आजकल मौसम में लगातार हो रहे बदलाव और प्रदूषण के कारण ज्यादातर लोग वायरल इंफेक्शन, तेज बुखार, सर्दी-खांसी और गले में खराश जैसी समस्याओं से जूझ रहे हैं। ऐसे में अक्सर एंटीबायोटिक्स और केमिकल बेस्ड दवाओं का सहारा लिया जाता है। इससे शरीर की इम्यूनिटी कमजोर होने लगती हैं, लेकिन आयुर्वेद में इन समस्याओं के लिए नेचुरल और असरदार उपाय मौजूद हैं, जिन्हें अपनाकर आप न सिर्फ वायरल इंफेक्शन और बुखार जैसी बीमारियों से बच सकती हैं, बल्कि महंगे हॉस्पिटल बिलों से भी छुटकारा पा सकती हैं।
आयुर्वेद का मानना है कि हमारा शरीर बीमारियों से लड़ने की क्षमता खुद रखता है, बस उसे सही पोषण, समय पर देखभाल और नेचुरल सपोर्ट की जरूरत होती है। यहां हम आपके लिए आयुर्वेदिक डॉक्टर चैताली राठौड़ द्वारा बताए गए कुछ बेहद कारगर घरेलू उपाय लेकर आए हैं, जो वायरल सीजन में आपकी सेहत को सुरक्षित रखेंगे और आपको फिट बनाएंगे।
गुनगुना पानी पिएं
पूरे दिन गर्म या गुनगुना पानी पीना एक आसान, लेकिन अत्यंत असरदार उपाय है। आयुर्वेद के अनुसार, गर्म पानी डाइजेटिव सिस्टम को मजबूत करता है और शरीर से टॉक्सिंस को बाहर निकालने में मदद करता है।
यह शरीर में सूजन को कम करता है और गले की खराश और कफ को शांत करता है।
मौसमी आहार और जीवनशैली
आयुर्वेद ऋतुचर्या (मौसमी दिनचर्या) के महत्व पर जोर देता है। बदलते मौसम में शरीर के इम्यून सिस्टम को मजबूत रखने के लिए हमेशा ताजा और गर्म भोजन ही खाएं। बासी, ठंडा और प्रोसेस्ड भोजन और पेय पदार्थों से बचें, क्योंकि ये डाइजेशन को कमजोर कर सकते हैं और शरीर को इंफेक्शन के प्रति ज्यादा सेंसिटिव बना सकते हैं।
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तुलसी और गिलोय का काढ़ा
तुलसी और गिलोय दोनों ही आयुर्वेद की शक्तिशाली औषधियां हैं। तुलसी अपने एंटी-वायरल और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुणों के लिए जानी जाती है, जबकि गिलोय को 'अमृता' कहा जाता है क्योंकि यह इम्यूनिटी को चमत्कारिक रूप से बढ़ाती है। काली मिर्च और धनिया के बीजों के साथ इनका काढ़ा बनाकर पीने से यह इंफेक्शन से लड़ता है और एलर्जी और सर्दी-जुकाम में भी आराम देता है।
सोंठ का उपयोग
आयुर्वेद में सोंठ (सूखी अदरक) को बुखार और कफ-सर्दी के लिए रामबाण उपाय माना गया है। यह पाचन अग्नि को तेज करती है, शरीर में सूजन कम करती है और सांसों से जुड़े इंफेक्शन से लड़ने में मदद करती है।
मानसून और बुखार के दौरान इसका सेवन विशेष रूप से फायदेमंद होता है।
लंघन (उपवास)
आयुर्वेद के अनुसार, बुखार होने पर 'लंघन' यानी हल्का उपवास करना अच्छा उपचार है। जब शरीर इंफेक्शन से लड़ रहा होता है, तब डाइजेशन कमजोर हो जाता है। ऐसे में भोजन पर जोर न देकर शरीर को आराम देना चाहिए। इससे शरीर की सारी ऊर्जा बीमारी से लड़ने में लगती है और रिकवरी जल्दी होती है। इस दौरान आप सिर्फ हल्के सूप या मूंग दाल का पानी ले सकती हैं।
हल्दी और नमक के गरारे
गले के इंफेक्शन, खांसी और सर्दी को रोकने के लिए गर्म पानी में थोड़ी हल्दी और नमक मिलाकर गरारे करना काफी असरदार होता है। हल्दी में शक्तिशाली एंटीसेप्टिक और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो गले की सूजन और इंफेक्शन को कम करते हैं। नमक भी बैक्टीरिया को नेचुरल दूर करता है।
भुनी हुई लौंग खाएं
अगर आपको टॉन्सिलिटिस, खांसी या गले में खराश है, तो घी में भुनी हुई 1 लौंग चबाना काफी फायदेमंद होता है।
लौंग में मौजूद यूजेनॉल नामक तत्व में एंटी-इंफ्लेमेटरी और एनाल्जेसिक यानी सूजन और दर्द कम करने वाले गुण होते हैं, जो गले के दर्द और सूजन को कम करते हैं।
रोजाना एक ही समय पर सोएं
आयुर्वेद में अच्छी सेहत के लिए सही रूटीन और रेगुलर समय पर सोना बेहद जरूरी होता है। पर्याप्त और गहरी नींद लेने से शरीर रिपेयर होता है और इम्यूनिटी मजबूत होती है। अनियमित नींद शरीर के इम्यून सिस्टम को कमजोर करती है, जिससे आप आसानी से बीमार पड़ सकते हैं।
अभ्यंग (तेल मालिश) से बचें
बुखार, खांसी और सर्दी जैसी सूजन वाली समस्याओं में शरीर की तेल मालिश (अभ्यंग) से बचना चाहिए। आयुर्वेद के अनुसार, इस कंडीशन में शरीर की अंदरूनी गर्मी को बनाए रखना चाहिए। तेल मालिश शरीर के तापमान को प्रभावित करता है और इंफेक्शन को और बढ़ा सकता है।
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मूंग दाल खाएं
बुखार और खांसी होने पर मूंग दाल का सूप या खिचड़ी सबसे अच्छा माना जाता है। मूंग दाल पचने में बहुत हल्की होती है और शरीर में सूजन को कम करती है। यह शरीर को जरूरी पोषण देती है, जबकि डाइजेस्टिव सिस्टम के लिए भारी नहीं होती है।
इन आसान और असरदार उपायों को अपनाकर आप अपनी इम्यूनिटी को बढ़ा सकती हैं और वायरल इंफेक्शन से भी खुद को बचा सकती हैं और महंगे हॉस्पिटल के बिलों की चिंता से भी फ्री रह सकती हैं।
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Image Credit: Shutterstock & Freepik
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