
भारतीय घरों में एक होममेकर के काम को कुछ खास तवज्जो नहीं दी जाती है। लेकिन घर संभालना कोई आसान काम नहीं है। अगर आप कहीं बाहर नौकरी करती हैं तो आपके काम के घंटे निश्चित होते हैं, लेकिन घर संभालना तो एक फुल टाइम जॉब है, जिसमें किसी तरह की छुट्टी नहीं मिलती है। यहां तक कि बीमारी में भी काम करना पड़ता है। एक होममेकर घर के हर सदस्य की छोटी से छोटी जरूरतों का ख्याल रखती है। शायद यही वजह है कि उसे सिर्फ शारीरिक ही नहीं, बल्कि मानसिक थकान का भी सामना करना पड़ता है।
हो सकता है कि आपको एक दिन ऐसा लगे कि आप सब कुछ अच्छी तरह मैनेज कर रही हैं। वहीं दूसरे दिन अचानक महसूस हो कि मन चिड़चिड़ा हो गया है, एनर्जी खत्म हो गई है, या फिर खुद को ही समझ नहीं आ रहा कि क्या हो रहा है। यही वजह है कि आपको अपनी मेंटल हेल्थ का भी उतना ही ख्याल रखने की जरूरत है। हालांकि, अधिकतर महिलाएं इसे नजरअंदाज करती चली जाती है और फिर उनकी स्थिति बद से बदतर हो जाती है। तो चलिए आज इस लेख में हम आपको कुछ ऐसे ही मेंटल हेल्थ केयर टिप्स के बारे में बता रहे हैं, जो एक होममेकर को बर्नआउट से बचने और बैलेंस्ड व हैप्पी लाइफ जीने में मदद करेंगे
भले ही आप होममेकर हैं, लेकिन फिर भी आपको ऑफ ड्यूटी टाइम जरूर सेट करना चाहिए। इस नियम के बारे में घर के हर सदस्य को जानकारी होनी चाहिए कि आप घर के कामों के लिए अवेलेबल नहीं है। इसलिए, अगर इस दौरान किसी तरह का काम है तो घर के सदस्यों को वह खुद ही करना होगा। इस तरह जब आप अपनी जिम्मेदारियों व कामों से कुछ वक्त के लिए दिमागी तौर पर दूरी बना लेती हैं तो इससे थकावट कम होती है और एनर्जी फिर से लौटती है। मेंटल हेल्थ का ख्याल रखने के लिए यह एक अच्छा तरीका है।

अगर आप होममेकर हैं तो अपना पूरा समय सिर्फ और सिर्फ परिवार को ही ना दें। बल्कि दिन का आधा से एक घंटा सिर्फ खुद के साथ बिताएं। इस दौरान आप वह सब कुछ करें, जो आपको अच्छा लगता है। अधिकतर महिलाएं सारा टाइम दूसरों की देख-रेख में निकाल देती हैं और फिर उन्हें लगता है कि उनकी अपनी कोई जिन्दगी नहीं है। यही सोच उन्हें मानसिक रूप से परेशान करती हैं। हालांकि, मी टाइम बिताने के लिए जरूरी नहीं है कि आप हर बार बाहर ही जाएं। अगर आप चाहें तो घर पर भी आप अपने लिए एक छोटा सा तैयार कर सकती हैं, जहां आप अकेले कुछ पल बिता सकें। कपलान एंड कपलान (1989) की एक रिसर्च के अनुसार, घर में बना ऐसा पर्सनल स्पेस मानसिक थकान कम करता है और हमें इमोशनली रिकवर होने में मदद करता है।
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अक्सर होममेकर को जब अनदेखी का सामना करना पड़ता है तो यह उन्हें भावनात्मक रूप से काफी कष्ट पहुंचाता है। ऐसे में अपना मानसिक बोझ कम करने के लिए आप अपनी फीलिंग्स को वॉइस नोट में रिकॉर्ड करें, जैसे एक छोटा ऑडियो डायरी हो। जेएमआईआर मेंटल हेल्थ (2020) के मुताबिक, दिल की बात लिखना या बोलना तनाव व एंग्जाइटी को कम करता है। इससे आपको अपनी फीलिंग्स को प्रोसेस करने में मदद मिलती है। यह तरीका किसी तरह की थेरेपी से कम नहीं है और एकदम प्राइवेट और फ्री है।
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