इन कारणों से होते हैं होंठों पर छाले, एक्सपर्ट से जानें कारण और ट्रीटमेंट

किसी का झूठा खाने से या फिर किसी इंफेक्शन के कारण हमारे मुंह में छाले हो जाते हैं। होंठों पर भी ब्लिस्टर हो सकते हैं। इसे ट्रीट करने के क्या तरीके हैं, आइए उनके बारे में एक बार एक्सपर्ट से जान लें। 

 
cold sore causes and treatment

अगर आपको कभी भी होंठों पर छाला या ब्लिस्टर हुआ है, तो आपको उसके लक्षण जरूर पता होंगे। होंठों पर धीरे-धीरे एक सनसनाहट होने लगती है और सूजम नजर आने लगती है। मुंह के किनारे या होंठ के ऊपर छाला-सा नजर आने लगता है, जिसमें जलन भी होने लगती है। कुछ ही दिनों में यह बड़ा हो जाता है और पानी भरे छाले के रूप में भद्दा दिखने लगता है। 24-30 घंटे के अंदर यह छाला खुद ही खुलने भी लगता है और फिर 4-5 हफ्तों में ठीक हो जाता है।

यह कई बार किसी का झूठा खाने से होता है। कुछ लोगों को इंफेक्शन के कारण ब्लिस्टर्स होने की समस्या होती है। वहीं, फीवर के कारण भी यह वायरस होता है और इसका कोई ठोस इलाज नहीं है।

जानी-मानी लाइफस्टाइल कोच अंजलि मुखर्जी के मुताबिक, कई बार हमें पता नहीं होता लेकिन यह हर्पीस सिंपलेक्स वायरस भी हो सकता है। हो सकता है यह कई सालों से आपके शरीर में बन रहा हो और कभी बाहर नहीं आया हो। हालांकि, कुछ कारणों से ट्रिगर होकर यह अचानक नजर आने लगता है। इसके कई कारण होते हैं।

अगर आपको भी यह समस्या बार-बार उत्पन्न होती है, तो आप भी पहले इसके कारण जान लें और इसका क्या ट्रीटमेंट हो सकता है, आइए वो भी जानें।

क्या होते हैं ब्लिस्टर्स?

what are blisters

यह छोटे-छोटे छाले होते हैं जो होठों पर या मुंह के आसपास विकसित हो सकते हैं। इनमें पानी भर जाता है और ये हर्पीस सिंप्लेक्स वायरस के कारण होते हैं और होने के 10-12 दिनों में अपने आप ठीक भी हो जाते हैं। पहली बार यदि आपको यह वायरस हो, तो हो सकता है कि इसका कोई लक्षण आपको न दिखाई दे। हालांकि, बाद में आपको मुंह के आसपास सेंसेशन होने लगती है।

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हर्पीस सिंप्लेक्स वायरस होने के कारण-

मुंह या होंठों पर छाले होने के कई सारे कारण हो सकते हैं। कई बार आपको पता भी चलता है कि यह कैसे हो गया। कुछ आम कारण इस प्रकार हैं-

वायरल संक्रमण: फीवर और सर्दी-जुकाम के कारण भी हर्पीस सिम्प्लेक्स वायरस टाइप 1 (एचएसवी-1) हो सकता है। इससे मुंह के आसपास छाले बन जाते हैं, जो दर्दनाक हो सकते हैं। ऐसे में चूंकि हमारी इम्यूनिटी कमजोर होती है, इसलिए यह वायरस होना आम है।

स्ट्रेस और ओवर वर्क: हमें पता नहीं होता है, लेकिन स्ट्रेस और बहुत ज्यादा काम करने के कारण हमारे शरीर पर नकारात्मक प्रभाव पड़ते हैं। इसके कारण धीरे-धीरे शरीर में वायरस उत्पन्न होने लगता है और जब ज्यादा स्ट्रेस होता है, तो यह ट्रिगर हो सकता है। इससे भी आपके होंठों पर या मुंह के आसपास छाले होने लगते हैं।

ड्राई माउथ: उम्र बढ़ने के साथ आपके शरीर की हाइड्रेशन की इच्छा कम हो जाती है। आपके शरीर को पानी की आवश्यकता हो सकती है, लेकिन कई बार आपको इसका एहसास नहीं होता क्योंकि आपको प्यास नहीं लगती।

जब शरीर बहुत ज्यादा डिहाइड्रेट हो जाता है, इसके कारण मुंह सूखने लगता है। डिहाइड्रेशन और ड्राई माउथ के कारण आपके मुंह में छाले हो सकते हैं। आप अपनी जीभ से इसका पता लगा सकते हैं। हाइड्रेटेड जीभ साफ रहती है, वहीं डिहाइड्रेटेड जीभ ड्राई और सफेद नजर आती है।

क्या खान-पान से भी हो सकता है हर्पीस सिंप्लेक्स वायरस?

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न्यूट्रिशनिस्ट अंजलि मुखर्जी कहती हैं कि खराब जीवनशैली और खानपान में लापरवाही के कारण भी यह वायरस हो सकता है। हमारे शरीर को अमीनो एसिड आर्जिनिन की आवश्यकता होती है, लेकिन कई मामलों में ऐसी डाइट्स भी ब्लिस्टर्स, कोल्ड सोर्स और हर्पीस सिंप्लेक्स वायरस को ट्रिगर कर सकता है।

चॉकलेट, मूंगफली और बादाम आर्जिनिन नामक अमीनो एसिड से भरपूर होते हैं। यह कोल्ड सोर्स को ट्रिगर कर सकते हैं।

दो अमीनो एसिड-लाइसिन और आर्जिनिन के बीच संतुलन बनाए रखना महत्वपूर्ण है। आर्जिनिन से भरपूर आहार लाइसिन के स्तर को कम करता है और जिन लोगों में ब्लिस्टर्स होने का खतरा होता है उन्हें इससे समस्या हो सकती है। अगर आपको पुरानी सर्दी-जुकाम की समस्या है, तो चॉकलेट, मूंगफली और बादाम का सेवन बहुत कम करें।

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लाइसिन के स्तर को कैसे बढ़ाएं?

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अंजिल कहती हैं कि इसके लिए जरूरी है कि आप लाइसिन युक्त आहार का सेवन करें। दूध, दही, चीज़, चिकन, अंडे, बीन्स, कद्दू के बीज, क्विनोआ, कुछ फिश और मेथी दाना जैसी चीजों में लाइसिन प्रोटीन की अच्छी मात्रा होती है और यह आर्जिनिन के स्तर को बैलेंस करने के लिए अच्छा है, इसलिए आप इन्हें अपने आहार में शामिल जरूर करें।

इसके अतिरिक्त आप कोल्ड सोर्स में राहत पाने के लिए थोड़ा-सा शुद्ध एलोवेरा जेल (एलोवेरा जेल का इस्तेमाल) लगा सकते हैं या फिर कोल्ड कंप्रेस का सहारा ले सकते हैं।

अगर यह समस्या आपको ज्यादा तकलीफ दें, तो बिना देरी किए अपने डॉक्टर से संपर्क जरूर करें। ऐसी चीजों को लेने से बचें, जो हर्पीस सिंप्लेक्स वायरस को ट्रिगर करें। हमें उम्मीद है यह जानकारी आपको पसंद आई होगी। अगर यह लेख आपको अच्छा लगा, तो इसे लाइक और शेयर करें। ऐसे ही लेख पढ़ने के लिए जुड़े रहें हरजिंदगी के साथ।

Image Credit: Freepik

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