क्या आप मसूड़ों की सूजन से परेशान रहती हैं? और लक्षणों को कम करने वाले प्रभावी उपाय की खोज कर रही हैं तो अब आपको परेशान होने की जरूरत नहीं क्योंकि आप इस आर्टिकल में दिए आसान उपाय को अपनाकर इस समस्या से बच सकती हैं। लेकिन सबसे पहले हम ये जान लेते हैं कि मसूड़ों में सूजन आखिर होती क्यों है?
मसूड़ों की सूजन जिंजीवाइटिस के कारण होती है। ये बैक्टीरियल इंफेक्शन के कारण होती है। इसके परिणामस्वरूप मसूड़ों में सूजन, कोमतला और लालिमा आ जाती है। यह एक संक्रामक रोग है जो खांसने, छींकने और झूठा खाने से होती है। जी हां जिंजिवाइटिस के लिए बैक्टीरिया जिम्मेदार होते हैं जो लार में पैदा होते और बढते हैं। जब कोई संक्रमित व्यक्ति किसी हेल्दी व्यक्ति के साथ खाना शेयर करता है तब स्लाइवा के माध्यम से बैक्टीरिया हेल्दी व्यक्ति की बॉडी में प्रवेश करता हैं। जब प्लाक रोजाना ब्रशिंग और फ्लोसिंग द्वारा दूर नहीं होता है। तब जिंजिवाइटिस की समस्या होती है। जिंजीवाइटिस का इलाज नही किया जाए तो ये दांत और जबड़े को नुकसान पहुंचा सकता है। इसलिए इससे बचना बेहद जरूरी है।
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मसूड़ों में सूजन की बीमारी है जिंजीवाइटिस
क्लिनिकल पीरियडोंटोलॉजी जर्नल में प्रकाशित एक नई रिसर्च से पता चला है कि प्लांट बेस डाइट से आप इसके लक्षणों को आसानी से कम कर सकती हैं। मसूड़े की सूजन बहुत ही क्रोनिक पेरियोडोंटल बीमारी है, और समय रहते इसका ट्रीटमेंट ना किया जाए तो यह पीरियोडोंटाइटिस का कारण बन सकता है। प्रोटीन की कमी से पीरियोडोंटाइटिस नामक मसूड़ों की एक बीमारी होती है, जिसमें मसूड़ों से ब्लड निकलता है और दांतों के आसपास की हड्डियां कमजोर होने लगती हैं। इस बीमारी में मुंह के बैक्टीरिया के प्रति इम्यून सिस्टम ज्यादा एक्टिव हो जाता है। बढ़ती उम्र के साथ लोगों में इस बीमारी से ग्रस्त होने का खतरा बढ़ता जाता है।
प्रमुख लेखक डॉक्टर जोहान वोलेबर ने कहा "अध्ययन के परिणाम स्पष्ट रूप से बताते हैं कि अनुकूलित आहार से नेचुरली मसूड़े की सूजन को कम करने में मदद मिलती है जो नॉर्मल हेल्थ को भी बढ़ावा देता है।" आप इस डाइट को लेने से मसूड़ों की इस बीमारी से बचने के साथ-साथ अपनी हेल्थ में भी सुधार ला सकती हैं।
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क्या कहती है रिसर्च
परीक्षण के लिए, शोधकर्ताओं ने एक प्रयोगात्मक और नियंत्रित समूह में पहले से ही मसूड़े की सूजन से पीड़ित 30 रोगियों का विश्लेषण किया। अध्ययन में शामिल रोगियों को 4 हफ्ते के लिए प्लांट बेस डाइट पर रखा गया था। नई डाइट में में कार्बोहाइड्रेट और पशु प्रोटीन की मात्रा कम, लेकिन ओमेगा-3 फैटी एसिड, विटामिन सी, विटामिन डी, एंटीऑक्सीडेंट, पौधे नाइट्रेट और फाइबर भरपूर मात्रा में शामिल थे। परिणामों के अनुसार, नई डाइट अपनाने वाले समूह में मसूड़े की सूजन के कारण ब्लीडिंग में उल्लेखनीय गिरावट का अनुभव किया गया। समूह ने विटामिन डी के मूल्यों में वृद्धि और वजन में मामूली कमी को भी दर्शाया गया। यानि आप प्लांट बेस डाइट लेने से मसूड़ों की बीमारी से बचने के साथ-साथ अपना वजन भी कम कर सकती हैं।
Source: ANI
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