
हरियाणा के रोहतक की महर्षि दयानंद यूनिवर्सिटी से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। यहां एक महिला सफाई कर्मचारी ने सुपरवाइजर पर गंभीर आरोप लगाया है। महिला सफाई कर्मचारी का कहना है कि वह पीरियड के दर्द से परेशान थीं और इसलिए कुछ देर का ब्रेक लेना चाहती थीं, लेकिन जब उन्होनें सुपरवाइजर से ब्रेक मांगा, तो उनकी बात नहीं सुनी गई और उनसे कपड़े उतरवाकर जांच करवाने के लिए कहा। इसके बाद महिला कर्मचारियों ने हंगामा किया और इसके खिलाफ रोष व्यक्त किया। सोशल मीडिया पर यह खबर वायरल होने के बाद लोग भी इस तरह की सोच पर सवाल उठा रहे हैं और शिक्षा के मंदिर में महिला के साथ हुए इस असभ्य बर्ताव की निंदा कर रहे हैं। चलिए, आपको बताते हैं क्या है पूरा मामला?
हरियाणा के रोहतक की महर्षि दयानंद यूनिवर्सिटी में एक महिलाकर्मी ने आरोप लगाया है कि सुपरवाइजर उन पर तेजी से काम करने के लिए दबाव बना रहे थे। ऐसे में उन्होंने बताया कि वह पीरियड्स में हैं और इसलिए दर्द की वजह से तेजी से काम नहीं कर पा रही हैं, लेकिन सुपरवाइजर ने उनकी बात नहीं सुनी। महिला कर्मचारी ने कहा कि उन्हें कुछ देर का ब्रेक दिया जाए, इस पर सुपरवाइजर ने कथित तौर पर उनकी बात अनसुनी कर दी और उनसे पीरियड्स हो रहे हैं इस बात की जांच करवाने के लिए कपड़े उतारने को कहा।

बता दें कि मीडिया रिपोर्ट्स में यह भी दावा किया जा रहा है कि ऐसा एक नहीं, बल्कि कई महिलाओं के साथ हुआ और सुपरवाइजर ने उनसे यह तक कह डाला कि वह अपने प्राइवेट पार्ट की फोटो खींचकर दिखाएं। महिला सफाई कर्मचारी ने यह भी कहा कि मजबूरी के चलते वह फोटो खींचने पर मजबूर हुई। उनकी निजता का ख्याल नहीं रखा गया है और जांच के नाम पर उनके साथ दुर्व्यवहार किया। महिला कर्मचारियों में इस बात को लेकर गुस्सा भड़क गया और उन्होंने इस बात की शिकायत दर्ज की। कॉलेज प्रशासन की तरफ से इस मामले में सही कार्यवाही और दोषियों को उचित सजा देने का आश्वासन दिया गया है। फिलहाल सुपरवाइजर को हटा दिया गया है।

पीरियड्स महिलाओं में होने वाला एक नॉर्मल बायोलॉजिकल प्रोसेस है, लेकिन इसे लेकर आज भी हमारे देश के कई हिस्सों में इतनी भ्रांतियां और भेदभाव चलन में हैं। अक्सर कई ऐसे मामले सामने आते हैं, जहां कभी पीरियड्स के दिनों में लड़कियों के साथ भेदभाव किया जाता है, कभी उनके दर्द को मजाक समझा जाता है, तो कभी उन्हें घर से अलग रहने और अजीबोगरीब रिवाज मानने पर मजबूर किया जाता है। यह मामला तो और भी चौंकाने वाला है, जहां पीरियड्स को लेकर हमारे शिक्षित समाज की सोच सवालों के घेरे में है। शिक्षा के मंदिर में एक महिला से पीरियड्स का सुबूत मांगा जाता है, उसके साथ इस तरह की असभ्य बातें की जाती है, उसे मानसिक तौर पर प्रताड़ित किया जाता है, क्या वाकई हम पढ़े-लिखे समाज का हिस्सा हैं?
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