछा गया कि मिठाई कहां गई तो उसने सारा इल्जाम चूहों पर लगा दिया। चूहों ने यह बात सुन ली और उन्हें बहुत गुस्सा आया। उन्होंने रानी को सबक सिखाने का निश्चय किया।
कुछ दिनों बाद, राजा के महल में कुछ मेहमान आए। चूहे ने चुपके से रानी की साड़ी उठाई और उसे मेहमानों के कमरे में रख दिया। अगली सुबह जब मेहमानों की आंखें खुलीं तो उन्होंने अपने सामने रानी की साड़ी देखकर राजा को यह बात बताई। राजा को लगा कि रानी का चरित्र ठीक नहीं है, और वे बहुत क्रोधित हुए। उन्होंने अपनी बहू को महल से बाहर निकाल दिया।
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महल से निकाले जाने के बाद रानी को अपनी गलती का एहसास हुआ कि झूठ बोलने का फल उसे मिला है। वह एक जंगल में जाकर रहने लगी। वहां वह रोज शाम को एक पीपल के पेड़ के नीचे दिया जलाती और ज्वार उगाती थी। पूजा करने के बाद वह सबको गुड़-धानी का प्रसाद बांटती थी। एक दिन राजा उसी रास्ते से शिकार खेलकर लौट रहे थे।
उन्होंने देखा कि पीपल के पेड़ के नीचे बहुत सारे दीपक जल रहे हैं और उनके पास कुछ ज्वार भी उगी हुई है। राजा यह देखकर हैरान रह गए। महल वापस आकर उन्होंने अपने सैनिकों को उस रहस्य का पता लगाने के लिए कहा। जब सैनिक उस पीपल के पेड़ के नीचे पहुंचे तो उन्होंने देखा कि सारे दीपक आपस में बातें कर रहे थे और अपनी-अपनी कहानी सुना रहे थे।
जब उस दीपक की बारी आई जिसे रानी रोज जलाती थी तो उसने बताया कि कैसे रानी ने झूठ बोलकर मिठाई खाई और चूहे पर इल्जाम लगाया जिसके कारण राजा ने उसे महल से निकाल दिया। सैनिकों ने वापस आकर राजा को सारी बात बताई। सच्चाई जानकर राजा को अपनी गलती का एहसास हुआ। उन्होंने तुरंत अपनी बहू को वापस महल में ससम्मान बुलाया।
इसके बाद रानी और राजा दोनों ने मिलकर धर्म-कर्म के काम किए और उनका गृहस्थ जीवन खुशियों से भर गया। यह कथा हमें सिखाती है कि झूठ बोलना हमेशा बुरा होता है और सच की जीत हमेशा होती है। साथ ही, यह प्रकृति और वृक्षों के महत्व को भी दर्शाती है क्योंकि पीपल के पेड़ के नीचे रानी की सच्ची भक्ति और पूजा से ही उसे न्याय मिला।
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