जयपुर में स्कूल के टॉयलट में 7 साल की बच्ची से रेप...
त्रिपुरा में 14 महीने की बच्ची संग दरिंदगी के बाद उसे दफनाया...
ये दोनों घटनाएं पिछले 24 घंटे की हैं और शायद किसी भी इंसान को झकझोर कर रख देने के लिए काफी है, लेकिन अगर मैं आपसे यह कहूं कि इस तरह की खबरें अब हमें झकझोरती नहीं हैं...इस तरह की खबरें पढ़कर अब हम कुछ देर के लिए अफसोस जताते हैं और फिर अखबार का पन्ना पलट देते हैं, चैनल बदल देते हैं या ऑनलाइन स्क्रॉल करते हुए किसी और खबर पर पहुंच जाते हैं। माफ कीजिएगा, मैं बिल्कुल भी असंवेदनशील नहीं हूं, लेकिन क्या कहूं एक जर्नलिस्ट होने के नाते इन खबरों को लिखते वक्त मैं भावुक हो जाती हूं, एक लड़की होने के नाते ये खबरें मुझे डरा देती हैं पर शायद एक समाज के तौर पर अब हमें इन खबरों को सुनने-पढ़ने की आदत हो गई है क्योंकि वक्त बदल रहा है, जगह बदल रही है, पीड़िताओं के नाम बदल रहे हैं पर सोच नहीं बदल रही है और यहां तो मामला मासूम बचपन का है। 7 साल और 14 महीने की बच्चियां...उनके साथ इस तरह की दरिंदगी, आखिर कोई ऐसा सोच भी कैसे सकता है?
राजस्थान की राजधानी जयपुर से एक शर्मनाक मामला सामने आया है। यहां स्कूल के टॉयलट में एक व्यक्ति ने 7 साल की मासूम संग बलात्कार किया। बच्ची के शोर मचाने पर स्कूल स्टॉफ ने आकर युवक को पकड़ लिया। बताया जा रहा है कि आरोपी, स्कूल की दीवार फांदकर अंदर घुसा था और छिपकर बैठ गया था। जब बच्ची अंदर पहुंची, तो उसने डरा धमकाकर उसके संग रेप किया। परिजनों और स्कूल की शिकायत के बाद आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया है। जानकारी सामने आ रही है कि आरोपी शराबी है। यह घटना स्कूल की सुरक्षा व्यवस्था के साथ, समाज की सोच पर भी सवाल खड़े कर रही है।
त्रिपुरा में एक 14 महीने की बच्ची संग रेप की घटना ने सभी को हिलाकर रख दिया है। कथित तौर पर बच्ची के संग उसके नाना ने बलात्कार किया है। बच्ची अपनी मां के साथ अपने मामा के घर गई हुई थी और यहां आरोपी जिसकी उम्र लगभग 44 साल बताई जा रही है और रिश्ते में जो बच्ची का नाना लगता है, वह बच्ची की मां से पूछकर उसे घुमाने ले गया था। जब वह कुछ घंटों तक वापिस नहीं लौटा, तो परिवार वालों ने छानबीन शुरू की और फिर इस संगीन अपराध का खुलासा हुआ। परिवारवालों को बच्ची का शव इलाके के एक धान के खेत में दफनाया हुआ मिला।
7 साल और 14 महीने की बच्ची से रेप...इन खबरों को पढ़कर सबसे पहले मन में यही सवाल उठता है कि आखिर कोई ऐसा सोच भी कैसे सकता है, लेकिन सच तो यह है कि न केवल लोग ऐसा सोच रहे हैं, बल्कि इस तरह की घटनाओं को अंजाम भी दे रहे हैं। हमारे देश में बेटियों को लक्ष्मी कहा जाता है, देवी के रूपों की पूजा की जाती है, लेकिन इस तरह के मामले चीख-चीखकर पूछ रहे हैं कि आखिर यह हम कैसे समाज में जी रहे हैं, जहां बचपन भी सुरक्षित नहीं है। अमूमन रेप के मामलों में हम सबसे पहले विक्टिम ब्लेमिंग करते हैं यानी कभी पीड़िता के कपड़ों, कभी देर रात बाहर होने, कभी जॉब करने, कभी सोशल मीडिया पर एक्टिव होने तो कभी किसी और चीज को लेकर सवाल उठा देते हैं, उन लोगों से मैं पूछना चाहूंगी कि इन दो मामलों में आप किस तरह इन बच्चियों को ब्लेम करेंगे और कैसे एक बार फिर पीड़िता को ही कटघरे में खड़ा करेंगे?
इस तरह की घटनाएं चीख-चीखकर हमसे बस यही सवाल कर रही हैं कि आखिर यह कैसे समाज का हिस्सा हैं हम, जहां बचपन भी सुरक्षित नहीं हैं। साथ ही, ये घटनाएं उन लोगों की सोच पर भी एक तमाचा हैं, जो रेप के मामलों में लड़कियों की ही गलती निकालने लगते हैं। कभी कपड़ों, कभी चरित्र, कभी देर रात बाहर रहने तो कभी किसी और चीज को लेकर विक्टिम को ही कटघरे में खड़ा कर देते हैं पर ये मामले साफ कह रहे हैं कि छोटे कपड़े नहीं, अपराधी की सोच होती है। आप इस बारे में क्या सोचते हैं, हमें कमेंट बॉक्स में लिख कर बताएं।
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