क्या पहली बार दिल्ली आने वाली हर लड़की को होती हैं ये परेशानियां

क्या आप भी उन लड़कियों में से एक हैं जो मेट्रो सिटी में अपना करियर बनाने के लिए अपना शहर छोड़ दिल्ली चली आई थीं और आज भी उन्हें वो दिन याद है जब उन्होंने दिल्ली में पहला कदम रखा था।

problems faced by girls in delhi

क्या आप भी उन लड़कियों में से एक हैं जो मेट्रो सिटी में अपना करियर बनाने के लिए अपना शहर छोड़ दिल्ली चली आई थीं और आज भी उन्हें वो दिन याद है जब उन्होंने दिल्ली में पहला कदम रखा था।

ऐसी ही कहानी है स्वता की जिन्होंने लगभग दो साल पहले दिल्ली में अपना करियर बनाने के लिए जहां बचपन बिताया बनारस की गलियों को छोड़ दिल्ली चली आई थीं और उन्हें आज भी वो दिन याद है जब उन्होंने दिल्ली में पहला कदम रखा था। चलिए उन्हीं से जानते हैं कैसे उन्होंने दिल्ली की गलियों में अपनी छोटी सी दुनिया बसाई।

जिंदगी में कुछ पाने, सीखने और अलग करने के लिए लोग हर दिन अपने शहर, गांव और घर को छोड़कर किसी अनजान शहर में पनाह लेते हैं। पेट, पैसे और नाम कमाने के लिए लाखों लोग हजारों मील दूर आकर अपना डेरा बसाते हैं और आगे बढ़ने की उम्मीद में कुछ न कुछ नया करते हैं।

आज से ठीक 2 साल पहले मैंने भी एक अनजान शहर को अपना साथी बनाकर आगे बढ़ने के लिए घर छोड़ा था। मैं रहने वाली बनारस की हूं लेकिन सपने इतने बड़े थे कि शहर छोड़कर दिल्ली की ओर आना पड़ा।

मेरा ऐसा सोचना था कि दिल्ली जहां जिंदगी से भी तेज दौड़ती है...इस दौड़ में अगर आप हार गए, मतलब आप जिंदगी से हार गए। तो बात हो रही थी अनजान शहर में शिफ्ट होने की। मेरी खुशी और उमंग दोगुनी थी कि मैं दिलवालों के शहर दिल्ली जा रही हूं लेकिन शिफ्ट होने में जो Problems आती हैं उसे बताने की जरूरत नहीं। सबसे बड़ी बात अगर आप बिल्कुल अजनबी शहर में जा रहे हैं तो आपको दिक्कतें मिलेंगी ही।

दिल्ली आकर इन दिक्कतों से मैं भी नहीं बच पाई लेकिन आप अगर आप दिल्ली में शिफ्ट हो रहे हैं और अकेले हैं या आपका कोई जानने वाला नहीं तो इन चीजों का विशेष ध्यान रखें।

जानिए क्या हैं यूपी वालों की परेशानी

अगर आप यूपी वाली हैं और दिल्ली में शिफ्ट हो रही हैं तो हर एक Step पर परेशानियां मुंह बाए आपका ही वेट कर रही होती हैं। अगर आप पहले से कोई साथी, दोस्त या लंगोटिया यार यहां सेट किए हुए हैं तो आपको थोड़ी कम दिक्क्तें आएंगी। अगर आप अकेले हैं तो फिर Challenge को स्वीकार करने के लिए तैयर रहें।

कैसा रहा मेट्रो में पहला सफर?

जब मैं पहली बार घर से दिल्ली आई तो मुझे भी बेशक कई दिक्कतें रास्ते में मिली लेकिन अब तो मैं भी इसी रंग में रंग चुकी हूं। मेरे लिए दिल्ली मेट्रो में सफर करना यहां आने के बाद ही हुआ लेकिन आज भी वो दिन याद है जब मैं पहली बार मेट्रो में सफर किया। मेरे पास ना मेट्रो कार्ड था और ना ही मुझे ये पता था कि सफर के लिए टोकन लेना जरूरी है।

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मैं बस entry करने के लिए लाइन में लग गई लेकिन खड़े रहने के कुछ देर बाद पता चला कि एंट्री गेट पर मेरे चाचा या ताउ नहीं खड़े हैं जो मुझे फ्री की एंट्री दिलवा देंगे इसलिए मैं धीरे से लाइन से हट गई और नोएडा से राजीव चौक के लिए टोकन लिया। धीरे-धीरे मुझे ऐसा पता चला कि ऐसा माना जाता है कि टोकन वाले थोड़े गरीब होते हैं और जिसके पास मेट्रो कार्ड है उसकी इज्जत है फिर मैंने मेट्रो कार्ड बनवा लिया। अगर आप भी दिल्ली अकेले आए हैं और मेट्रो में सफर करना चाहती हैं तो प्लीज टोकन लेकर ही चढ़ें और बाद में मेट्रो कार्ड बनवा लें।

जानिए कैसे कम बोलने वालों को होती है परेशानी

अगर इस जमाने में आप कम बोलते हैं तो आप बुद्धु हैं। यूं तो बनारसी ठग पूरे भारत में फेमस हैं लेकिन दिल्ली के कई रिक्शेवाले बड़े ठगी हैं। 30 रुपए बोलकर बैठाते हैं लेकिन उन्हें अगर ये पता चल गया कि आप बाहर से हैं तो भरपूर ठगाई करते हैं। अगर आप गलती से भी 50 का नोट पकड़ा दिए तो बाकी के पैसे वापस नहीं मिलने वाले। अगर आप बाहर से आए हैं तो इन रिक्शेवालों से थोड़ा सतर्क रहिए और कोशिश कीजिए कि 30 रुपए छुट्टे हों आपकी जेब में।

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लड़कियों को किन परेशानियों का करना पड़ता है सामना?

लड़कियों के लिए सबसे ज्यादा problem होती है पीजी या फिर flat सर्च करने में। अगर आप अनजान लड़कियों के साथ flat में रहना चाहती हैं तो पहले उनके बारे में अच्छी तरह जान लें और समझ लें। वरना कब क्या हो जाए आपको अंदाजा भी नहीं होगा। अगर आप पीजी सर्च कर रही हैं तो कम से कम किसी जानकार या जो यहां पहले से रह रहा हो उससे थोड़ी सलाह ले लें। दिक्कतें थोड़ी कम आएंगी क्योंकि मुझे 3 महीने में 3 बार पीजी बदलना पड़ा तब जाकर मैं खुद को adjust कर पाई हूं।

Adjust करने में क्यों होती है दिक्कत

अचानक ही किसी एक परिचित जगह को छोड़कर किसी अनजान जगह पर बसना और खुद को adjust करना बहुत मुश्किल होता है। ऐसे में हो सकता है कि आप प्रेशर लेना शुरू कर दें। ध्यान रहे ये दिक्कतें हमेशा के लिए नहीं हैं, थोड़ा वक्ति दीजिए आप खुद पर खुद adjust हो जाएंगी। मैं इसलिए यह बात शेयर कर रही हूं क्योंकि मैंने खुद को यहां ढालने में कई महीने लिए उस बीच मुझे इतनी टेंशन होती थी जिससे मेरी हेल्थ पर भी असर पड़ा तो हेल्दी रहने के लिए adjust करना भी सीखें।

क्या परेशानी होती हैं जब नहीं होते पुराने साथी

चूंकि मरे लिए दिल्ली एकदम अनजान था, मेरा यहां कोई दोस्त या फिर रिश्तेदार भी नहीं था। यहां की गलियां, सड़कें और buildings सब कुछ एक ही तरह लगता था। उस वक्त मुझे navigation यूज करके रास्ते ढूंढ़ने की आदत नहीं थी इसलिए मैं अगर पैदल निकलती थी कहीं आस-पास जाने के लिए तो घूम-फिर के उसी रास्ते पर आ जाती थी। रास्ते ढूंढ़ने में मुझे काफी दिक्कतें आईं।

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उस टाइम पर घर की याद इतनी आती थी कि मैं अकेला महसूस करती थी। मम्मी के हाथ के पराठे, हरे धनिये की चटनी और करैले की सब्जी, मतलब जन्नत। अब भी घर जाती हूं तो मां इस खाने को जरूर बनाती हैं। पीजी के खाने खा-खा कर मुझे मां के खाने की और याद आती थी। इस याद में उस टाइम पर मैंने एक कविता भी लिखी थी जिसकी शुरुआत कुछ ऐसी थी कि..

घर से दूर चले आए हैं, मीलो चलकर, गिरकर उठकर,

पीठ पे अपनी झोला रखकर, घर से दूर चले आए हैं।

रोकर ज्यादा हंसकर थोड़ा, हमने था यूं घर को छोड़ा,

जिम्मेदारी कांधे रख कर, करने कुछ चले आए हैं।

घर से दूर चले आए हैं....

बेशक कोई भी अपना घर नहीं छोड़ना चाहता है लेकिन कुछ करने के लिए घर तो छोड़ना ही पड़ता है और चुनौतियां लेकर आगे बढ़ना ही पड़ता है। अगर आप घर से दूर निकली हैं अपनी जिंदगी की तलाश में तो ऊपर लिखी इन बातों का जरूर ध्यान रखें। खास-तौर से अगर आप यूपी वाली हैं तो किसी मेट्रो सिटी में जाने से पहले शहर के बारे में अच्छे से जान लें। थोड़ी दिक्कतें आती हैं लेकिन कुछ वक्त के बाद मौसम बदलता है और सब कुछ ठीक हो जाता है।

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