यह तो हम सभी जानते हैं कि वर्कआउट हम सभी के लिए कितना जरूरी है। यह वजन को बनाए रखने और आपको अधिक फिट दिखाने में मदद करता है। अमूमन यह देखने में आता है कि लोग वर्कआउट को कैलोरी बर्न या फिर बॉडी टोनिंग से जोड़कर देखते हैं। जबकि यह इससे कहीं अधिक है। अगर आप हर दिन वर्कआउट करते हैं तो यह हमारे बॉडी हार्मोन्स को भी बैलेंस करने में मददगार है। यही हार्मोन्स हमारे मूड और एनर्जी लेवल से लेकर ओवर ऑल हेल्थ पर पॉजिटिव असर डालते हैं।
महिलाओं के लिए तो बॉडी हार्मोन का बैलेंस होना और भी ज्यादा जरूरी है, क्योंकि इससे उनके पीरियड्स से लेकर स्ट्रेस लेवल तक पर असर पड़ता है। इसलिए, हर महिला को कुछ वक्त एक्सरसाइज के लिए जरूर निकालना चाहिए। वर्कआउट एक या दो नहीं, बल्कि कई तरीकों से हार्मोनल बैलेंस में मददगार है। तो तो चलिए आज इस लेख में ब्लॉसम योगा के फाउंडर, योगविशेषज्ञ और फिटनेस एक्सपर्ट जितेन्द्र कौशिक आपको बता रहे हैं कि वर्कआउट करने से हार्मोनल बैलेंस में किस तरह मदद मिल सकती है-
थायरॉइड फ़ंक्शन को करे सपोर्ट
वर्कआउट करने से आपके थायरॉइड फंक्शन को सपोर्ट मिलता है। दरअसल, थायरॉइड ग्लैंड आपके मेटाबॉलिज्म और एनर्जी लेवल को बेहतर बनाए रखने में बहुत अधिक मददगार है। ऐसे में जब आप वर्कआउट करती हैं। खासतौर से, अगर आप स्ट्रेन्थ ट्रेनिंग और कार्डियो दोनों को अपने वर्कआउट रूटीन में शामिल करती हैं तो इससे थायरॉइड ग्लैंड को उत्तेजित करने में मदद मिलती है। इससे आपका मेटाबॉलिज्म बूस्ट अप होता है और आप अधिक एनर्जेटिक फील करती हैं। कोशिश करें कि आप अपने वर्कआउट रूटीन में कुछ योगासन व प्रणायाम को जरूर शामिल करें। इससे भी आपको काफी फायदा मिलेगा।
एस्ट्रोजन लेवल होता है बैलेंस
एस्ट्रोजन महिलाओं के लिए मुख्य हार्मोन में से एक है और यह पीरियड्स से लेकर बोन हेल्थ तक को रेग्युलेट करने में सहायक है। जब शरीर में बहुत अधिक या बहुत कम एस्ट्रोजन लेवल होता है तो इससे पीरियड्स के अनियमित होने से लेकर मेनोपॉज के दौरान परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। लेकिन जब आप हर दिन एक्सरसाइज करती हैं तो इससे एस्ट्रोजन लेवल को बैलेंस करने में मदद मिलती है। अधिक उम्र में अक्सर महिलाएं वर्कआउट करना छोड़ देती हैं, जबकि उस समय यह और भी ज्यादा जरूरी हो जाता है।
स्लीप क्वालिटी होती है बेहतर
वर्कआउट करने का एक फायदा यह है कि इससे आपकी स्लीप क्वालिटी बेहतर होती है। जब आप रात में अच्छी नींद लेती है तो इससे खुद ब खुद बॉडी हार्मोन बैलेंस होने लगते हैं। आपको शायद पता ना हो लेकिन रात में 7-8 घंटे की अच्छी स्लीप आपकी ओवर ऑल बॉडी व हार्मोन पर पॉजिटिव असर डालती है। इससे आपका शरीर मेलाटोनिन और कोर्टिसोल जैसे हार्मोन को ठीक से नियंत्रित कर पाता है।
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यह है एक्सपर्ट की राय
इंसुलिन सेंसेटिविटी को बनाए बेहतर
वर्कआउट करने से इंसुलिन सेंसेटिविटी को इंप्रूव करने में काफी मदद मिलती है। दरअसल, इंसुलिन एक हार्मोन है जो आपके ब्लड शुगर लेवल का ख्याल रखता है। इसलिए, अगर आपका शरीर इंसुलिन के प्रति प्रतिरोधी हो जाता है, तो इससे पीसीओएस और डायबिटीज जैसी समस्याओं का जोखिम बढ़ सकता है। लेकिन जब आप वर्कआउट को अपने डेली रूटीन का हिस्सा बनाती है तो इससे आपका शरीर इंसुलिन का अधिक बेहतर ढंग से उपयोग करता है। ऐसे में ना केवल ब्लड शुगर लेवल बैलेंस रहता है, बल्कि आपकी ओवर ऑल हार्मोनल हेल्थ पर भी अच्छा असर पड़ता है।
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Image Credit- freepik
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