
History of Bharat Mata Ki Jai: भारत माता की जय...यह सिर्फ एक नारा नहीं है। बल्कि, एक भावना, एक संस्कार और एक अटूट बंधन है उस धरती से जिसे हमने मां का दर्जा दिया है। लेकिन, क्या आपने कभी सोचा है कि आखिर भारत को 'भारत माता' ही क्यों कहा जाता है। इसे कभी पिता या अन्य किसी रिश्ते का नाम क्यों नहीं दिया गया है? वहीं, भारत माता की जय नारा कहां से आया है और इसे किसने बनाया है? अगर इस तरह का सवाल आपके मन में आता है तो आज यह आर्टिकल आपकी जानकारी बढ़ाने वाला है।
जी हां, जिस तरह से एक बच्चे का अपनी मां के साथ सबसे मजबूत और पवित्र रिश्ता होता है। उसी तरह एक भारतीय नागरिक अपनी मातृभूमि से प्यार करता है, उसका सम्मान और प्रशंसा करता है। एक भारतीय नागरिक के लिए भारत माता सिर्फ एक शब्द नहीं है, बल्कि उस मिट्टी में पैदा होने, खेलने और बढ़ने का संबंध है। एक मां जिस तरह से अपने बच्चे को जन्म देती, पोषित करती और उसकी रक्षा करती है, उसी तरह भारत ने कितनी सभ्यताओं, संस्कृतियों और विचारधाराओं को पनपने और बढ़ने का मौका दिया है।

हिंदू धर्म में भूमि को माता या देवी का रूप माना गया है। वेदों और पुराणों में भी धरती को माता का दर्जा दिया गया है। इसका जिक्र खासकर अथर्व वेद के श्लोक में मिलता है। वेद-पुराण के अलावा, अबनिंद्रनाथ टैगोर की भारत माता की पेंटिंग से लेकर वंदे मातरम तक, सभी मातृभूमि को समर्पित हैं। शायद यही वजह है कि भारत को 'माता' कहा जाता है।
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भारत माता की जय नारा स्वतंत्रता संग्राम के समय नहीं आया था। बल्कि, इसकी शुरुआत 1857 की क्रांति से मानी जाती है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह नारा पहली बार क्रांतिकारी अजीमुल्ला खान ने दिया था। कहा जाता है कि 1857 की क्रांति में अजीमुल्ला खान का अहम भूमिका निभाई थी। इसके अलावा उन्हें अपने जोशीले गीतों के लिए भी जाना जाता था।
रिपोर्ट्स की मानें तो, क्रांतिकारी अजीमुल्ला का जीवन मुश्किलों से भरा था लेकिन, वह पढ़ाई-लिखाई में खूब तेज थे। उन्होंने ब्रिटिश स्कूल से अंग्रेजी और फ्रेंच दोनों सीखी थी। स्कूल के बाद उन्होंने पहले एक ब्रिटिश ब्रिगेडियर के लिए ट्रांसलेटर का काम किया और बाद में वह मराठा शासक के दरबार में शामिल हो गए। अजीमुल्ला ने भारत माता की जय नारे के अलावा हम हैं इसके मालिक, हिंदुस्तान हमारा जैसे क्रांतिकारी गीत भी दिए, जो देशभक्तों में जोश भरने के लिए काफी थे।
वहीं, अन्य रिपोर्ट्स की मानें तो भारत माता की जय नारा पहली बार किरन चंद्र बंधोपाध्याय ने 1873 में दिया था। कहा जाता है कि किरन चंद्र बंधोपाध्याय ने अपने एक नाटक 'भारत जननी' में इसका इस्तेमाल किया था और तभी से यह देश के हर नागरिक की जुबां पर रहता है।

भारत माता सिर्फ देश के लिए इस्तेमाल होने वाली उपमा ही नहीं, बल्कि इन्हें देवी की तरह पूजनीय भी माना गया है। यही वजह है कि देश में कई जगह भारत माता का मंदिर बनाया गया है। लेकिन, रिपोर्ट्स की मानें तो साल 1936 में पहली बार वाराणसी में बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी में भारत माता मंदिर बनाया गया था, इसे शिव प्रसाद गुप्ता ने बनाया था और महात्मा गांधी ने उद्घाटन किया था।
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Image Credit: Freepik and herzindagi
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