यूटरिन कैंसर हो सकता है खतरनाक, ऐसे करवाएं इसकी स्क्रीनिंग

यूटरिन कैंसर जो महिलाओं के लिए खतरानक हो सकता है उसका पता लगाने के लिए कुछ खास तरीके हैं। इनके बारे में विस्तार से जानिए।

best methods to screen endometrial cancer
best methods to screen endometrial cancer

यूट्रस के अंदरूनी भाग में मौजूद एक परत को एंटोमेट्रियम कहा जाता है और जब इस परत की कोशिकाएं तेज़ी से बढ़ने लगती हैं तो आगे चलकर यूयूटरिन/एंडोमेट्रियल कैंसर होता है। दूसरी तरफ, ये भी हो सकता है कि कैंसर शरीर के किसी अन्य हिस्से में पैदा हुआ हो और यूट्रस में फैल गया हो जिससे एंडोमेट्रियल कैंसर बन गया हो। यूट्रस के दो हिस्से होते हैं। ऊपरी हिस्सा जिसे कॉर्पस कहते हैं और निचला हिस्सा सर्विक्स जिससे वेजाइना जुड़ी हुई होती है। तो एंडोमेट्रियम यानी यूट्रस के अंदरूनी भाग में मौजूद परत ही वो है जहां इन दोनों हीस्सों का केंद्र होता है।

वैज्ञानिकों द्वारा कई तरह के एंडोमेट्रियल कैंसर का पता लगाया जा चुका है, ये यूट्रस के अंदर बने सेल स्ट्रक्चर के आधार पर वर्गीकृत किए जाते हैं जैसे एडेनोकार्सिनोमा, क्लियर सेल, सेरस सेस और बहुत कम होने वाला स्क्वैमस सेल सार्सिनोमा (squamous cell carcinoma)। कैंसर कई स्टेज में विभाजित किया जाता है जिससे हम ये पता लगा सकें कि ये कितना फैला है। 1 होती है शुरुआती स्टेज और 4 होती है सबसे खतरनाक। ये बहुत जरूरी है कि कैंसर का पता सही समय पर लगाकर उसका इलाज किया जा सके जिससे महिला की जिंदगी बचाई जा सके।

इसीलिए ऐसे कई जांच के तरीके हैं जिनसे एंडोमेट्रियल कैंसर का पता कोई सक्षण या किसी संकेत के दिखने के पहले ही लगाया जा सकता है। ये तरीके निम्नलिखित हैं-

utriene caner

1. ट्रांसवेजाइनल अल्ट्रासाउंड (Transvaginal Ultrasound)

अल्ट्रासाउंड एक ऐसा तरीका होता है जिससे ध्वनी (अल्ट्रासाउंड एनर्जी) के जरिए शरीर के अंदरूनी अंगों को स्क्रीन पर देखा जा सकता है। इसमें ट्रांसड्यूसर (Transducer) की मदद ली जाती है जिसे वेजाइना में इंसर्ट किया जाता है और पेल्विक क्षेत्र में मौजूद अंगो का जायजा लिया जाता है। इससे एंडोमेट्रियम की मोटाई का अनुपात लिया जा सकता है साथ ही अगर कोई अल्सर या सिस्ट है जो कैंसर बन सकती है तो उसका भी पता लगाया जा सकता है। यह एक दर्द रहित प्रक्रिया है जिसमें डॉक्टर मरीज को अपने मूत्राशय (ब्लैडर) को खाली रखने के लिए या भरा रखने के लिए कह सकते हैं जिससे सही परिणाम मिलें।

2. एंडोमेट्रियल सैम्पलिंग/ बायोप्सी (Endometrial Sampling / Biopsy)

इसमें यूट्रस की परत से एक टिशू निकाला जाता है जिसे टेस्ट किया जाता है कि कहीं इसमें कोई अपवाद तो नहीं। इस तरीके में 10 मिनट का समय ही लगता है और कुछ मामलों में तो एनेस्थीसिया देने की जरूरत भी नहीं पड़ती है। महिला की पीरियड साइकल के आधार पर अगर उसे इस प्रक्रिया के बाद बीच में भी थोड़ी ब्लीडिंग होती है तो ये पूरी तरह से नॉर्मल है।



इसके अलावा, और भी कुछ तरीके हैं जिनसे यूटरिन कैंसर का पता लगाया जा सकता है जैसे हिस्टिरोस्कोपी, डायलेशन, क्यूरिटेज आदि।

कैंसर के उपचार का सबसे सही तरीका यही है कि उसका पता शुरुआती दौर में ही लगाया जा सके। एक महिला को यूटरिन कैंसर का टेस्ट तब भी करवाना चाहिए जब उसे लगे कि वेजाइना से अलग तरह से ब्लीडिंग हो या किसी तरह का डिस्चार्ज हो जो आम नहीं है। ताकि इस तरह के कैंसर का पता शुरुआती दौर में ही लगाया जा सके। हालांकि, ऐसे मामले भी सामने आए हैं जहां किसी भी तरह का लक्षण या संकेत बहुत आगे की स्टेज तक नहीं पता चल पाता है। इसलिए ये जरूरी है कि सावधानी बरतते हुए रेग्युलर जांच करवाई जाए। खास तौर पर मेनोपॉज के बाद।

डॉक्टर समर गुप्ता (MD, Consultant Gynaecologic Cancer Surgeon) को उनकी एक्सपर्ट सलाह के लिए धन्यवाद।

References
https://www.cancer.org/cancer/endometrial-cancer/about/what-is-endometrial-cancer.html
https://www.healthline.com/health/endometrial-biopsy
https://www.medicalnewstoday.com/articles/323041
https://www.cancer.org/cancer/endometrial-cancer/detection-diagnosis-staging/how-diagnosed.html
https://www.cancer.org/cancer/endometrial-cancer/detection-diagnosis-staging/detection.html

HerZindagi Video

HzLogo

HerZindagi ऐप के साथ पाएं हेल्थ, फिटनेस और ब्यूटी से जुड़ी हर जानकारी, सीधे आपके फोन पर! आज ही डाउनलोड करें और बनाएं अपनी जिंदगी को और बेहतर!

GET APP