कई बार शरीर के विभिन्न हिस्सों में छोटे-छोटे पानी भरे हुए दाने पड़ जाते हैं, जिन्हें हम एलर्जी या फंगल इंफेक्शन मान लेते हैं और अनदेखा कर देते हैं। इस बारे में मैक्स हॉस्पिटल के डर्मेटोलॉजी विभाग के डॉक्टर मनमोहन लोहरा कहते हैं, कि शरीर में निकलने वाले ये पानी भरे छोटे-छोटे दाने हर्पीस हो सकते हैं।
यह वायरस द्वारा उत्पन्न रोग है, जो त्वचा पर दर्दयुक्त घाव उत्पन्न करता है। इन दानों के निकलने से पहले रोगी को दर्द होना शुरू हो जाता है। दर्द होने के कुछ दिनों के बाद उस जगह की त्वचा पर लाल-लाल फुंसियां निकलनी शुरू हो जाती हैं। यह एक संक्रामक बीमारी है, इसलिए सावधानी बरतना काफी जरूरी है। लेकिन यदि आपको बचपन में चिकन पॉक्स हो चुका है तो इस बीमारी से पीड़ित व्यक्ति द्वारा आपको संक्रमण होने का खतरा नहीं होता है।
एक रिसर्च के मुताबिक, यह बीमारी 40 साल के बाद अधिक होती है क्योंकि इस उम्र में प्रतिरक्षा तंत्र कमजोर हो जाता है। इस बीमारी का खतरा डायबिटिक और कैंसर पीड़ित लोगों में ज्यादा होता है। ये उन लोगों में भी होता है जिनमें विटामिन्स की कमी होती है।
इस बीमारी के लिए वही वायरस उत्तरदायी है जो बचपन में चिकन पॉक्स करता है। बड़े होने के बाद ये वायरस जिस जगह पर एक्टिव होता है उसी जगह पर पानी से भरे दाने निकलते हैं। ये शरीर के किसी एक हिस्से को ही प्रभावित करता है। ये शरीर के लेफ्ट या राइट हिस्से को ही प्रभावित करता है ।
इससे बचाव के लिए हर्पीस जोस्टर वैक्सीन लगायी जाती है। अगर व्यक्ति को ये वैक्सीन लगा होता है तो हर्पीस नहीं होता है। यदि वैक्सीन नहीं लगा है तो इसके होने का खतरा कई गुना बढ़ जाता है।
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डॉक्टर मनमोहन लोहरा कहते हैं कि इस बीमारी के इलाज के लिए एंटी वायरस मेडिसिन एसाइक्लोविर दवा रोगी को दी जाती है ताकि उसके शरीर में उपस्थित वायरस नष्ट हो जाए। इसके अलावा फैमसाइक्लोविर और वैलासाइक्लोविर दवाइयां भी रोगी को दी जा सकती हैं। इन दवाइयों के अलावा रोगी को सपोर्टिव ट्रीटमेंट भी दिया जाता है। इसके तहत दानों पर लगाने के लिए लोशन या मल्हम आदि का इस्तेमाल किया जाता है।
इस बीमारी के ठीक होने में दो से तीन सप्ताह यानी 10 से 20 दिन लगते हैं। इस बीमारी में कई बार रोगी को बहुत ज्यादा दर्द होता है। इस बीमारी का ठीक होने का समय मरीज के प्रतिरक्षा तंत्र पर निर्भर करता है, यानि कि यदि इम्यूनिटी स्ट्रॉन्ग है तो मरीज जल्दी ठीक हो जाता है।
उपर्युक्त बातों को ध्यान में रखकर हर्पीस की बीमारी से बचाव किया जा सकता है। इससे बचने का सबसे अच्छा तरीका है इम्यून सिस्टम को स्ट्रांग बनाना।
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Image Credit:free pik
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